मैनपाट के सरकारी मोटल में दलाली प्रथा का विरोध शुरू

अम्बिकापुर

दीपक सराठे की रिपोर्ट
ग्रामीणो ने सौपा सहायक कलेक्टर को ज्ञापन, प्रशासन को दिखाया काला झंडा
छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में सरकारी मोटल में दलालो के सक्रिय होने से वहां पहुंचने वाले सैलानियों को हो रही परेशानी के मद्देनजर दलाली प्रथा का विरोध शुरू हो गया है। आज मैनपाट क्षेत्र के कई पंचायत के संरपंचों व जनपद सदस्यों ने इस मनमानी के खिलाफ सहायक कलेक्टर श्री चैधरी को ज्ञापन सौपा। इसके साथ ही शाम को काला झंड़ा दिखाकर प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया। देशबन्धु ने दो दिन पहले ही इस आशय की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी।
ज्ञात हो कि इन दिनो बड़ी संख्या में मैनपाट सैलानी पहुंच रहे है। हर प्वांइट में वाहनों की कतार लग रही है। ठंड के मौसम में जहां एक ओर पूरा मैनपाट गुलजार नजर आ रहा है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी मोटल में दलाल सक्रिय हो गये है। 31 दिसम्बर की रात अगर आप को मैनपाट में गुजारनी है तो आपकों 12 हजार रूपये सरकारी मोटल में खर्च करने होंगे। दलाल मोटल के एडवांस बुकिंग के नाम पर सैलानियों की मजबूरी का भरपूर फायदा उठा रहे है। प्रशासन का कोई हस्तक्षेप नहीं होने से सैलानियों को मिलने वाली यह सुविधा काफी मंहगी साबित हो रही है। शासन-प्रशासन ने मैनपाट में पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने के लिए सरकारी मोटल की सुविधा मुहैया कराई है। जो अच्छी बात है और स्वागत योग्य भी है। फिर यहां दलालों के माध्यम से लूट की छूट क्यो? अगर लोगों को दो हजार की जगह 12 हजार देना पड़ रहा है, तो आम आदमी इन सरकारी मोटलों से दूर ही रहेंगा। मोटल संचालक की इस मनमानी को देखते हुये आज कमलेश्वरपुर सरपंच जवाहर राम, मूलचंद, कुदारीडीह सरपंच फूलमति, जनपद सदस्य प्रिती पाण्डेय, जनपद सदस्य अशोदा यादव, जनपद सदस्य चन्द्र प्रकाश सोनवानी सहित ग्रामीणों ने सहायक कलेक्टर श्री चैधरी को ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन के माध्यम से दलाली प्रथा का विरोध करते हुये मोटल संचालक के विरूद्ध यह भी आरोप लगाया कि उसके द्वारा सार्वजनिक हेण्डपंप में समरसिबल डालकर मोटल के लिए पानी का उपयोग किया जा रहा है। रोपाखार की सरपंच खोरी बाई ने आरोप लगाया कि मोटल संचालक के द्वारा क्षेत्र की 10 एकड़ शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया गया है। इसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से की गई। परंतु मोटल संचालक के द्वारा बड़े अधिकारियों की धौंस दिखाकर ग्रामीणों को चुप करा दिया गया। ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम से यह भी मांग करते हुये कहा कि मोटल संचालक को क्षेत्र में एडवेंचर स्पोर्टस के नाम पर 2012 में 3 लाख रूपये की सामाग्री दी गई थी। पर्यटन विकास को बढ़ावा देने दी गई सामाग्री का आज तक किसी सैलानियों को उपयोग नहीं करने दिया गया। ग्रामीणों ने इसकी भी जांच करने की मांग की है। मोटल में दलाली प्रथा से सैलानियों को रहे नुकसान को लेकर सरपंच, जनपद सदस्य व स्थानीय ग्रामीण लामबंद होकर धरने पर बैठने की भी बात कर रहे है।