ग्रामीण अंचलो में झोलाछाप डाक्टरों का एक तरफा राज……….

अम्बिकापुर(दीपक सराठे) 

झोलाछाप डाॅक्टरों से ईलाज करा ग्रामीण परेसानी में पड़ जा रहे है। इन ग्रामीण ईलाकों से ब्लाक मुख्यालय तक मरीज पहुंच नहीं पा रहे है। गांव में ही इन झोलाछाप डाॅक्टरों के चंगुल में फसकर ईलाज कराने के चक्कर में उनका मर्ज और बढ़ाने लगा है। भारी भरकम राशि वसुलने वाले ये झोलाछाप डाक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे है। वहीं ग्रामीणों को भारी आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।

सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में अभी भी दुरस्थ गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। ब्लाक मुख्यालय में तो कुछ बहुत ईलाज की व्यवस्था है पर कई गांवों में बेहतर सुविधा न मिलने पर कारण झोलाछाप डाक्टर अपना धंधा फैला चुके है। क्षेंत्र के ग्राम डाड़गांव, गुमगा, सलका केदमा, सायर, खम्हिरिया सहित कई ऐसे गांव है जहां झोलाछाप डाॅक्टर घूम-घूमकर ईलाज करने के साथ अपने घर में क्लीनिक खोल रखे है। गांव में बीमार पड़ने वाले मरीज इन्हीं से ईलाज कराने मजबूर हो गये है।और तो और ब्लाक मुख्यालय में पदस्थ डाॅक्टरों तक और शासकीय अस्पताल तक इन मरीजों को झोलाछाप डाॅक्टर पहुंचने ही नहीं देते। उन्हें यह कहकर गांव में रोक लेते है कि उनके ईलाज से कई लोग ठीक हो चुके है। तो वे भी ठीक हो जाएंगे। झोलाछाप डाक्टर के चंगुल में फसकर मरीज भारी-भरकम राशि खर्च कर देते है और उनका मर्ज भी ठीक नहीं हों पा रहा है। क्षेत्र में तेजी से पांव पसार चुके इन झोलाछाप डाॅक्टरों पर प्रशासनिक नकेल भी नहीं कसा जा रहा है। जिले के जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा न तो इसकी जांच की जाती है और न ही ऐसे क्लीनिकों को बंद करने की कार्यवाई की जाती है। फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे क्लीनिक खोलकर बैठे इन झोलाछाप डाॅक्टरों पर कार्यवाई बेहद जरूरी है।