Chhattisgarh News: नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने झीरम घाटी जांच आयोग गठन को हाई कोर्ट में दी चुनौती!

बिलासपुर। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने राज्य शासन द्वारा झीरम घाटी हत्याकांड की जांच के लिए नए सिरे से गठित किए गए दो सदस्यीय आयोग की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिका में कहा है कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा के एकल सदस्यीय जांच आयोग ने जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। आयोग की रिपोर्ट को छह महीने के भीतर राज्य शासन को विधानसभा के पटल पर रखा जाना था। राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया और हत्याकांड की जांच के लिए नए सिरे से आयोग का गठन कर दिया है। मामले की सुनवाई के लिए डिवीजन बंेच ने नौ मई की तिथि तय कर दी है।

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के विधायक व छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने वकील विवेक शर्मा के जरिए छत्तीसगढ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि झीरम घाटी हत्याकांड के तत्काल बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने जांच आयोग के जरिए मामले की जांच कराने की घोषणा की थी।

घोषणा के अनुरूप राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में एकल सदस्यीय जांच आयोग कर गठन कर जांच के बिंदु तय कर दिए थे। आयोग ने जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है।

आयोग ने आठ साल तक सुनवाई की और सरकार के हवाले पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। नियमों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा है कि प्रविधान है कि आयोग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को छह महीने के भीतर सरकार को विधानसभा के पटल पर पेश कर सार्वजनिक करना होता है।

जस्टिस मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने विधानसभा के पटल पर नहीं रखा और न ही सार्वजनिक किया। आयोग की रिपोर्ट को अमान्य करते हुए राज्य सरकार ने तकरीबन पांच महीने पहले जस्टिस सतीशचंद्र अग्निहोत्री व जस्टिस जी मिन्हाजुद्दीन की दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन कर दिया है।

नए आयोग को निरस्त करने की मांग

याचिकाकर्ता नेता प्रतिपक्ष ने प्रविधानों का हवाला देते हुए कहा कि जब किसी मामले में एक जांच आयोग ने प्रक्रिया के तहत जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी है तब उसी मामले में दोबारा जांच के लिए आयोग का गठन नहीं किया जा सकता है। जनहित याचिका में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी।

याचिकाकर्ता की ओर से बहस करने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी आने वाले थे। किसी कारणवश वे नहीं आ पाए। इसके लिए याचिकाकर्ता के वकील ने बहस के लिए समय की मांग की। डिवीजन बेंच ने आग्रह को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई के लिए नौ मई की तिथि तय की।