ये जिला अस्पताल है…… अस्पताल के दरवाजे पर घंटों पड़ा रहा गंभीर मरीज

  • रिफर करने के बाद बगैर व्यवस्था के स्टाॅफ ने निकाला वार्ड से बाहर

  • लाचार मां व भाई लगाते रहे मदद की गुहार

  • पुलिस सहायता केन्द्र की प्रभारी महिला एएसआई नें की मदद

अम्बिकापुर (दीपक सराठे)

अव्यवस्थाओं को लेकर हर समय सुर्खियोें में रहने वाले जिला अस्पताल में आज वहां का एक और कारनामा देखा गया । दो दिनों से अस्पताल में दाखिल गंभीर मरीज जिसे आज तक होश तक नहीं आया । उसे आज सुबह रिफर कर वार्ड से बाहर कर दिया गया । गरीबी की लाचारी से जूझ रहा गंभीर मरीज का परिवार उसे लेकर स्ट्रेचर पर ही घंटों अस्पताल के दरवाजे पर खड़ा होकर एक अदद एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की गुहार लोगों से लगाता रहा ।जीवन और मौत से लड़ रहे अपने पुत्र को देख – देख उसकी वृद्ध माता के आंसू नहीं थम रहे थे । विडम्बना तो यह देखी गयी कि न तो अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उस गंभीर मरीज को रिफर करने के बाद मानों अपना पल्ला ही झाड़ लिया गया हो ।

दरवाजे पर गंभीर मरीज को पड़ा देख वहां लोगों की भीड़ लग गयी परन्तु अस्पताल के जिम्मेदार ओहदों पर बैठे एक भी अधिकारी वहां देखने तक नहीं पंहुचे । जिला अस्पताल के पुलिस सहायता केन्द्र में पदस्थ महिला एएसआई निर्मला कश्यप व उनकी टीम ने सहानुभूति दिखाते हुए अंततः गंभीर मरीज को वापस वार्ड में उपचार के लिए भिजवाया और पुलिस केश होने की वजह से इसकी जानकारी कोतवाली थाना प्रभारी को दी । दोपहर तक मरीज को बाहर उचित उपचार कराने ले जाये जाने की व्यवस्था नहीं हो सकी थी । जानकारी के अनुसार नगर के प्रतापपुर नाका के पास एक किराये के घर में लहूलुहान हालत में मिले पिकप चालक सीतापुर क्षेत्र के ग्राम बेलजोरा निवासी 30 वर्षीय मुनेश्वर चौहान को पुलिस ने जिला अस्पताल दाखिल कराया था । पुलिस ने उक्त मामले में अज्ञात आरोपी के विरूद्ध धारा 307 के तहत अपराध दर्ज किया था । घटना के दो दिन बाद आज तक गंभीर मुनेश्वर को होश नहीं आया था । सिर में गंभीर चोेंट लगने की वजह से वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। जिला अस्पताल से उसे रिफर कर दिया गया । चिकित्सक के रिफर करने के बाद सर्जिकल वार्ड से स्टाॅफ ने मरीज को बाहर निकलवा दिया । मरीज की वृद्ध मां रामेश्वरी व छोटा भाई भुनेश्वर उसे लेकर स्ट्रेचर पर रख अस्पताल के दरवाजे पर घंटों खडे़ रहे । गरीब परिवार होने की वजह से पास में उसका उपचार कराने लाचार परिवार के पास एक धेला तक नही था । एंम्बुलेंस के लिए पीडि़त परिवार लोगो से गुहार लगाता रहा । इस दौरान पुलिस सहायता केन्द्र पदस्थ पुलिस कर्मियों ने उसे वापस वार्ड में भिजवाया । परन्तु सारी संवेदनाएं खो चुके जिला अस्पताल में न तो उसके उपचार के लिए कोई पहल की गयी और न ही दोपहर तक उसे बाहर भिजवाने के लिए कोई व्यवस्था ही की जा सकी ।

 

हमने नहीं कहा वार्ड से बाहर जाने को
इस संबंध में जब वार्ड के स्टाफ नर्स से रेफर मरीज के ओपीडी के एक कोने पर पड़े रहने की जानकारी ली तो ड्यूटी में तैनात नर्सो ने बताया की वे केवल मरीज के परिजनों से इतना कहे की डाक्टर ने मरीज की गंभीर हालत को देखते हुये रायपुर रिफर कर दिया है। जिस पर मरीज के संबंध में रिफर कागजात बना रहे थे तभी उसके परिजनों ने किसी से पूछे बीना ही मरीज को अपने से बार ले गये यहां तक की रिफर के कागजात उनके टेबल में ही पड़ा हुआ था।