सडक हादसो का बढता आंकडा : रफ्तार की चपेट में इंसान

सरगुजा में बढ़ता सड़क दुर्घटना का आंकड़ा चिंता का कारण

चार साल में 4,514 गंभीर घायलों को संजिवनी ने कराया दाखिल

तीन साल में लगभग 570 की मौत

अम्बिकापुर 2 दिसम्बर (दीपक सराठे की रिपोर्ट)

सरगुजा क्षेत्र में पिछले चार सालों में सड़क दुर्घटनाआंे का बढ़ता आंकडा चिंता का कारण बना हुआ है। सड़क में तेज रफ्तार वाहन को लापरवाही पूर्वक चलाने , शराब सेवन कर वाहन दौड़ाने व कंड़म बसों के कारण ज्यादातर दुर्घटनाएं सामने देखने को मिल रही है। सरगुजा में चलने वाली 11 संजिवनी 108 के आंकडे़ देखें तो चार साल में लगभग 6 हजार सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ सरगुजा में हुई है। इनमें से 4,514 लोगों को घटना के एक घंटे के अंदर संजिवनी ने अस्पताल पहुंचा कर उनकी जान बचायी है।

2012 से 2014 तक के आंकडे पर अगर नजर डाले तो इन तीन सालों में 570 लोगों से ज्यादा की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी है। सरगुजा में बढ़ती सड़क दुर्घटना का यह आंकडा सुनने में ही भयावह लगता है आये दिन सड़क दुर्घटना में किसी न किसी घर का चिराग बुझ रहा है। सड़क पर मौत बनकर दौड़ रहे तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम नहीं लगने से यह सिलसिला बदबस्तुर जारी है। सरगुजा में सड़कें रोज खून से लाल हो रही है। इस गंभीर विषय की ओर हर अधिकारी के दिमांग में कई सोंच ने जन्म तो लिया पर धरातल पर किसी भी सोंच का क्रियान्वयन नहीं हो सका । वो तो शुक्र है संजिवनी एक्सप्रेस का , जिनके कर्मचारियों ने दूर -दराज इलाको में भी घटित बड़ी से बड़ी दुर्घटना में त्वरित सहायता प्रदान कर चार साल में 4,514 गंभीर घायलों को न सिर्फ अस्पताल लाकर दाखिल कराया बल्कि इनमें से 99 प्रतिशत लोगो की जान भी बचायी ।

संजीवनी के आंकडो के मुताबिक

सरगुजा में संचालित 11 संजिवनी एक्सप्रेस के आंकडो केे अनुसार 2012 में 742 , 2013 में 1052, 2014 में 1,735 व 2015 में अब तक 985 गंभीर  लोगो को त्वरित उपचार की सुविधा मुहैया करायी गयी है। बढ़ते सड़क दुर्घटनाओं को लेकर शासन प्रशासन तो गंभीर नजर नहीं आ रहा है । इन दुर्घटनाओं में मौत का आंकडा कम करने के लिए काम कर रही संजिवनी एक्सप्रेस के कर्मचारियों की समस्याओ पर भी एक नजर डालने की फुर्सत किसी को नहीं है।

संजीवनी के कर्मचारियो की समस्या

अम्बिकापुर जिला अस्पताल की ही बात करें तो किसी गंभीर दुर्घटना की सूचना मिलने पर संजिवनी कर्मचारियों को अस्पताल के बाहर निकलने के लिए पूरा अस्पताल घूमना पड़ता है। पेईंग वार्ड में संजिवनी कर्मचारियों के लिए कमरा दिया गया है परन्तु  उसके बगल में अस्पताल के बाहर निकलने के लिए बनाये गए सारे दरवाजे बंद करके रख दिये गये है। इससे संजिवनी कर्मचारियों सहित मरीजों को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। बहरहाल सरगुजा में बढ़ते सड़क दुर्घटना के आंकडो में साल दर साल वृद्धि ही हो रही है।