शहर में बढ रहा देह व्यापार : सभ्य समाज के लिए खतरनाक

अम्बिकापुर में पीटा एक्ट भी होगा चाहिए लागू

वेश्यावृत्ति से शहर की फिंजा हो रही खराब

चौंकाने वाले आंकडे़ आ रहें सामने पिछले साल में 200 मामले

अम्बिकापुर (दीपक सराठे की रिपोर्ट)

महानगरों की तरह विकसित होता शहर आखिर किस दिशा की ओर जा रहा है। बाहर से या फिर स्थानीय लड़के लडकियों की संदिग्ध अवस्था मेे देखे जाने के लगभग 200 मामले 2014 मे सामने आए है। यह आंकडा 2014 का है। वैश्यावृत्ति के इस खेल में किसी भी शहर लिए यह आंकडा चौकाने वाला है। यह सिर्फ गांधीनगर क्षेत्र की बात है। शहर की कोतवाली के पुलिस वालो की बात करे तो उनका भी यह कहना है कि शहर वलगर हो गया है। आखिर शहर की फिजा को खराब करने वाले ये लोग कौन है। आपकोे जानकर आश्चर्य होगा कि शहर में रायपुर जशपुर के अलावा सूरजपुर , बलरामपुर व सरगुजा के आस पास के कई गांवों की लडकियां शहर आती है और उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ किसी तरह से पैसा कमाना होता है। शहर में वैश्यावृत्ति का खेल सिर्फ बंद कमरों तक सीमित होकर नहीं रह गया है। गांधीनगर पुलिस की माने तो कुछ माह वहां एक युवक को काले रंग के सीसे कार में दिनदहाड़े असमाजिक कृत्य करते पकडा गया था । ऐसे मामलों में पीटा एक्ट लागू  नहीं होने से पुलिस इन मामलों में या तो प्रतिबंधात्मक कार्यवाई करती है या युवक युवती के परिजनों  को बुलवाकर समझाईश देकर छोड़ दिया जाता है। मामले मेे किसी प्रकार की ठोस कार्यवाई नहीं होने से वैश्यावृत्ति का घिनौना खेल शहर में बडे़ पैमाने पर फल फूल रहा है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस खेल में संभ्रात व बडे परिवार के युवक युवतियां  भी कई बार पकडे़ जा चुके है। ब्लैक सीसेे की कार में पकडी गई लडकी जांजगीर क्षेत्र की थी और रायपुर में पढ़ाई करते हुए वह यहां तक पंहुची थी ।शहर के होटल नवापारा के किराये के मकान व घुटरापारा में वैश्यावृत्ति का खुलासा इसी शहर  की पुलिस ने पूर्व में किया था । शहर की फिंजा वैश्यावृत्ति  के बढ़ते खेल से खराब हो रही है। पुलिस भी इस बात से अंजान नहीं है।

 

पार्को में ठिकाना
स्थानीय युवक -युवती शहर के पार्को का अपना सुरक्षित ठिकाना बना रखे है। शहर का संजय गार्डन हो या वाटर पार्क बड़ी संख्या में इस प्रकार के प्रेमी  जोडे़ हर दिन मिल जाएंगे । पहले कई बार पुलिस की दबिश में वहां इस खेल का खुलासा भी किया जा चुका है परन्तु काफी समय से इस ओर कार्यवाई शुन्य होने से अब गर्दन फिर से प्रेमी जोेडों की हरकतों से खराब हो रहे है।

 

नकाब के पीेछे कौन?
शहर में बढ़ रही नकाब संस्कृति से किसी को पहचान पाना बहुत मुश्किल हो गया है। युवक -युवती नकाब के अंदर अपनी पहचान छिपाने में कामयाब हो रहे है। गर्मी के दिनों में तो धूप से बचने एक बहाना होता है परन्तु शाम को व रात को भी युवतियां नकाब के पींछे ढ़की रहती है। इसका कारण क्या है। नकाबपोश युवकों द्वारा शहर में कई घटनाएं घटी है इसके बाद भी उस पर अंकुश लगाना जरूरी नहीं समझा जा रहा है। वैश्यावृत्ति  के पीछे भी नकाब में पहचान छुपाना एक बडा कारण उभरकर सामने आया है।