जिले भर में हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया करमा पर्व

अम्बिकापुर

नगर सहित जिले भर में करमा पर्व  बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया गया। पूजा  स्थल पण्डाल के बीच में करम डार का कलम लगाया गया, और करमडार के चारों तरफ व्रतधारियों द्वारा लाये गये ज्वार को रखा गया। स्थानीय बैगा द्वारा विधिवत पूजा पाठ करने के बाद बैगा ने सभी व्रत धारियों महिला, पुरूष, युवतियो व बच्चों को करम देवजी के बारे में जानकारियां दिया। इस त्यौहार को मनाने के पीछे मान्यता है कि इस पूजा से कर्म अच्छे होते है एवं उसके सभी काम पूरे होते है। जिसके कर्म अच्छे नहीं होते है वो अगर करमदेव की पूजा पूरी विधि विधान से करे तो उनका भी कर्म अच्छा हो जाता है। ग्रामीण अंचलों में इस त्यौहार में करमडार के पास रखे ज्वार के सामने करमा नृत्य करना ग्रामीण पंरमपरा है। ज्ञात हो कि करमा का त्यौहार किसानों की फसल बोआई से यह प्रारंभ हो जाता है। ज्वार बुनने का रश्म एक सप्ताह पहले ही लगभग शुरू हो जाती है। सभी व्रत धारियों द्वारा ज्वार को ही सर पर रखकर करमडार के कलम पास चारों तरफ रखा जाता है। करमा के दिन सभी व्रत किये हुये महिला, पुरूष, बच्चे अगले दिन पूजा के काम में लाये हुये जो वस्तु व सामग्री विसर्जन के योग्य होते है। उन्हे विसर्जन करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण या पारन करते है।