अंग्रेजी हुकूमत से तय 25 रुपये के भत्ते को महिला आरक्षक ने किया वापस..!

बलरामपुर कृष्ण मोहन कुमार- आज के इस भागते दौड़ते जमाने मे हर प्रकार की घटने वाली अप्रत्याशित घटनाओं का बोझ सीधे पुलिस पर है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जो पुलिस लोगो के सुरक्षा का बोझ ले बोझिल है,वही पुलिस आज उपेक्षा की शिकार है।

अंग्रेजी हुकूमत के नियमो पर आज भी-पुलिस..

वैसे तो अंग्रेजों ने अपने हुकूमत के समय सुरक्षा के लिहाज से पुलिस की व्यवस्था की थी,लेकिन आज यह समझ से परे है,की 1947 में देश अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ और नए राष्ट्र निर्माण की नींव खोदी गई,कई तरह के नए कानून बनाये गए,अंग्रेजो साम्राज्य के समय प्रचलित कई नियमो में संशोधन भी किया गया ,बावजूद इसके लोगो मे कानून व्यवस्था और आपसी सामंजस्य स्थापित करने वाला पुलिस विभाग आज भी अंग्रेजी हुकूमत के नियमो पर ही निर्भर है।

परीक्षा ड्यूटी में मिले भत्ते को लौटाया…

दरसल आज हुआ यूं की माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आज 12 वी के इंग्लिश सब्जेक्ट की परीक्षा थी,और इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से कुसमी थाने में पदस्थ महिला आरक्षक अनुपमा कपुर की परीक्षा ड्यूटी बालक हाई स्कूल कुसमी में लगाई गई थी,तथा महिला आरक्षक ने सौपे गए दायित्वों का निर्वहन करते हुए 3 घण्टे परीक्षा ड्यूटी की, लेकिन 3 घण्टे के उस परीक्षा ड्यूटी के एवज में सरकार के द्वारा भत्ता दिए जाने का प्रावधान है,और उस भत्ते के रूप में मिलने वाली राशि हैरान कर देने वाली है।

भत्ते के नाम पर झुनझुना….

वही सरकार की ओर से पृथक से किये जाने वाले कार्यो में संलग्न कर्मचारियों को अच्छे खासे दर भत्ते के रूप में दिए जाते है,लेकिन पुलिस के लिए ऐसा कोई नियम नही की उन्हें भी अच्छा खासा भत्ता मिल सके,पुलिस को तो सिर्फ भत्ते के नामपर झुनझुना थमा दिया जाता है।

डिसिप्लिन इज द डिसिप्लिन..

वैसे तो पुलिस विभाग अनुशासन का विभाग है,यहाँ अनुशाषित रहकर ही ड्यूटी पूरी की जाती है,और इसी रास्ते पर चलते हुए,कुसमी थाने में पदस्थ महिला आरक्षक अनुपमा ने सरकार को उसके भत्ते के रूप में मिली 25 रुपये की राशि वापस कर दी।

सरकारी खजाने में जमा कर दी -राशी..

अनुपमा का कहना है,की पुलिस तो लोगो के सुरक्षा के लिए और उसी पुलिस विभाग को इतना कम भत्ता मिलना ना के बराबर है,आखिर आज महंगाई से लबरेज इस दुनिया में 25 रुपए क्या होते है।