इस जलपरी से इलाज के बाद शरीर बन जाता है ‘मछली’ जैसे, पढ़िए कैसे होता है ट्रीटमेंट

ब्राजीलिया. ब्राजीलियन डॉक्टर्स ने जले हुए घावों को ठीक करने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया है। वह मरीज के घावों पर एक खास मछली की स्किन का इस्तेमाल बैंड-एड की तरह करते हैं। उनका दावा है कि इससे मरीज को कई लाभ होते हैं। मछली की यह स्किन मरीज के दर्द को कंट्रोल करती है, घावों को जल्दी ठीक करती है और किसी तरह के इंफेक्शन से इसे बचाती है। इस कुछ लोग बाइलोजिकल बैंडेज का नाम भी दे रहे हैं। इसके जरिए इलाज किए जाने वाले मरीजों के घावों के आस-पास मछली की स्किन की तरह की निशान बन जाते हैं। जब इन तस्वीरों को सोशल मीडिया यूजर्स ने देखा तो उन्होंने कहा कि यह तो अपने आप में एक जलपरी (मरमैड) बन गई।

सबसे पहले इस मछली का इस्तेमाल इस तरह के घावों को ठीक करने के लिए 2016 में किया गया था। यह पहली बार था जब कि वैज्ञानिकों ने किसी जलीय जीव की स्किन को इस तरह के इलाज में बैंड एड की तरह इस्तेमाल किया हो। एक रिपोर्ट के मुताबिक मारिया इनेस कैंडियो पहली मरीज थी जिनका इलाज तिलापिया मछली की स्किन के जरिए किया गया।उनका यह ट्रीटमेंट पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर आईजेएफ बर्न्स यूनिट में किया गया था। मारिया अपने ऑफिस में उस वक्त गंभीर रूप से जल गई थीं जब कि एक गैस कुकर के कनिस्तर में विस्फोट हो गया था। उनके हाथ में सेकंड डिग्री के जलने के निशान बन गए थे। इसके अलावा उनके गले और मुंह पर भी जलने के निशान साफ दिखाई दे रहे थे।

मीडिया में मारिया ने कहा कि जब वह इस हालत में हॉस्पिटल पहुंची तो वहां पर डॉक्टर्स ने उनका सामान्य रूप से इलाज किया। जिसकी वजह से उन्हें बहुत ज्यादा दर्द हुआ। लेकिन वह कहती हैं कि जब उनका इलाज तिलापिया मछली की स्किन से किया गया तो उन्हें उतना दर्द नहीं हुआ। वह अब उनकी तरह सफर कर रहे मरीजों को इसी ट्रीटमेंट की सलाह देती हैं।

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ऐसे होता है ट्रीटमेंट

तिलापिया मछली ब्राजील में फ्रेश वॉटर में रहने वाली मछली है। इसकी स्किन पहले किसी काम नहीं आती थी और ज्यादातर उसे यूं ही फेंक दिया जाता था। लेकिन जब इस पर शोध हुए तो वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि इसकी स्किन में कोलाजन टाइप वन होता है और हाई डिग्री ह्यूमिडिटी होती है। इसलिए इसे सूखने में बहुत वक्त लगता है। यह सबसे महत्वपूर्व गुण हैं जो कि इसे जले हुए लोगों के इलाज के लिए परफेक्ट बनाते हैं।