छत्तीसगढ़ के छह जिलों में सूखे के हालात, किसानों के साथ राज्य सरकार भी चिंतित



रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के छह जिलों में सूखे के हालात हैं। इनमें कोरिया, जशपुर, बेमेतरा, बलरामपुर-रामानुजगंज, रायपुर और सरगुजा में हालत सबसे अधिक खराब है। यहां किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। अल्प वर्षा के कारण खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। तहसीलों के हिसाब से देखें तों आठ तहसीलो में अभी तक महज 40 प्रतिशत औसत वर्षा हुई है। सरगुजा में लुंड्रा, दरिमा और बतौली, सूरजपुर में प्रतापपुर और बिहारपुर, बलरामपुर में शंकरगढ़, रामानुजगंज और राजपुर तहसील में अब तक 40 प्रतिशत औसत वर्षा हुई है। एक तरफ देश के कई इलाकों में नदी नाले उफान पर हैं तो वहीं सरगुजा व बलरामपुर इलाके में नदियां सूखने की कगार पर हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को फसलों के नजरी आकलन करने को निर्देश जारी किया है।

जानकारी के मुताबिक प्रदेश के बलरामपुर, जशपुर और सरगुजा में सबसे बुरी स्थिति है। यहां खेतों में दरारें पड़ गई हैं। मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कम वर्षा वाली तहसीलों की फसलों का नजरी आकलन करने का निर्देश दिया है। राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक एक जून 2022 से अब तक राज्य में 564.2 मिमी (मिली मीटर) औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। बीजापुर में सर्वाधिक 1431.5 मिमी और बलरामपुर में सबसे कम 211.0 मिमी औसत वर्षा हुई है।

इसके अलावा सरगुजा में 234.1 मिमी, सूरजपुर में 312.0 मिमी, जशपुर में 287.9 मिमी, कोरिया में 330.3 मिमी, रायपुर में 372.2 मिमी, बलौदाबाजार में 546.2 मिमी, गरियाबंद में 644.4 मिमी, महासमुंद में 564.7 मिमी, धमतरी में 670.3 मिमी, बिलासपुर में 607.0 मिमी, मुंगेली में 624.1 मिमी, रायगढ़ में 525.5 मिमी, जांजगीर-चांपा में 665.4 मिमी, कोरबा में 436.3 मिमी, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 556.7 मिमी, दुर्ग में 508.8 मिमी, कबीरधाम में 555.3 मिमी, राजनांदगांव में 600.0 मिमी, बालोद में 685.5 मिमी, बेमेतरा में 387.3 मिमी, बस्तर में 726.9 मिमी, कोंडागांव में 647.1 मिमी, कांकेर में 785.1 मिमी, नारायणपुर में 590.2 मिमी, दंतेवाड़ा में 744.0 मिमी और सुकमा में 548.4 मिमी औसत वर्षा रिकार्ड की गई है।

कलेक्टरों को दिया गया है निर्देश

छत्तीसगढ़ राजस्व विभाग के सचिव एनएन एक्का ने कहा, जिन-जिन जिलों में अल्प वर्षा हुई है वहां नजरी आकलन करने के लिए कलेक्टरों को निर्देश दिया गया है।
धान की फसल पर नुकसान धीरे-धीरे

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान केंद्र के कृषि मौसम विज्ञानी डा. जीके दास ने कहा, जिन इलाकों में धान खराब हो चुकी है वहां किसान चाहें तो मूंग-उड़द आदि लगा सकते हैं। हालांकि जिन इलाकों में धान की फसल पीली पड़ गई है वहां एक पानी देने से धान की फसल ठीक हो सकती है।