दवा के साथ एक्टिविटी से भगाया जा रहा सरगुजा से कुपोषण

malnutrition-awareness in ambikapur
malnutrition-awareness in ambikapur

पेटिंग, खेल कूद व खिलौने बनवाकर किया जा रहा मानसिक विकास

अम्बिकापुर(दीपक सराठे)

सरगुजा जिले के गंभीर कुपोषित बच्चों का उपचार अब दवा से ही नहीं बल्कि उनके बीच खेलकूद प्रतियोगिता व पेटिंग सहित खिलौनों को बनवाने जैसी एक्टीविटी से उनका मानिसक विकास भी किया जा रहा है। यह पहल संभाग के सबसे बड़े रघुनाथ जिला अस्पताल में स्थित एनआरसी सेन्टर में की गई है। सरगुजा को कुपोषण से मुक्त करने इन दिनों शासन के अलावा प्रशासन ने भी कई प्रकार की योजनाएं संचालित कर रखी है। शहर के कुपोषित बच्चों को तो कई सामाजिक संस्थाओं व जनप्रतिनिधि सहित अधिकारियों ने गोद ले रखा है। ऐसे में जिले के गंभीर कुपोषित बच्चों के शाररिक सहित मानसिक विकास के लिए स्थानीय पूरक पोषण आहार केन्द्र के कर्मचारियों की यह पहल निश्चित ही सरगुजा को कुपोषण से मुक्त करने मील का पत्थर साबित होगी।

Malnutrition in ambikapur

गौरतलब है कि स्थानीय एनआरसी सेन्टर से सरगुजा जिले के सातो ब्लाक से आये लगभग 205 गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का काम किया गया है। यह आकड़ा जनवरी 2015 से अक्टूबर 2015 तक का है। मात्र 10 बिस्तर की व्यवस्था होने के बाद भी हर कुपोषित बच्चों को 15 दिन तक एनआरसी सेन्टर में रखना अनिवार्य रहता है। प्रशासन ने मैनपाट व सीतापुर में एनआरसी सेन्टर तो खुलवायें है, परंतु फिलहाल वहां स्टाफ सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं रहने से वर्तमान में उनका कोई खास औचित्य नहीं दिख रहा है।

जिला अस्पताल में स्थित एनआरसी सेन्टर जहां अपने अच्छे कार्य के लिए पूर्व में नम्बर वन के श्रेणी में आ चुकी है। वहीं देखा जाये तो जिला अस्पताल प्रबंधन व प्रशासन का उसकी ओर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जहां गंभीर कुपोषित बच्चों को रखा जाता है। उस एनआरसी सेन्टर की पुताई तक नहीं कराई गई है। वहीं ड्रेनेज का जमा पानी बदबू फैला रहा है। जहां कुपोषित बच्चे रखे जाते हो वहां साफ-सफाई होना अनिवार्य होता है। परंतु इस ओर अस्पताल प्रबंधन ज्यादा जागरूक नहीं दिख रहा है। खैर अव्यवस्था का आलम कैसा भी हो एनआरसी के कर्मचारी इन दिनों वहां रखे गये बच्चों को न सिर्फ दवा व पोष्टिक भोजन देकर शाररिक रूप से उन्हे मजबूत बना रहे है, बल्कि बच्चों के खेलने के लिए उनके अनुसार ही कई खिलौनों का निर्माण भी उनके द्वारा कराया गया है। यही नहीं खेलकूद, रस्साकसी, पेटिंग सहित अन्य एक्टीविटी व मनोरंजक कामो को कराकर उनका मानसिक विकास भी किया जा रहा है।