जर्जर सिंचाई कालोनी..35 साल से नही हुआ मेंटनेंस.. हो सकती है बड़ी घटना…

[highlight color=”black”]दर्जनों क्वाटर हैं जर्जर स्थिति में, 1980 के बाद नहीं हुआ कोई मेंटेनेंस[/highlight]

 

[highlight color=”red”]सिंचाई कॉलोनी में क्लर्क के यहां प्लास्टर गिरा, बाल-बाल बची बच्ची[/highlight]

 

[highlight color=”black”]अम्बिकापुर[/highlight][highlight color=”red”] “दीपक सराठे”[/highlight]

अम्बिकापुर नगर के गांधीनगर स्थित सिंचाई कॉलोनी में रविवार की सुबह 10 बजे जल संसाधन विभाग में कार्यरत एक क्लर्क के यहां क्वार्टर की छत अचानक भरभरा कर गिर गई। जिस वक्त प्लास्टर गिरा क्लर्क की एक 11 वर्षीय बच्ची वहां बैठकर पढ़ाई कर रही थी। प्लास्टर के कुछ टुकड़ा गिरते ही वह वहां से हट गई नहीं तो उसे गंभीर चोट आ सकती थी और एक बड़ा हादसा भी हो सकता था।  कॉलोनी में क्लर्क के यहा ही नहीं वहां 32 और क्वार्टर है जो जर्जर स्थिति में हैं। वहां निवासरत कर्मचारियों का कहना है कि उक्त सभी क्वार्टरों का लम्बे समय से मरम्मत कार्य नहीं हुआ है।
जानकारी के मुताबिक अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग अंतर्गत बने इस सिंचाई कॉलोनी में निवासरत सहायक ग्रेड-3 सतीश देव के क्वार्टर के भीतरी कमरे में जहां उनकी पुत्री साक्षी देव पलंग पर बैठकर पढ़ाई कर रही थी। उसी दौरान कुछ हिस्सा बच्ची के ऊपर गिरा, जिसे देख वह तुरंत दूसरे कमरे में चली गई। उसके कुछ ही देर बाद प्लास्टर का बड़ा हिस्सा भरभराकर पलंग पर गिर गया। घटना मेें बच्ची के चेहरे पर हल्की खरोच आई है। इस घटना से सतीश देव काफी सहमे हुये हैं। सिंचाई कॉलोनी में निवासरत कर्मचारियों की मानें तो कॉलोनी में कुल 31 क्वार्टर है जिनका निर्माण 1980 से 85 के बीच कराया गया है। निर्माण के बाद आज तक उक्त क्वार्टरों का कभी विभाग द्वारा मरम्मत नहीं कराया गया है जिसके कारण सभी क्वार्टर जर्जर की स्थिति में हैं। अगर समय रहते इन क्वार्टरों की मरम्मत नहीं कराई गई तो भविष्य में कोई और भी बड़ा हादसा हो सकता है। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि उनकी तनख्वाह से 75 रूपये मेंटेेनेंस के नाम से काटा जाता है फिर भी भवनों की मरम्मत नहीं कराई जा रही है।

[highlight color=”blue”]शासन को भेजा जायेगा प्रस्ताव-अधीक्षण अभियंता [/highlight]

घटनाक्रम के संदर्भ में श्याम बरनई नहर परियोजना के अधीक्षण अभियंता परमानंद जांगड़े ने कहा कि वे अभी छुट्टी पर हैं हालांकि उन्हें प्लास्टर गिरने की जानकारी मिली है। छुट्टी से लौटते ही वे भवन मेंटेनेंस के लिये शासन को प्रस्ताव भेजेंगे और बजट स्वीकृति हो जाने के बाद शीघ्र ही मरम्मत कार्य कराये जाने की बात कही। कर्मचारियों द्वारा 75 रूपये भवन मेंटनेंस के नाम पर लिये जाने की बात पर उन्होंने कहा कि 75 रूपये भवन का शासकीय दर से किराया लिया जाता है न की मेंटेनेंस के रूप में।