मां की आस्था ऐसी की सांडबार बना मंदिरों का गढ़

18 साल में बने 5 भव्य मंदिर, जारी है और निर्माण कार्य

अम्बिकापुर(deepak सराठे)

नगर से लगे बिलासपुर मार्ग स्थित सांडबार का क्षेत्र मंदिरों का गढ़ बनता जा रहा है। सागौन के जंगल की हरियाली के बीच स्थित मां बनेश्वरी देवी की प्राचीन प्रतिमा के सामने आने के बाद लगातार बढ़ती लोगों की आस्था ने आज वहां अलग-अलग देवी, देवताओं के पांच भव्य मंदिर स्थापित कर दिये है। नवरात्र के समय यहां नगरवासियों सहित ग्रामीण अंचल के लोग हजारों की संख्या में पहुंचते ही है, वैसे साल भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

प्राचीन समय में सागौन जंगल के बीच एक विशाल हाथीनुमा पत्थर से लगकर स्वयं प्रदर्शित हुई मां की प्रतिमा को देख आस-पास के ग्रामीण अंचल के लोगों ने उसे आस्था का एक केन्द्र बना लिया था। साड़बार क्षेत्र होने के कारण आस्था का यह केन्द्र सड़बढिन दाई के नाम जाना व पहचाना जाता था। धीरे-धीरे यहां की ख्याती शहरवासियों तक पहुंचने लगी। वर्ष 1998 से वहां नगर के कई श्रद्धालुओं ने मिलकर अखण्ड पाठ करवाकर वहां मां वनेश्वरी माता का नाम देकर मंदिर की नींव रखी। कुछ ही साल में मां वनेश्वरी माता का भव्य व आकर्षण मंदिर अपनी एक अलग पहचान बन गया है। आस्था की बयार यहां कुछ इस कदर बढ़ी कि इन 18 साल में नगर के कई श्रद्धालुओं ने माता के मंदिर के बाद वहां दुर्गा मंदिर, दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, जय बाबा बनेष्वर महादेव मंदिर, और अब राधा-कृष्ण का भव्य मंदिर का निर्माण व आकर्षक प्रतिमा स्थापित कर पूरे क्षेत्र को ही भक्तिमय कर दिया है। इसके अलावा मनोकामना कलश स्थापना भवन व आश्रम का निर्माण भी जन सहयोग से कराया गया। सागौन के जंगल की हरियाली के बीच दिनों दिन बढ़ता मंदिरों का यह गढ़ व बढ़ती आस्था से अब दूर-दूर से लोग यहां पहुंचने लगे है।

कलश यात्रा निकली आज

मंदिरों के इस गढ़ में राधा-कृष्ण का भव्य व आकर्षक मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर धार्मिक कार्य प्रारंभ हो गये है। नवरात्र व राधा-कृष्ण मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यहां काफी भीड़ उमड़ रही है। प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व आज फूटामुडा बांध से कलश यात्रा निकाली गई। लक्ष्मीपुर निवासी शिक्षक लक्ष्मण राम साहू व उनकी पत्नी श्रीमती फुलेश्वरी देवी के सहयोग से निर्मित इस मंदिर में आज 13 अपै्रल को वैदिक पूजा व 15 अपै्रल को भंडारा का आयोजन किया गया है।

पूरे साल मंगलवार को भंडारा
मंदिरों के गढ़ बन चुके सांडबार वनेश्वरी देवी मंदिर में पूरे साल भर मंगलवार के दिन भंडारे का आयोजन होता है। नवरात्र में पूरे नौ दिनों तक आयोजित भंडारे में हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करने आते है।