सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की नाफ़रमानी कर रहा है PHE…

  • उप अभियंताओं का नही हुआ प्रमोसन
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी हो रही है अवहेलना 
  • आवेदक ने दी आत्म ह्त्या की चेतावनी 

 

अम्बिकापुर  “देश दीपक गुप्ता”

जल संसाधन विभाग के उप अभियंताओं का सहायक अभियंता के पद पर उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश तथा जल संसाधन मंत्रालय के निर्देशों के 6 वर्ष हो गये पर आज दिनांक तक उन्हें उप अभियंता से सहायक अभियंता में पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाने से पीड़ित उप अभियंता ने सका, जिसके संबंध में आज उप अभियंताओं ने नगर के जोड़ा पीपल स्थित अवध होटल में एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर अपनी मंशा जताते हुये जानकारी दी है कि प्रशासनिक न्यायाधिकरण बैंच भोपाल के प्रकरण क्र. 424/1990 में पारित निर्णय 15 फरवरी 1999 के आधार पर 18 उप अभियंताओं द्वारा उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़-बिलासपुर में याचिका क्र. 160/2002 दायर की गई, जिसमें उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़-बिलासपुर द्वारा पारित निर्णय 20 फरवरी 2006 में वादी उप अभियंताओं को 11 जून 92 से समस्त लाभ देते हुये सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नति हेतु आदेशित किया।

शासन द्वारा पदोन्नति न देने के कारण वादी उप अभियंताओं द्वारा अवमानना याचिका क्र. 127/2006 दायर की गई। अवमानना याचिका क्र. 127/2006 की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ मंत्रालय जल संसाधन विभाग रायपुर द्वारा रिव्यू पिटीसन क्र. 42/ 2007 दायर की गई, जिसे उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़-बिलासपुर द्वारा रिव्यू पिटीसन क्र. 42/2007 सुनवाई उपरांत 21 अक्टूबर 2008 को अमान्य कर दिया गया। रिव्यू पिटीसन क्र. 42/ 2007 अमान्य होने के उपरांत छत्तीसगढ़ मंत्रालय जल संसाधन विभाग रायपुर द्वारा डबल बैंच मेंत रिट अपील क्र. 266/2008 दायर की गई, जिसे उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़-बिलासपुर की डबल बैंच द्वारा 1 दिसम्बर 2009 को अमान्य कर दिया गया। डबल बैंच में रिट अपील क्र. 266/ 2008 अमान्य होने के उपरांत छत्तीसगढ़ मंत्रालय जल संसाधन रायपुर द्वारा सवोच्च न्यायालय नई दिल्ली में एसएलपी नम्बर 7476/ 2010 दायर की गई, जिसमें न्यायाधीश द्वय द्वारा 22 मार्च 2010 को सुनवाई उपरांत अमान्य कर दिया गया।

छत्तीसगढ़ मंत्रालय जल संसाधन विभाग रायपुर द्वारा याचिका क्र. 160/2002 में पारित निर्णय 20 फरवरी 2006 में 17 जनवरी 2015 तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही न होने के कारण 11 वादी उप अभियंताओं द्वारा उच्च न्यायालय छत्तीगसढ़ बिलासपुर में याचिका क्र. 163/ 2015 दायर की गई, जिसमें 21 जनवरी 2015 में पारित आदेशानुसार रिट अपील 160/ 2002 में पारित निर्णय 20 फरवरी 2006 को समस्त लाभ एवं पदोन्नति हेतु कार्यवाही आदेशित किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली के आदेश 22 मार्च 2010 से आज तक लगभग 6 वर्ष तक पालन न करना एवं पुनः आदेश के पालन हेतु उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर द्वारा दी गई समय सीमा का पालन न करना जल संसाधन विभाग की कार्य प्रणाली एवं न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिन््ह है। जल संसाधन मंत्रालय द्वारा 31 दिसम्बर 2015 में दिये निर्देश क अनुसार वादी उप अभियंताओं के प्रकरण में परीक्षण कर समस्त देय लाभों, वरिष्ठता निर्धारण, पदोन्नति का प्रस्ताव अभिमत, अनुसंशा सहित तत्काल भेजने हेतु लिखा, परंतु प्रमुख अभियंता की हठधर्मिता के कारण आज दिनांक तक प्रकरण लंबित है।

आवेदक 4 अप्रैल 2016 को प्रमुख अभियंता श्री कुटारे से मुलाकात कर न्यायालयीन प्रकरण को भेजने हेतु निवेदन किया पहले तो टालते रहे बहुत काम रहता है यही काम ही नहीं है मगर बार-बार निवेदन करने पर प्रकरण को 3 दिवस के भीतर भेजने का वादा किया गया, उस समय उनके कमरे में श्री दुबे मुख्य अभियंता, श्री साहू प्रशासनिक अधिकारी एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। लेकिन 7 जून 2016 तक प्रकरण लंबित है। श्री कुटारे प्रमुख अभियंता का कहना है कि मैं किसी से नहीं डरता न ही न्यायालय के आदेश का और न ही शासन के आदेश का परवाह करता हॅू। श्री कुटारे प्रमुख अभियंता द्वारा सभी कार्यरत उप अभियंताओं को भयाक्रांत कर रखा है तथा दो उप अभियंताओं को निलंबित भी करा दियाा है जिसके चलते हुये सभी वादी उप अभियंता सहमें हुये हैं लेकिन प्रकरण पर त्वरित लाभ नहीं दिया जाता है तो मैं भजन लाल गुप्ता सेवानिवृत सहायक अभियंता आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाऊंगा