पढाई की जगह मजदूरी कर रहे बच्चे : सरकारी योजनाएं भी बेअसर

Child labor chirmiri Child labor chirmiri
Child labor chirmiri

चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट 

  • प्रशासन के नाक के नीचे बाल मजदूरी 
  • सरकारी योजनाएं कागजो मे
  • कबाड़ में बचपन, स्कूल के नहीं दर्शन 

बालश्रम रोकने और इससे संब बच्चो को षिक्षा की मुख्य धारा से जोडने के लिए शासन स्तर पर विभिन्न योजनाओं को संचालित किया जा रहा हो लेकिन इसके बाद भी बालश्रम की स्थिति थमने का नाम नही ले रही है।

Child labor chirmiri
Child labor in chirmiri

हमने स्कुल जाने की उम्र में कबाड़ बिनने और मजदूरी कर आपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले ऐसे बच्चो की हालत जानने का प्रयास किया गया है। इस दौरन गंदे नाले से कबाड़ के रुप में खाली बोतलें, खाने पीने के डिब्बे उठाने वाले बच्चो से बात की गई तो उन्होंने अपना नाम बतने के बजाय अपनी मजबूरी को बंया करते हुए अपने अपने तरीके से अपनी बात को रखा। जिससे किसी का पिता तो किसी का के माता का निर्धन होने या उनके बीमार होने की बात बताई गई। इसी तरह से यहा पर कबाड़ बिनने वाले आठ से दस बच्चो ने परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण स्कुल जाने के बजाय सीधे मजदूरी का कार्य प्रारंभ करने की बात कही। बड़ा बाजार और हल्दीबाड़ी में कबाड़ से जुडे लोगोे के बिच की स्थिति भी काफी दयनीय देखी गई जहां पर कालम उठाने के उम्र में बच्चो को गंदे नाले के बिच खाली बोतले एवं कबाड़ बिनने का कार्य करना पड़ रहा है। जब कैमरे से फोटो ली गई तो अधिकांष बच्चे वहां से उठकर भाग गए। परिवारिक माहौल और परिस्थितियो के बिगड़ने के बीच मेहनत मजदूरी करने वाले ऐसे सैकड़ो बच्चे आज स्कुल की दहलीज तक नही पहुंच रहे है। जिससे अषिक्षा जैसे अभिषाप के साथ साथ बालश्रम भी समाज में तेजी से पनपता जा रहा है।

राकेश उम्र 08 वर्ष पिता स्व0 रामाधर से पुछा गया तो उसने आपने शब्दों में बताया की जब मै छोटा था तक मेरे पिता का निर्धन हो गया उसके बाद मेरी माॅ ने मुझे छोड़ दिया तब से मैं भीख मांगता हुं और अपने नाना के पास रहता हुं और मुझे मेरा नाना स्कूल नही जाने देता है।

Child labor
Child labor
  • कागजों पर चल रहीं है योजनाएं

बालश्रम पर नियंत्रण बनाने के लिए विभागीय स्तर पर कुछ योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। लेकिन इनका क्रियान्वयन भी कागजों तक सीमित है। जानकार बताते है कि इंडस केन्द्रों के माध्यम से ऐसे बच्चों को षिक्षा की धारा से जोडने की कवायद की जा रही है, लेकिन इन केन्द्रों पर बच्चों की उपस्थिति देखकर स्पष्ट हो जाता है कि यह योजनाएं भी महज औपचारिक ही बनकर रह गई है, जिससे बालश्रम जैसी विसंगति खत्म नही हो पा रही है।

श्रम एंव रोजगार मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के उच्च अधिकरी श्री अनिल कुमार काचीं जे.एस 09818872273 से जब हम ने बात कि तो उनका कहना था हमने सभी राज्य सरकार को इस विषय में पत्र प्रेषित किया है। और कितने ऐसे बच्चे है उन्को चिन्हाकित कर रिपोट तैयार कर भेजे । उसे बाद उनके विकास के लिए योजना बनाई जायेगी

 

जिला शिक्षा अधिकारी कामयामी कश्यप का कहना है कि ऐसे बच्चों को चिन्हाकितं कर स्कुलो में दाखिल कर दिया गया है। और जो बच गए है उनको चिन्हाकितं किया जा रहा है, और उनको सर्व षिक्षा अभियान से जोड़ा जा रहा है। आने वाले दिनों में सभी बच्चे जो 06 वर्ष से 14 तक के है उनको षिक्षा से जोड़ लिया जायेगा एवं उनके लिए विषेष अभियान भी चालाया जाये गा।