नसबंदी षिविर को लेकर कांग्रेस के पांच सवाल

नसबंदी कांड मरीजों का मेडिकल बुलेटिन तत्काल और नियमित रूप से जारी हो
नसबंदी मामले में हुयी मौतों की जिम्मेदारी से रमन-अमर कब तक बचेंगे?
रायपुर18 नवंबर 2014

कांग्रेस ने बिलासपुर नसबंदी षिविर के बाद गंभीर रूप से वेंटीलेटर पर रखी महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरी चिंता जाहिर करते हुये कांग्रेस ने इन महिलाओं के स्वास्थ्य के हालात पर मेडिकल बुलेटिन तत्काल और नियमित रूप से जारी करने की मांग की है। प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पूरा प्रदेष इन महिलाओं के वर्तमान स्वास्थ्य जानने के लिये चिन्तित है, इसलिये सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य की जानकारी से नियमित रूप से प्रदेष की जनता को अवगत करायें। बिलासपुर में आयोजित नसबंदी षिविर के बाद हुयी 15 से अधिक लोगों की मौत ने कई सवाल खड़े किये है। कई सवाल छत्तीसगढ़ और खास तौर पर बिलासपुर में चैक-चैराहों पर आम लोगो के बीच खड़े है। जिनके जवाब कम से कम अभी तक सामने नहीं आयें है। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ सरकार से अपेक्षा की है कि पांच सवालों के उत्तर सार्वजनिक रूप से दिया जायें।
1    पेंडारी नसबंदी षिविर का आयोजन पेंडारी में ही कैसे हुआ?
उपलब्ध सरकारी दस्तावेज बताते है कि इस साल नवंबर महीने में बिलासपुर जिलें में नसबंदी के लिये 29 षिविर लगने थे। लेकिन उस सूची में पेंडारी और बंद पड़े निजी अस्पताल का कहीं नाम नहीं है। नसबंदी षिविर का आयोजन कैसे हुआ और भवन कैसे सौपा गया? यहां तक कि आठ नवंबर को वहां किसी षिविर का भी कोई जिक्र तक सरकारी दस्तावेजों में क्यों नहीं है।
2    न्यायिक जांच का जिम्मा अनिता झा को ही बार-बार क्यों?
सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिये सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायधीष अनिता झा का एकल न्यायिक आयोग बनाया है, उन्होने सेवानिवृत्ति के बाद छत्तीसगढ़ वाणिज्यिक कर अभिकरण में अध्यक्ष बनने के लिये आवेदन किया है। इस वाणिज्यिक कर विभाग का जिम्मा स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के पास ही है। इसके अलावा सरगुजा में छह जुलाई 2011 को पुलिस द्वारा माओवादी बताकर आदिवासी लड़की मीना खल्खों की कथित हत्या के मामले में रमन सिंह सरकार ने 30 अगस्त 2011 को अनिता झा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग बना कर तीन महीने में रिपोर्ट पेष करने के निर्देष दिए थे। आज तीन साल से अधिक होने पर भी इस आयोग की जांच की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो पायी है। ऐसी परिस्थिति में सरकार ने फिर से अनिता झा से ही न्यायिक जांच कराने की घोषणा क्यों और कैसे की?
3    दवा की जांच और जांच रिपोर्ट की असलियत क्या है?
नसबंदी आॅपरेषन कांड में महिलाओं की मौत के लिये स्थानीय स्तर पर जांच के बाद सरकार ने सिप्रोसीन 500 दवा को जिम्मेदार माना है। महिलाओं को दूसरी दवाइयां भी दी गयी थी, क्या सरकार ने उनकी जांच भी लैब में कराई? अगर हां तो उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की गयी और अगर नही ंतो दूसरी दवाओं की जांच क्यों नहीं कराई गयी? साइंस कालेज लैब से करायी गयी कथित जांच के परिणाम सरकार क्यों सार्वजनिक नहीं कर रही है?
4    डाॅक्टरों पर दबाव क्यों था और उन्हें निषाना बनाकर किसको बचाना चाहती है सरकार?
सरकार ने चिकित्सकों को अधिक से अधिक नसबंदी आॅपरेषन करने के लिये लक्ष्य निर्धारित किया है और लक्ष्य की पूर्ति नहीं करने वाले डाॅक्टरों के वेतन भी रोके गए हैं? दबाव में डाॅक्टरों को अधिक से अधिक आॅपरेषन करने के लिये क्यों बाध्य किया गया? डाॅक्टरों को निषाना बनाने की रणनीति पर चलकर भाजपा सरकार चल रही है।
5    केवल एक ही दवा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों की गयी?
सरकार ने नसबंदी षिविर के बाद हुई मौतों के कारण 12 दवा और अन्य चिकित्सा सामग्री पर प्रतिबंध लगाया है। लेकिन मामला केवल एक कंपनी महावर फार्मा के खिलाफ ही सिर्फ धारा 420 यानी धोखाधड़ी का मामला बिना किसी लैब रिपोर्ट के क्यों दर्ज किया गया है, दूसरी कंपनियो के खिलाफ भी ऐसी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी है? महावर फार्मा पर जानबूझकर फर्जी कमजोर मामला क्या इसलिये बनाया जा रहा है ताकि भाजपा और संघ के इस समर्पित कार्यकर्ता को भी बाद में सकुषल बचा कर अभी भाजपा सरकार को जिल्लत और शर्म से बचाया जा सके?