डाॅक्टरों की हैंडराईटिंग इंसानी जान की दुश्मन………..

Doctor's writing prescription
Doctor's writing prescription

चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की विशेष रिपोर्ट

 

कौन पढे़ डाॅक्टरों की पर्ची 

  • समूचे विश्व में डाॅक्टरों की गलत  हैडराईटिंग के प्रेस्क्रिप्षन की वजह से हरसाल आठ हजार से भी अधिक लोगों की मौत हो जाती है…..
  • नेषनल एक्रेडिटेषन बोर्ड फाॅर हाॅस्पीटल्स के अनुसार भारत में प्रतिदिन 50 लाख प्रेस्क्रिप्शन लिखी जाती है…
  • एक अनुमान के मुताबिक एक लाख से भी अधिक प्रेस्क्रिप्षन की दवाएं फार्मासिस्ट अनुमान के अनुसार देते है……….

 

Doctor's prescription 3
Doctor’s prescription 3

जिले में सरकारी और प्राईवेट अस्पतालो के डाॅक्टरों द्वारा लिखी जा रही दवा पर्ची को पढ पाना मरीज व परिजन के बस की बात नही है। हालत यह है कि मेडिकल स्टोर संचालक भी प्रेस्क्रिप्षन नही पढ़ पा रहै है। इसके चलतेे कई बार मरिजांे को गलत दवाएं मिल जाती है। या फिर केमिस्ट मरीज को डाॅक्टर के पास फिर से दवाओे का नाम पूछने के लिए भेज रहै हैं। इसके चलते मरीजो को घंटों भटकना पड़ रहा है। जिले के डाॅक्टरों के हाथों लिखे प्रेस्क्रिप्षन को पढ़ने में मेडिकल स्टोरवालों के भी पसीेने छुट रहे है। पर्ची पर डाॅक्टर जो दवा लिखते है। उसका इंग्लिष का पहला अक्षर तो समझ में आता है, लेकिन आगे की लिखावट डाॅक्टर ही जाने। इससे कई बार मरीजों को दवा दुकानों में वापस लौटना पड़ रहा है। मरीज दोबारा डाॅक्टर से दवा का नाम पूछकर आते है।या फिर साफ लिखावट में दवा लिखवातें है तब जा उन्हें दवाएं मिलती है। जिला अस्पताल में कार्यरत डाॅक्टर भी इससे सहमत है। डाॅ0 एस0एल चावड़ा का कहना है कि वह काॅफी स्पष्ट अक्षरो में दवा लिखते है। साथ ही मौखिक रुप से भी दवा का नाम व खाने के तरीके को बताते है। कई बार तो हिन्दी में भी दवा लिखकर देते हैं उनका कहना है कि मरीज को जो भी दवा लिखी जाए उसकी स्पेलिंग काफी स्पष्ट और सही हो ऐसा न होने से उसे गलत दवा मिलने का खतरा होता है। इससे मरीज की जान भी जोखिम में पड़ सकती है।

 

  • चिरमिरी समुदाय स्वस्थ्य केन्द्र मे कार्यरत डाॅक्टर आर आर गजभाये का कहना हैं कि ऐसी समस्या प्राईवेट क्लीनिक में ज्यादा देखने को मिलती हैं। वहा के डाॅक्टर इस तरिके से दवा लिखते है कि उसे सिर्फ उन्ही के मेडिकल स्टोर संचालक ही पढ पाते हैं।
  • छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पर्ची पर लिखे गए प्रेस्क्रिप्षन को साफ-साफ वा अग्रेजी के बडे अक्षर मे लिखने के लिए सभी जिला आस्पतालो को नोटीस भी जारी किया गया है।एंव डाॅक्टरों के में जागरुता अभियान भी चलाया गया है।
  • बेंगलुरु एवं तमिलनाडु में छपी हुई पर्ची देने की व्यवस्था शुरु हो गई है।
  • प0बंगाल में हाई कोर्ट के निर्देंष पर दवाएं साफ-साफ अक्षरों में लिखने का आदेष हाल ही में दिया गया है।

 

क्या हैं एमसीआई का निर्देषDoctor's prescription 5

मेंडिकल काउसिल आॅफ इंडिया के नियमो में स्पष्ट लिखा है कि डाॅक्टरों को अपनी पर्ची साफ-साफ बडे अक्षरो में लिखनी होगी। इसी तरह निजी अस्पतालों को मान्यता देने वाले नेषनल एक्रेडिटेषन बोर्ड फाॅर हाॅस्पीटल्स हेल्थकेयर प्रावाइडर्स के नियमों के मुताबिक निजी आस्पतालों को मन्यता संबंधी शर्त में यह साफ लिखा होता है कि दवा कि पर्ची बडे और साफ अक्षरो में लिखनी होगी।

 

क्या कहते है केमिस्ट

संचालक, रेडक्रास मेडिकल स्टोर जिला अस्पताल का कहना हे कि कई बार हमारे पास ऐसी दवा पर्ची आती है, उसे पढ़ना मुष्किल होता है। ऐसे मे मरीज को दवा का नाम फिर से पुछकर आने को या स्पष्ट अक्षरों में नाम लिखने को कहते है।

Doctor's prescription
Doctor’s prescription

 

महमाया केमिस्ट गोदरीपारा चिरमिरी
का कहना है कि हर दिन एक या दो ऐसी प्रेस्क्रिप्षन पर्ची आती है, जिसकी लिखावट पढी नही जा सकती ऐसे डाॅक्टरो को फोन कर पुछना पडता है।

 

आम आदमी की राय

चिरमिरी निवासी उपेन्द्र जैन सोने के व्यापारी का कहना है कि डाॅक्टर जो दवा लिखते है, उनमें कई दवा का नाम पढना मेरे बस में नहीं होता । मेडिकल स्टोर वाले संचालक भी दवा को नही पढ पाता दो डाॅक्टर के पास दुबारा जाना पडता है।

बैकुन्ठपुर निवासी विकास ने बताया कि मेरे पिता के लिए डाॅक्टर ने सर्दी और खांसी की दवा लिखी थी लेकिन दुकानदार ने गलती से उनको डायबिटीज की दवा दे दी वह तो मैने डाॅक्टर को दवा दिखाई तब गलती पता चला । वरना क्या होता कहना मुष्किल है।

 

 

कारवाई का प्रवधान नही

मौजूदा समस्या इस लिए है क्योकि एमसीआई के नियमों में अस्पष्ट अक्षरों में पर्ची लिखने वाले डाॅक्टरों के खिलाफ कार्रवाही का कोई प्रवधान नही है। जबकि ब्रिटेन में फामीसिस्टो की षिकायत पर संबधित डाॅक्टर का पंचीकरण रद्द हो सकता है।