चुनाव नजदीक आते ही नेता जी को याद आई क्षेत्र की समस्या.. कहीं चुनावी बुखार तो नहीं..?

बलरामपुर (कृष्णमोहन कुमार) अब तो लगता है कि,चुनाव का मौसम आ गया हो,नही तो जिन नेताओ को स्थानीय जनता से पंचवर्षीय कार्यकाल में कोई सरोकार का ना हुआ हो,तथा माननीय प्रदेश की राजधानी में तमाम सुख सुविधाओं से लैस हो ग्रामीण परिवेश से दूर अपना जीवन यापन कर रहे हो,उन्हें क्या जरूरत की वे जनता से अचानक मेल मिलाप कर उनकी समस्याओं को हरने का कष्ट कर रहे हो।

कही चुनावी चकल्लस तो नही…?

दरसल जिले में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से बहुत से विकास कार्य हुए,लेकिन इन विकास कार्यो में संलग्न मजदूरों यही नही अन्य हितग्राही मूलक योजनाओ में पंचायत स्तर के कर्मचारियों की लापरवाही से पिछले एक दो बरस से मजदूरी का भुगतान नही हो पाया,और जिन -जिन गावो के मजदूरों ने मजदूरी भुगतान से लेकर अन्य शिकायते मिली उसे प्रशासन ने तेजी के साथ निपटाया, बावजूद इन सबके एक कद्दावर माननीय का बीते कुछ महीनों में ग्रामीणों का इतना मोह मानो लगता है कि,माननीय विधानसभा की दहलीज पर तीसरे बार जाने को आतुर हो।

भरपेट भोजन और आवागमन की निःशुल्क व्यवस्था

इन दिनों जिला पंचायत में शंकरगढ़ और कुसमी ब्लाक से जबरदस्त तरीके से मनरेगा मजदूरी भुगतान के अलावा अन्य शिकायतो के मामले सामने आ रहे है, तथा ग्रामीण एकजुट होकर माननीय के साथ मुख्यालय में दस्तक दे रहे है। ऐसा नही है कि इन ग्रामीणों की समस्या पहले नही थी,और ना वे कभी स्थानीय प्रशासन के मुखिया से मुखतिब ना हुए हो,लेकिन यहाँ तो सवाल है माननीय के साथ जिले के आला हुक्मरानों से मिलने का,और यह मौका भला कौन ग्रामीण छोड़ेगा ,जिन्हें दो वक्त का भरपेट भोजन और आवागमन की सुविधा निःशुल्क मिलती हो। ऐसा ही ताजा उदाहरण आज बलरामपुर जिला पंचायत परिसर में देखने को मिली ,जहाँ दर्जनभर से अधिक ग्रामीण माननीय के साथ एकजुट होकर शिकायत करते नजर आए।

सत्तापक्ष में रहकर लोक सुराज को तो ठेंगा नही..?

गौरतलब है कि प्रदेश में प्रशासन की गाँव गाँव मे दस्तक देने की योजना ग्राम सुराज का आगाज हो चुका है,और पहले चरण में प्राप्त शिकायतों के लिए दूसरा चरण जारी है,ऐसे में सत्तारूढ़ दल के एक माननीय यह करतूत बहुत कुछ कह रही है।