खिडकी से देखा तो ,, मास्टर साहब की टेबल मे बच्चे खेल रहे थे ऐसा खेल……

अम्बिकापुर… स्कूल मे बच्चो की फ्रिक करने वाले शिक्षक इन दिनो बेफिक्र होकर हडताल मे है,, शिक्षाकर्मियो की हडताल की वजह से रेगुलर शिक्षक स्कूलो की बागडोर संभाल रहे है,, ऐसे मे इन दिनो स्कूल मस्ती की पाठशाला बन गई ,,,, आलम ये है स्कूल मे बचे कुचे शिक्षक  मैदान मे कुर्सी डाल कर धूप सेंक रहे है तो वही क्लास रूम मे नौनिहाल बच्चे प्लेयिंग कार्ड खेल कर टाईम पास कर रहे है,,,

शिक्षको की लापरवाही और अनदेखी कभी कभी देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चो के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है,, शिक्षको की लापरवाही से “ज्ञान को लगातार पाना हैं तो किताबों को अपना हथियार बनाना हैं” जैसे बडे बडे स्लोगन का अर्थ झूठा सा लगने लगता है,, ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योकि सूरजपुर जिले के मुख्यमार्ग मे स्थित चंद्रमेढा गांव के शासकीय प्राथमिक शाला के अंदर का वो सच सामने आया है,, जिससे देख सुन कर आप भी सोंचने पर मजबूर हो जाएगें, जिसको देखकर “किताबो का हथियार” बनाने वाला फार्मुला बेईमानी सा लगने लगेगा,, क्योकि चंद्रमेढा के शासकीय प्रायमरी स्कूल मे बच्चे किताबो की जगह प्लेईंग कार्ड खेल रहे है,, मतलब जिस उम्र मे शिक्षक बच्चो को “म” से “मछली जल की रानी है” जैसे ज्ञानवर्धक गीत सिखा सकता है , उस उम्र मे शिक्षक बच्चो को “म” से माचिस के रेपर का प्लेईंग कार्ड खेलने के लिए क्लास रूम मे छोड देते है और खुद बाहर धूप सेंक रहे है और फिर बडी बेबाकी से कह रहे है,, बच्चो को ये खेल खेलने मे बडा इंटरेस्ट आता है,,

gngaram painkra teacherबच्चो का लगता है इंट्रेस्ट इसी बडी लापरावाही और बच्चो के भविष्य को चौपट करने की जिम्मेदारी रखने वाले चंद्रमेढा शासकीय प्राथमिक शाला के शिक्षक गंगा राम पैकरा से जब हमने बताया कि बच्चे अंदर माचिस के रेपर का खेल खेल रहे है तो पहले तो उन्होने कहा कि उनको ये खेलने मे बडा इंट्रेस्ट आता है बच्चे इसको अच्छे से खेलते है , बाद मे उन्होने कहा कि बच्चे उसको गिनते है जिससे उनका गणित मजबूत होता है।

अब आप ही बताईए जिन शिक्षको पर क्लास रूम मे बैठकर बच्चो को बेहतर भविष्य़ की तालीम देने का जिम्मा है , वो खुद बाहर मैदान मे बैठकर धूप सेंक रहे है औऱ अंदर क्लास रुम मे उनकी जानकारी मे नौनिहाल ,नासमझ बच्चे शिक्षक के बेंच पर बैठकर मासिच के रेपर से बना प्लेईंग कार्ड खेल रहे है,, हालाकि जब उनके भविष्य को गढने वाले शिक्षक बेशर्मी के साथ ये स्वीकार करते हो कि उनको ये खेलने में मजा आता है तो फिर किसी परिणाम से अंजान बेफिक्र बच्चो को तो मजा आना लाजमी है,,, लेकिन जब इस संबध मे हमने जब हमने से बात की तो उन्होने कहा कि वो माचिस के रेपर को गिनते नही गिरते है , और ये पढाई नही खेल है , दरअसल स्कूल की खिडकी से हमने देखा कि बच्चे एकदम वैसा ही खेल खेल रहे थे जैसा कि ताश के कटपत्ती खेल मे रुपयो का दांव लगा कर खेला जाता है लेकिन पहले जितनी बेशर्मी से इस शिक्षक ने ये स्वीकार किया कि बच्चो को ये खेलने मे इंट्रेस्ट आता है , क्लास मे रुम मे आने के बाद उतनी ही बेशर्मी से वो पत्ते गिरने को गिनना बता कर इसे गणित का खेल बताने से भी बाज नही आए।

अब होगी कार्यवाही इधर इस मसले की जानकारी हमारे द्वारा सूरजपुर जिले के जिला शिक्षा अधिकारी राजेश सिंह को दी गई , तो उन्होने मामले की जानकारी हमारे द्वारा दिए जाने की बात कहते हुए शिक्षक गंगा राम पैकरा के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही है,,

इस तरह की लाचार शिक्षा व्यवस्था और बेपरवाह शिक्षको को देखकर उस फिल्म का गाना याद आता है हर फिक्र को धुंए मे उडाता चला गया,, बहरहाल ऐसे शिक्षको पर कोई कार्यवाही हो सकेगी या फिर किसी स्कूल मे बच्चे माचिस के रेपर मे प्लेईंग कार्ड खेलते नजर आएगें……. साहब

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