कोरोना संक्रमित की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु होने की वजह से 11 दिन बाद किया गया पोस्टमार्डम

रायपुर. रीवां गांव की 29 वर्षीय एक युवती अनिता ढीढी जो की कोरोना संक्रमित थी उसे 1 सितम्बर को रिम्स अस्पताल, गोढ़ी में डॉक्टरो द्वारा मृत घोषित कर दिया गया था, घोषित किए जाने के बाद शव के पंचनामा की कार्यवाही कर पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आरंग भेजा गया था। किन्तु मृतका के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद शव आरंग से लाकर रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में रख दिया गया था।संयुक्त संचालक एवं डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि शव को रायपुर लाने के बाद संबंधित क्षेत्र के थाने के पुलिस एवं मृतका के परिजनों को शव की पहचान के लिए बुलाया गया किन्तु वे उस सव की पहचान करने में असमर्थ रहे ,

पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम के लिए 11 सितम्बर को प्रार्थना पत्र दिए जाने पर उसी दिन डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के शवगृह (Mortuary) में विगत 1 सितम्बर से रखे मंदिरहसौद के रीवां गांव की कोरोना संक्रमित युवती के शव का पोस्टमार्टम किया गया। उल्लेखनीय है कि रीवां गांव की 29 वर्षीया युवती अनिता ढीढी को 1 सितम्बर को रिम्स अस्पताल, गोढ़ी में मृत अवस्था में लाया गया था। वहां डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद शव के पंचनामा की कार्यवाही कर पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आरंग भेजा गया था। मृतका के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद शव आरंग से लाकर रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में रखा गया था। परिजनों द्वारा सव की पहचान किये बिना पोस्टमार्डम नहीं किया जा सका क्युकि पोस्टमार्टम प्रार्थना पत्र के बगैर पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता। तीन दिन बाद जब परिजनों द्वारा शव की पहचान कर ली गई तब कोरोना पॉजिटिव होने का हवाला देते हुए पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाने से इन्कार कर दिया।
अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि पोस्टमार्टम नहीं कराने के लिए मंदिर हसौद थाना प्रभारी के द्वारा 9 सितम्बर को आवेदन दिया गया। । इसमें लिखा था कि कोरोना पॉजिटिव केस होने के कारण शव के पोस्टमार्टम कराने की आवश्यकता नहीं है। जबकि शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक कोविड पॉजिटिव मरीजों के मेडिको-लीगल केस या संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु होने पर पोस्टमार्टम अनिवार्य होगा।अंततः पुलिस द्वारा 11 सितम्बर को पोस्टमार्टम के लिए प्रार्थना पत्र दिए जाने के बाद उसी दिन परिजनों के समक्ष पोस्टमार्टम करवाया गया और बिसरा को पुलिस के माध्यम से जांच के लिए भेजा गया। उन्होंने बताया कि संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत में पोस्टमार्टम मेडिको-लीगल केस की अनिवार्य प्रकिया है। यदि बिना पोस्टमार्टम के शव की सुपर्दुगी परिजनों को कर दी जाती तो भविष्य में मृतका से संबंधित चिकित्सकीय-विधिक प्रकरणों की अवमानना होती।