छत्तीसगढ के नक्सली हिंसा मे सतना का एक वीर सपूत भी हो गया शहीद..

11 मार्च को छत्तीसगढ के सुकमा मे हुई नक्सल हिंसा मे सतना के सपूत मनमोहन सिंह भी शहीद हो गए है।
Martyr MANMOHAN SINGH

सतना से पी मनीष की रिपोर्ट

छत्तीसगढ के सुकमा मे हुई नक्सली हिंसा मे की आंच मध्य प्रदेश के सतना तक पंहुच गई है। सतना जिले के सेमरी गांव के रहने वाले मनमोहन सिंह भी इस हिंसा मे शहीद हो गए है। गांव के चहेते मनमोहन की मौत से गांव मे मातम का सन्नाटा तो पसरा है , लेकिन 36 घंटे बीतने के बाद भी शहीद मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव सेमरी तक नही पहुँच पाया है ! शहीद के पार्थिव सरीर के इंतजार में बैठे है

छत्तीसगढ में हुए नक्सली हमले में जहाँ 16 जवान शहीद हुए वही मध्य मध्यप्रदेश के सतना जिले के समेरी गाँव के एक सपूत मनमोहन SEMARI 1सिंह भी सुकमा नक्सली हमले में शहीद हो गए है । मनमोहन सी आर पी ऍफ़ के 80 बटालियन में ए एस आई थे ,, और हाल ही में 24 फरवरी को छुट्टियां बिताने अपने गाँव आये थे,, लेकिन 2 मार्च को बटालियन के बुलावे परSEMARI 2 वो इलाबाद रवाना हो गए थे,,  जहाँ से उनको छत्तीसगढ के जगदलपुर मे डियूटी के लिए भेजा गया था ! जहाँ मंगलवार को सर्चिंग के दौरान मनमोहन सुकमा में हुए नक्सली हमले में शहीद हो गए । इस हादसे के बाद राज्य शासन ने शहीद परिवार को भले ही 10 लाख रूपए कि राहत राशि की घोषणा कर दी है लेकिन परिजनो को तो बस इंतजार है अपने वीर सपूत के पार्थिव शरीर का जिसको भेजने मे काफी विलंब हो गया है।

छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली मुठभेड़ में जहाँ 16 जवान शहीद हुए है उनमे से एक जवान सतना के सेमरी का रहने वाला  था । जिसके शहीद होने की खबर मिलते ही इलाके में मातम का सन्नाटा पसर गया।  क्षेत्र के लोग अब शहीद के पार्थीव शरीर के इंतजार में बैठे है ! परिजन की माने तो  सीआरपीएफ के जिम्मेदार अधिकारीयों द्वारा घटना की जानकारी परिजनो को नहीं दी गयी इतना ही नहीं 36 घंटे बीत जाने के बाद भी शहीद मनमोहन सिंह परिहार का शव उन तक नहीं पहुंच पाया ! शव के इंतजार SEMRI 4मे परिजनो और ग्रामीणो की आँखे के आंसू से भी सूखने लगे है !

SEMRI 3ऐसे मे शहीद मनमोहन सिंह के भाई का आरोप है  देश भक्ति के जज्बे के साथ जवान देश के लिए लड़ते हुए शहिद तो हो गया है ,, लेकिन छत्तीसगढ़ प्रसासन और सीआरपीएफ के अधिकारीयों की गैर संवेदनशीलता के चलते मनमोहन के पार्थिव सरीर को अब तक गाँव की मिट्टी नसीब नहीं हुयी !

शहीद मनमोहन की नक्सली हमले में मौत के बाद परिजनो का रो-रो कर बुरा हाल हो गया ,,और गांव मे मातमी माहौल पसरा है ,हांलाकि राज्य शासन ने मुआबजे के एलान के सहारे मरहम से आंसू पोंछने का काम जरुर किया है! लेकिन बावजूद इसके शहीद का पार्थिव शरीर अब कर उसके गांव नही पंहुचा है।