छत्तीसगढ़ में ईडी की हलचल दिल्ली तक, AICC ने बताया मोदी सरकार की तानाशाही

नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं के ठिकानों पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के छापेमारी की हलचल दिल्ली तक पहुँच गयी हैं। AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) ने छापेमारी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि मोदी सरकार के तानाशाही राज में ED का नया नाम है, और नया काम Eliminating Democracy (लोकतंत्र को खत्म करना) है।

एआईसीसी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ईडी के छापेमारी पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि 2004-14 के बीच में ED ने 112 छापे मारे, जो मोदी सरकार के 8 सालों में बढ़कर 3010 हो गए. मोदी के रेड राज में ED ने जिन राजनेताओं पर रेड की, पूछताछ की, उनमें से 95% विपक्ष के हैं। जब-जब भाजपा डरती है, ED को आगे करती है।

उन्होंने कहा कि नेशनल हेरल्ड पर ED ने रेड की थी, राहुल गाँधी से ED ने 50 घंटे से अधिक पूछताछ की थी, सोनिया गाँधी से ED ने तीन दिन पूछताछ की थी। मल्लिकार्जुन खरगे से ED ने 7 घंटे तक पूछताछ की थी। अब जब अत्यंत सफ़ल भारत जोड़ो यात्रा के बाद छत्तीसगढ़ में हमारा महाधिवेशन हो रहा है, तब छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर मोदी सरकार ED से रेड करवा रही है। पीसीसी कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, भिलाई विधायक देवेंद्र यादव, गिरीश देवांगन, आरपी सिंह, विनोद तिवारी और सन्नी अग्रवाल के निवास व कार्यालयों में ईडी की कार्रवाई जारी है।

खेड़ा ने 2014 से ईडी के जाल में विपक्ष के पार्टीवार लिस्ट बताते हुए कहा कि कांग्रेस पर 24, टीएमसी पर 19, एनसीपी पर 11, शिवसेना पर 8, डीएमके पर 6, बीजद पर 6, राजद पर 5, बीएसपी पर 5, एसपी पर 5, टीडीपी पर 5, इनेलो पर 3, वाईएसआरसीपी पर 3, सीपीएम पर 2, एनसी पर 2, पीडीपी पर 2, इंडस्ट्रीज़ पर 2, AIADMK पर 1, MNS पर 1 और SBSP पर 1 छापा मारा गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जब कांग्रेस का हिस्सा थे, तब सीबीआई पर ने 2014 में उनके घर की शारदा चिटफंड घोटाले की जांच की थी, और कार्यालय पर छापा मारा और उनसे पूछताछ भी की। हालांकि, उनके भाजपा में प्रवेश के बाद भाजपाई “वाशिंग मशीन” से धुलकर वो सफ़ाचट हो गए। अन्य उदहारण सुवेंदु अधिकारी, येदियुरप्पा, रेड्डी ब्रदर्स, नारायण राणे, मुकुल रॉय हैं।

उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी से 2 सवाल करना चाहते हैं। पहला मीडिया जब छापती है, तो आप छापा मारते हैं, संसद में आप विपक्ष को बोलने नहीं देते। न्यायपालिका को आप सार्वजनिक तौर पर प्रेस वार्ता करने पर मजबूर करते हैं।