आप लिखे, खुदा बांचे, की तर्ज पर चल रही डॉक्टरों की लिखाई…

[highlight color=”blue”]दवा देने वाले भी नहीं समझ पा रहे की देनी है कौन सी दवा[/highlight]

 

[highlight color=”black”]अम्बिकापुर [/highlight][highlight color=”red”]दीपक सराठे[/highlight]

 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि अस्पताल में मरीजों की पर्ची में लिखी जानी वाली दवा का नाम केपीटल अक्षरों व साफ शब्दों मे लिखी जाये, परंतु स्थानीय जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों पर शायद इस निर्देश का कोई असर नहीं। यहां मरीजों की पर्ची पर लिखी जाने वाली दवाओं के नाम को देखकर दवा देने वाले काफी देर तक असमंजस में रहते हैं और अंत में मरीज को वापस भेजकर पुनरू दवा का नाम पूछकर आने की हिदायत देते हैं। यह सिलसिला यहां लम्बे समय से चलता आ रहा है। इस अव्यवस्था से जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में निशुल्क दवा वितरण कक्ष के लोग पूरी तरह से परेशान हो चुके हैं।

जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज के निशुल्क दवा कक्ष में कुछ पुराने कर्मचारियों सहित वर्तमान में प्रशिक्षण के लिये पहुंचे कार्यकर्ताओं द्वारा दवा का वितरण मरीजों को किया जाता है। चिकित्सको द्वारा पर्ची पर लिखी गई दवा को देखकर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोग दवा के नाम का शुरू का अक्षर तक नहीं पहचान पाते। खैर यह तो प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों की बात है जो लोग वर्षों से अस्पताल में सेवा दे रहे हैं वे भी कभी कभी पूरी तरह से असमंजस में पड़ जाते हैं। कई चिकित्सकों द्वारा लिखी गई दवा की पर्ची को निजी दवा दुकानों के लोग भी नहीं समझ पाते। अलबत्ता मरीज या फिर उनके परिजनों को वापस उक्त डॉक्टर के पास सही तरीके से पर्ची में दवा लिखने के लिये भेज दिया जाता है। दूसरी तरफ चिकित्सको का यह कहना है कि अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ होने के कारण वह अपनी लिखावट पर ध्यान न देकर आनन-फानन में किसी भी तरह पर्ची पर दवा का नाम लिख देते हैं। बहरहाल चिकित्सकों के द्वारा मरीजों को दी गई दवा की पर्ची आप लिखे, और खुदा बांचे की तर्ज पर ही चल रही है।