वजन त्यौहार में क्या सामने आ पायेगी सरगुजा में कुपोषण की हकीकत.?

[highlight color=”red”]आंकड़ो में चल रही गड़बड़ी और कुपोषण दूर करने का दावा[/highlight]

 

[highlight color=”black”]अम्बिकापुर [/highlight][highlight color=”red”]दीपक सराठे [/highlight]

 

सरगुजा में लम्बे समय से कुपोषण दूर करने के लिये की जा रही कवायद व दावों के बाद भी जो सही आंकड़े हैं उनमें गड़बड़ी की जा रही है या फिर यह कहा जा सकता है कि आंगनबाड़ी में कार्यकर्ताओं द्वारा सरगुजा से कुपोषण दूर करने का दावा करते हुये गलत आंगड़े तैयार किये जा रहे हैं। इन दिनों चल रहे वजन त्यौहार में शायद विभाग व शासन के सामने सरगुजा में कुपोषण की हकीकत तस्वीर सामने आ सके। महिला बाल विकास विभाग का दावा है कि वर्ष 2015 मार्च तक जिले मे कुपोषण की स्थिति 29 प्रतिशत थी और वर्तमान में एक माह पहले की स्थिति घटकर 16 प्रतिशत हो गई है। यह आंकड़ा आंगनबाड़ी केंद्रो के जरिए ही जुटाया गया है। जबकि हकीकत की बात करें तो इन आंकड़ो मे 10 प्रतिशत तक गड़बड़ी की गई है।

छत्तीसगढ़ के बच्चों में कुपोषण दूर करने के सरकारी प्रयास कारगर नहीं हुये तो अब आंकड़ो में गड़बड़ी की जा रही है। सरगुजा की बात करें तो यहां जिले में कुपोषण दूर करने नवजतन योजना के साथ-साथ सैकड़ो कुपोषित बच्चों को जनप्रतिनिधियों, समाज सेवी संस्थाओं में गोद भी लिया था। उन बच्चों को अच्छा आहार देकर उन्हें सुपोषित करना था। इन सबके बाद भी नगर मुख्यालय के स्लम इलाकों में अभी भी कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ी है। मजे की बात यह है कि उन इलाकों में स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों की सहायिकाओं व कार्यकर्ताओं के द्वारा बच्चों के वजन में हेरा-फेरी की शिकायत आने लगी है। यह भी कहा जा सकता है कि कुपोषण की सही स्थिति को छुपाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों का वजन का रिपोर्ट सम्मिट करने में गड़बड़ी की जा रही है। नगर के सरदार पारा से भी ऐसा मामला सामने आया है। जहां कई बच्चे कुपोषित होते हुये भी उन्हें नार्मल होना बताया गया। नगर मुख्यालय से लेकर जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में शासन द्वारा गुणवत्ता उन्नयन अभियान के तहत उन्नयन करना था, लेकिन अभी भी बच्चो के वजन की नाप लेने के लिये इन केंद्रों में पर्याप्त सुविधा नहीं है। यह भी एक वजह हो सकती है कि कुपोषित बच्चों के वजन का सही आंकड़ा शासन के सामने नहीं आ पा रहा है। ऐसे में वर्तमान में आंगनबाड़ी केंद्रों में चल रहे वजन त्यौहार में कुपोषित बच्चों की सही संख्या शायद ही पता चल सके। महिला बाल विकास के अधिकारियों ने जो दावा किया है कि पिछले माह तक जिले में 16 प्रतिशत कुपोषित बच्चों की संख्या दर्ज की गई थी और उसकी वर्तमान तस्वीर इस वजन त्यौहार में एक सप्ताह बाद वे सामने ला सकेंगे।

[highlight color=”blue”]सुपरविजन की भी है कमी[/highlight]

जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में सही तरीके से बच्चों के वजन का नाप नहीं होने को लेकर सुपरविजन की कमी भी मानी जा रही है। महिला बाल विकास के द्वारा सुपरवाईजर होने के बावजूद ऐसी बातें सामने आ रही है कि उनके द्वारा आंगनबाडियों में सुपरविजन का काम सहीं तरीके से नहीं किया जा रहा है। जहां तक कुपोषण के आंकड़ों में हेर-फेर का सवाल है तो इसके लिये अगर दूसरे आंगनबाड़ी केंद्रों के लोगों को अलग केंद्रों में भेजकर जांच कराई जाये या फिर अधिकारियों की विशेष टीम बनाकर जांच हो तो पूरे मामले में सच्चाई सामने आ सकती है।

[highlight color=”blue”]कुपोषित बच्चों की संख्या में आई है कमी-सिसोदिया[/highlight]

महिला बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी सीएस सिसोदिया ने कहा कि कुपोषण की असली तस्वीर को लेकर वर्तमान में वजन त्यौहार मनाया जा रहा है। जहां तक गलत आंकड़े का सवाल है ऐसा नहीं है। हो सकता है बाहर से आये खाना बदोस लोग जो आंगनबाड़ी के कवरेज में न हो उससे संख्या में हेरफेर हो सकता है, परंतु आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को वजन सही लिया जा रहा है। पहले के मुकाबले जिले में कुपोषण के आंकड़े में कमी आई है।