डायरिया और खून की कमी से महिला की मौत

झोला छाप डाक्टर से इलाज के बाद अस्पताल मे कराया गया था भर्ती

अंबिकापुर

सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रो में डायरिया का प्रकोप अब भी नहीं थम रहा है। संभाग मुख्यालयय अम्बिकापुर के मेडिकल कालेज अस्पताल मे आज डायरिया पीडित एक महिला की मौत हो गई है। महिला इससे पहले एनीमिया और सिकलिन जैसी बिमारी से भी ग्रसित थी। जिसे आज सुबह तबियत बिगडने के बाद ही अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। इससे पहले महिला के परिजन उसका इलाज झोलाछाप डाक्टर से करा रहे है।

संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर लगे हुए मेंड्रा कला के कृष्णापुर निवासी 27 वर्षीय अनीता को आज सुबह मेडिकल कालेज जिला अस्पताल मे भर्ती कराया था। जिस वक्त महिला को अस्पताल मे दाखिल कराया गया था , उस वक्त महिला की स्थिती काफी ही नाजुक थी। लिहाजा कुछ देर के इलाज के बाद ही महिला ने दम तोड दिया। जानकारी के मुताबिक कृष्णापुर निवासी 27 वर्षीय विवाहित अनीता की खराब तबियत का इलाज परिजन पिछले दो दिनो से गांव के झोला छाप डॉक्टर से करा रहे थे, लेकिन उस इलाज के बाद जब उसे कोई आराम नहीं हुआ और हालत बिगड़ने लगी तब उसे आज सुबह पति और परिजनो ने गंभीर स्थिति में मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया,  जहां इलाज के दौरान कुछ ही घंटो मे उसकी मौत हो गई।

डायरिया के अलावा अन्य बिमारी भी

चिकित्सक डाँ जयपाल चंद्रवंशी ने बताया की महिला को बहुत गंभीर स्थति में अस्पताल के फीमेल मेडिकल वार्ड मे दाखिल कराया गया था। जाँच के बाद पता चला कि महिला पहले से ही एनीमिया सीकलिन की मरीज थी और डायरिया की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। इतना ही नही डाक्टर श्री चंद्रवंशी की माने तो एनीमिया और डायरिया दोनो बिमारी ही महिला की मौत की वजह मानी जा सकती है।

पहले भी हो चुकी है दर्जनो मौत

गौरतलब है कि तकरीबन दो महीने पूर्व जिले के मैनपाट और बतौली क्षेत्र मे 30 से अधिक लोगो की डायरिया से मौत हो चुकी है, जिसके बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर स्वास्थ विभाग ने उन क्षेत्रो मे मेडिकल कैंप लगाकर डायरिया पर नियंत्रण पाया था। लेकिन स्वास्थ विभाग के लाख प्रयास के बाद भी जागरुकता की कमी और छोला झाप डाक्टरो से इलाज की परंपरा ग्रामीण क्षेत्र मे फैलेने वाले डायरिया और मलेरिया जैसे रोगो के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।