मैनपाट की आदिवासी महिलाएं मधुमक्खी पालन को बना रही आय का साधन, पहली बार में 13 हजार रुपये का बेचा शहद

अम्बिकापुर : पारंपरिक खेती-बाड़ी एवं रोजी-मजदूरी कर जीवनयापन करने वाली मैनपाट के मांझी जनजाति की महिलाएं अब बेहतर आय के साधन  के रूप में मधुमक्खीपालन के व्यवसाय को अपना रही है। श्रीमती उर्मिला मांझी, राजवंती मांझी, सुकवारो मांझी सहित दस महिलाओं के द्वारा पहली बार 46 किलोग्राम शहद निकालकर 13 हजार रुपये की कमाई की है। कम समय मे अधिक आय मिलने से मधुमक्खीपालन के प्रति महिलाएं काफी उत्साहित हैं।
    कलेक्टर संजीव कुमार झा के निर्देशानुसार जिले में मधुमक्खीपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा गोठानो से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं के साथ ही व्यक्तिगत रूप से महिलाओं को निःशुल्क हनी बॉक्स वितरित किया जा रहा है। इसी कड़ी में मैनपाट जनपद के आदर्श गोठान कुनिया से जुड़ी सितारा स्व सहायता समूह  की महिलाओं को 5 तथा ग्राम कुनिया के मांझी जनजाति की 9 महिलाओं को 5-5 नग हनी बॉक्स वितरित किया गया। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा महिलाओं को मधुमक्खी पालन के संबंध में जानकारी हेतु प्रशिक्षण भी दिया गया है। इस प्रकार कुल 50 हनी बॉक्स से पहली बार मे उत्तम गुणवत्ता के 46 किलोग्राम शहद का उत्पादन हुआ है जिसे उद्यानिकी विभाग स्वयं 300 रुपये प्रति किलों की दर से खरीदा है। उप संचालक उद्यान के. एस. पैकरा ने बताया कि मैनपाट के आदर्श गोठान कुनिया के स्व सहायता समूह तथा ग्राम कुनिया के अन्य 9 महिलाओं को 5-5 नग मधुमक्खी बाक्स सहित एपिस मेलिफेरा प्रजाति के मधुमक्खी दिया गया है। बरसात के मौसम को छोड़कर एक महीने के अंतराल में मधुरस तैयार हो जाता है।  
    एफएसएसएआई द्वारा अनुमोदित- कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बताया कि मैनपाट में महिलाओं द्वारा मधुमक्खीपालन से उत्पादित शहद की गुणवत्ता उच्च मानक की है जिसका अनुमोदन भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा किया गया है। उन्होंने बताया कि यहाँ उत्पादित शहद के प्रसंस्करण के लिए तकनीकी विशेषज्ञों से परामर्श लेने उद्यानिकी एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। मैनपाट के शहद को अन्य राज्यों तक पहुंचाने के लिए विशेष ब्राडिंग की जाएगी तथा विपणन व्यवस्था भी बेहतर की जाएगी।