बारिश में संभाग के सबसे बड़े अस्पताल की ऐसी हो गई हालत.. टपकती छत के नीचे बिस्तर पर लेटे मरीज़, छतरी पकड़कर बचते दिखे लोग

अम्बिकापुर. मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन मरीजो को कितनी बेहतर स्वास्थ व्यवस्था दे पाता है.. ये किसी से छिपा नहीं है.. लेकिन अस्पताल की छत से बरसात के दिनो मे पानी टपकने लगता है.. ये तो आंखो से दिव्यांग व्यक्ति भी महशूश कर सकता है.. पर ना जाने क्यो अस्पताल प्रबंधन इस दुर्दशा से मरीजो को मुक्ति नहीं दिला पा रहा है.. जबकि ये मेडिकल कॉलेज प्रदेश के स्वास्थ मंत्री के घर से चंद कदमो पर संचालित है..

छत से टपकता पानी… टपकती छत के नीचे बिस्तर पर लेटे मरीज और टपके हुए पानी से बने तालानुमा फर्श को साफ करते कर्मचारी… ये पूरा नजारा आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला मुख्यालय मे संचालित मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है.. कहने के लिए तो इस मेडिकल कॉलेज की स्थापना सरगुजा संभाग की स्वास्थय व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए की गई थी.. लेकिन यहां के वर्षो पुराने भवन के अंदर संचालित अस्पताल की छत इतनी कमजोर हो गई हैं.. कि बारिश के दिनो मे यहां भर्ती मरीजो को दिन रात अपना बिस्तर टपकती छतो के नीचे से हटाकर इधर उधर करना पडता है..

जिला अस्पताल अम्बिकापुर में पैर टूट गया है.. तो एडमिट किये हैं. यहां पानी टपक रहा है. दिक्कत हो रहा है. बेड को इधर उधर सरकाते हैं जब पानी गिरता है.

रामनारायण, मरीज के परिजन

पानी टपक रहा है. बेड को इधर उधर खिसका रहे हैं. पानी टपकने की वजह से दूसरे दूसरे जगह जाकर सोना पड़ता है. मरीज को भी पानी टपकने की जगह से दूसरे जगह खिसका देते हैं.

गेदा राम, मरीज़ के परिजन

संभाग के पांच आदिवासी बाहुल्य जिलो के लोगो के लाईफ लाईन साबित हो सकने वाले अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की मरम्मत मे पिछले कई साल से लाखो रूपए खर्च किए जा चुके हैं.. लेकिन मरम्मत मे खुद का जुगाड बनता रहे.. इसलिए इसके नए निर्माण के लिए अब तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए.. लिहाजा अस्पताल के भीतर संचालित कई वार्ड मे बरसात के दिन मे कई बार पानी को वार्ड के बाहर निकालने के लिए कसरत की जाती है.. इधर इस गंभीर समस्या के सवाल के साथ जब हमने वरिष्ठ चिकित्सक औऱ कोविड वार्ड प्रभारी डाँ अनुपम मिंज से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया.. तो उन्होने बताया कि कोविड वार्ड बनाने के लिए कई वार्डो को पुराने भवन मे शिफ्ट किया गया है.. जिससे ये समस्या आ रही है..

जिला अस्पताल जब था. तो हमारे एक नक्कीपुरिया वार्ड था. जिसमे सारे मरीज़ों को भर्ती कराया जाता था. बेसिकली मेडिसिन के मरीजों को भर्ती कराया जाता था. उसके बाद इधर जब इनोवेशन हुआ तो.. हमने मेल ऑर्थो वार्ड, फीमेल ऑर्थो वार्ड, सर्जिकल वार्ड ये सब यहां पर बना हुआ था.. लेकिन जब कोविड-19 हॉस्पिटल बनाने गए. तो फिर सारे मरीज़ों को नक्कीपुरिया वार्ड में शिफ्ट कर दिया. जानते हुए की वह जर्जर स्थिति में है.. और इसके लिए हमने CGMSC को काफी पहले से इसके बारे में बताया हुआ था. तो बनने की प्रकिया में ही था.. लेकिन कब बनेगा वो हम नहीं जानते थे.. लेकिन जब हम अचानक से कोविड-19 हॉस्पिटल बनाना पड़ा. तो हम सारे मरीज़ों को वहां शिफ्ट कर दिए. कल की घटना है बारिश बहुत जोरों से थी.. तो फिर लगातार वहां से पानी का रिसाव हो रहा था. CGMSC ने भी काम अपना शुरू कर दिया. 3-4 दिन पहले से ही काम शुरू कर दिए हैं. तो फ़िर रिसाव ज्यादा होने लगा. तो मरीज़ों को काफी तकलीफ हुई. कुछ लोगों को छतरी में बचते हुए. वार्ड में देखा गया. तो इस तरह की घटना हुआ तो हमलोग ने सोचा कि इसको फ़िर दूसरी जगह शिफ्ट करके. जब तक ना बन जाये. तब तक के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.. इसके तहत हमने मंगल भवन, अग्रसेन भवन जो कि धर्मशाला है. उसमे हमने शिफ्ट करने की सोंच रखी है.

डॉ अनुपम मिंज, प्रभारी कोविड वार्ड, मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर

सरगुजा संभाग से प्रदेश के तीन विधायक छत्तीसगढ सरकार मे दिग्गज मंत्री हैं.. जो अपने इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नए भवन के लिए फंड लाने मे सक्षम हैं.. लेकिन वर्षो से इस अस्पताल की ऐसी हालत देखकर लगता है कि इन मंत्रियो मे या तो इच्छा शक्ति की कमी है.. या फिर नई नवेली सरकार मे ये मंत्री आम लोगो के लिए कम खास लोगो की सहुलियत के लिए ज्यादा गंभीर हैं.