नहीं थम रहा मलेरिया का प्रकोप… फिर हुई एक मौत… कुछ ही घंटो में पहुचेगी केन्द्रीय टीम

भैयाथान (संदीप पाल) सूरजपुर जिले के चाँदनी बिहारपुर मे मलेरिया प्रभावित ग्रामों में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है ।आज एक बुजुर्ग की भी सांसे थम गई और  मंगलवार को भी एक साल की बालिका की मौत हो गई थी इससे मौत का आंकड़ा बढ़कर 16 पहुच गया है। अधिकांश मलेरिया पीडि़तों में खून की कमी के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। यहा मलेरिया पीडि़तों की संख्या बढ़कर 1510 हो गई है। यहां की  स्थिति को नियंत्रित करने में अब जिला  प्रशासन के पसीने छूट रहे है। मलेरिया के बढ़ते मरीजो को देखते हुए दिल्ली की टीम रायपुर से आज बाई रोड होते हुए आज प्रभावित ग्राम पहुँच जायेगी।
सूरजपुर जिले के ओडग़ी विकासखंड के 25 दूरस्थ ग्रामों में विगत एक पखवाड़े से मलेरिया का प्रकोप फैला हुआ है।  व्यक्तियों में एक मलेरिया से 900 व्यक्ति पीड़ित है।और तीन व्यक्ति में एक बुखार व मौसमी बीमारी से पीडि़त है। अब तक 24 हजार लोगों की रक्त पट्टिका बनाकर मलेरिया की जांच करने पर 900 मलेरिया से ग्रसित पाए गए हैं।
वहीं अब मृतको की संख्या बढ़कर 16 लोगों की मौत हो चुकी है, मृतकों में 10 बच्चे हैं। वही आज रामविचार यादव पिता रामसरन यादव 52 वर्ष नवाटोला निवासी कल बाजार में सब्जी लेकर घर पहुचा और खाना बनाकर खाने के बाद सो गया और आज सुबह पेशाब करने जा रहा था उसी दौरान उसकी मौत हो गई। वही मंगलवार को कांतिपुर निवासी जनकलाल की 1वर्षीय पुत्री सरिता ने भी दम तोड़ दिया। वह मलेरिया बुखार से पीडि़त थी। उपचार के अभाव में उसकी मृत्यु होने की बात ग्रामीणों द्वारा बताई जा रही है।
मलेरिया के साथ ही खून की कमी के कारण गंभीर हुए 10 मरीजों को बेस कैंप से सूरजपुर जिला चिकित्सालय भेजा गया है। इससे पूर्व 35मरीजों को यहां उपचार हेतु भर्ती कराया गया था। सभी मरीजों में खून की कमी पाए जाने पर यहां खून की व्यवस्था कर मरीजों को चढ़ाया जा रहा है।
जिला चिकित्सालय स्थित ब्लड बैंक में खून की अनुपलब्धता होने पर रक्तदान करने युवाओं, महिलाओं एवं विभिन्न संगठन के स्वयंसेवकों द्वारा तत्परता दिखाई जा रही है। जिला चिकित्सालय में मलेरिया प्रभावित चांदनी-बिहारपुर केम्फ में 45 मरीज भर्ती हैं।
डेढ़ हजार हो गई मलेरिया पीडि़तों की संख्या
चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के 24 ग्रामों में मलेरिया पीडि़तों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होने की बजाए बढ़ती जा रही है। दो दिन पूर्व पीडि़तों की संख्या 1111थी जो अब बढ़कर 1510हो गई है। इसमें 1161 मरीज गंभीर मलेरिया पीएफ से पीडि़त हैं।
इन ग्रामों में है मलेरिया का प्रकोप
कोल्हुआ, महुली, खोहिर, उमझर, रामगढ़, बैजनपाठ, तेलईपाट, अवंतिकापुर, बेगारीडांड़, नवगई, मोहरसोप, बसनारा, जेल्हा, सपहा, नवाडीह, भुण्डा, पासल, बिहारपुर, चोंगा, थाड़पाथर, नवाटोला समेत अन्य ग्रामों में अधिकांश लोग बुखार व मलेरिया की चपेट में हैं। मलेरिया पीडि़तों में बच्चों की संख्या अधिक है और रक्त अल्पता की भी शिकायत है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रभावित सभी ग्रामों के लिए 52 टीमें बनाकर स्वास्थ्य परीक्षण व दवाइयों के वितरण हेतु जमीनी स्तर पर भेजा गया है। और 11प्रवेकक्षक दल गठन किया गया है।वही ग्राम कोल्हुआ, महुली, उमझर, रामगढ़ व खोहिर में बेस कैंप लगाकर गंभीर मरीजों का इलाज जारी है।
कोल्हुआ की स्थिति सबसे खराब
मलेरिया प्रभावित ग्रामों में से ग्राम कोल्हुआ की स्थिति सबसे अधिक खराब है। यहां 15 मोहल्ले हैं और पंडो वर्ग की आबादी लगभग एक हजार है। पंडो वर्ग अभी भी रूढि़वादी परंपरांओं के तहत झाडफ़ूंक व देशी इलाज पर भरोसा करते हैं। वे चिकित्सकों द्वारा दी जा रही दवाओं का सेवन नहीं करते। समूह में नहीं रहते, एक-दूसरे परिवार के घरों की दूरी 500 मीटर के अंतर में होने से  संपर्क भी नहीं रहता।
अब तक इनकी हुई मौत
मलेरिया व बुखार से अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में ज्वाला प्रसाद 40 वर्ष, फूलमति 22 वर्ष, बिट्टी बाई ६२ वर्ष, पावर्ती बाई 22 वर्ष, निवोता 7 वर्ष, रोहित 6 वर्ष, उरिता 10 वर्ष, शांति 6 वर्ष, गुड्डी 3 वर्ष, सिरपति 1 वर्ष, जयकरण उर्फ जयकुमार 4 वर्ष, रामकली 7 वर्ष, आरती बैस 3वर्ष व रामचंद्र की नवजात पुत्री की मौत हो चुकी है। मलेरिया से प्रभावित 1510 मरीजों में से महज 900 का इलाज बेस कैंपों व अस्पतालों में हो रहा है, जबकि शेष एक हजार के लगभग पीडि़तों को दवा देकर घर भेज दिया जा रहा है। जबकि पीडि़त सभी मरीजों को कैंप या अस्पताल में भर्ती करके इलाज करने की जरूरत है।तब भी स्थिति नियंत्रण से बाहर है। और अब भी मलेरिया के प्रकोप को रोका नही जा सकता है।
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है और प्रभावित ग्रामों का संपर्क मध्यप्रदेश के बैढऩ की दूरी मात्र 30 किलोमीटर व सिंगरौली की 35 किलोमीटर है। जहां जिला चिकित्सालय के अलावा कई शासकीय, अद्र्धशासकीय व बड़े निजी अस्पताल हैं। इन बड़े अस्पतालों का सहयोग राज्य सरकारों को विश्वास में लेकर उपचार हेतु लिया जा सकता है।
दूषित जल व खान-पान भी बीमारी का कारण
मलेरिया प्रभावित ग्रामों में पेयजल के लिए न तो पर्याप्त हैंडपंप हैं और न ही नल-जल योजना संचालित है। लोग कुएं और ढोढ़ी पानी पीते हैं। विरल आबादी क्षेत्र होने के कारण सभी घरों में हैंडपंप उत्खनन भी संभव नहीं है। वहीं बरसात के दिनों में इस क्षेत्र के लोग पुटू, खुखड़ी, पत्तेरी जैसी चीजों का उपभोग ज्यादा कर रहे हैं। बासी भात और महुआ शराब के सेवन भी ऐसी स्थिति में घातक साबित हो रही है। ऐसे में ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए भी कोई पहल नहीं की जा रही है।
इस संबंध में सूरजपुर जिला चिकित्सालय के सीएचएमओ डॉ ऐके जयसवाल ने बताया कि दिल्ली से विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम रायपुर पहुंच गई है। और आज रायपुर से ये टीम आज सूरजपुर के प्रभावित ग्रामों में पहुंचकर पीडि़तों का उपचार करने के साथ ही ये भी रिसर्च करेगी कि मलेरिया इतनी तेजी से आखिर किन कारणों से फैल रहा है।