आबकारी उड़नदस्ता में बैठकर पहुँचे साहब.. सेटिंग नहीं हुई.. तो बना दी शराब की जप्ती… अब हो रहा है बवाल..

Balrampur-Ramanujganj..(कृष्णमोहन कुमार)…जिले में आबकारी विभाग के उड़नदस्ता टीम के द्वारा की गई कार्यवाही। अब सवालों के घेरे में है। इसके साथ ही उड़नदस्ता प्रभारी पर भी कार्यवाही ना करने के एवज में पैसे मांगने के आरोप भी लग रहे है।

दरअसल, जिले के रामानुजगंज व बलरामपुर में स्थित सरकारी अंग्रेजी शराब दुकानों में आबकारी विभाग की संभागीय उड़नदस्ता की टीम ने छापेमारी की कार्यवाही की थी। उड़नदस्ता प्रभारी सहायक आबकारी अधिकारी रंजीत गुप्ता के नेतृत्व में पहुँची टीम ने बलरामपुर के अंग्रेजी शराब दुकान की तलाशी ली। इस दौरान उड़नदस्ता टीम का हाथ खाली रहा। टीम को बैरंग लौटना पड़ा। जिसके बाद उड़नदस्ता टीम ने दुकान के सेल्समेन के घर पर दबिश दी थी। जहाँ टीम को 10 क्वाटर अंग्रेजी शराब मिला। जिसको लेकर सेल्समेन ने उड़नदस्ता टीम को बताया कि वह शराब उसके द्वारा खरीद कर अपने मकान मलिक के लिए रखा गया हैं। जिस पर कार्यवाही नही करने के एवज में सेल्समेन का आरोप है कि उड़नदस्ता टीम के सदस्यों ने 1 लाख रुपये की मांग रखी। वही सेल्समेन के मुताबिक उड़नदस्ता टीम ने उसके घर मे रखे शराब की सील बंद सीशियों को मौके पर ही स्कैन करके भी देखा। लेकिन, स्कैन नही हुआ था। मतलब यह स्पष्ट हो गया था कि सेल्समेन के द्वारा वह शराब खरीदी गई थी।

बता दे कि जिले में ईगल हंटर कंपनी के माध्यम से प्लेसमेंट के जरिये सरकारी शराब दुकानों का संचालन किया जा रहा है, और शराब में मिलावट व ओव्हर रेट की जांच करने उड़नदस्ता की टीमें शराब दुकानों में दबिश देती हैं। लेकिन बलरामपुर के शराब दुकान के सेल्समेन के साथ जो हुआ वह समझ से परे हैं।

जानकारों की माने तो शासन के द्वारा किसी भी व्यक्ति के घर पर या उसके कब्जे से 3 बोतल शराब रखना वैध है..ऐसे में सेल्समेन के विरुद्ध आबकारी अधिनियम के तहत धारा 34 की कार्यवाही समझ से परे है, और इस सम्बंध में उड़नदस्ता टीम का अपना अलग ही किस्सा है।

बहरहाल, आबकारी उड़नदस्ता टीम की कार्यवाही संदेह के दायरे में है, और ऐसा नही है कि जिले के शराब दुकानों में मिलावट शराब की खपत नही होती है। लेकिन, जांच के दौरान ऐसे किसी भी प्रकार के तथ्य के नही मिलने और सेल्समेन के घर पर दबिश और फिर उसके बाद खरीदे गए शराब पर कार्यवाही के एवज में पैसे की डिमांड कहा तक जायज हैं। यह तो विभाग ही जाने।