छत्तीसगढ़ : SDM की पहल ने सैकड़ों चेहरों पर लाई मुस्कान… इस काम से जीता लोगों का दिल

एक कहावत है “आओ कुछ काम करें ईश्वर के बन्दों के लिए, अपने लिए काफी जी लिया आओ थोडा जी लें जरुरतमंदों के लिए” कोरोना के इस महामारी काल में जहाँ छोटी-छोटी समस्या भी लोगों के लिए विशाल पर्वत सी बन गई है, लोग परेशान है। इन्ही परेशानियों को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ के कोरिया ज़िले के सोनहत के एसडीएम प्रशांत कुशवाहा, तहसीलदार अंकिता पटेल और राजस्व विभाग की टीम ने स्वप्रेरणा से लोगों के सहयोग के लिए एक अच्छा प्रयास किया है, जो कि बाकियों के लिए एक प्रेरणा का विषय बन सकता है।

इस महामारी के दौरान अपने फ़ील्ड वर्क में इन्होंने देखा कि इस समय में बहुत से ऐसे परिवार हैं जिनके लिए छोटी-छोटी आवश्यकताएं पूरी करना भी एक बड़ी समस्या हो गई है। इसे देखते हुए सोनहत एसडीएम प्रशांत कुशवाहा और उनकी टीम ने योजना बनाई कि क्यूँ न इन लोगों की चिन्हांकित कर मदद की जाये। फिर इस संबंध में एक रूपरेखा तैयार की गई और सब अपने अपने काम में जुट गए। अपने अनुभाग में राजस्व की टीम और स्थानीय सहयोग से जरुरतमंदों को निःशुल्क राशन-सब्जी उपलब्ध कराने का जिम्मा उठाया, जिसमें लगभग 700 परिवार लाभान्वित हो चुके हैं।

कुपोषित बच्चों के लिए किया गया प्रयास

प्रशांत कुशवाहा ने कोरोना संक्रमण के दौर में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित न होने के कारण बच्चों के बढ़ते कुपोषण को देखते हुए स्वयं के व्यय पर महिला बाल विकास की टीम के साथ ग्रामीण अंचलों तक पहुँच चिह्नित 358 कुपोषित बच्चों को प्रोटीन युक्त पावडर उपलब्ध कराया है। जो इस समय की जरुरत भी थी।

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बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा का भी ख्याल

छोटे बच्चे का दिमाग कोरे कागज की तरह होता है। इस दौरान सीखी गई बातें उसके भावी जीवन को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आंगनवाड़ी केंद्र बंद होने की वजह से सोनहत क्षेत्र के 3 से 6 वर्ष के 2718 बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पूरी तरह प्रभावित हो रही थी। इसे देखते हुए एसडीएम सोनहत ने सभी बच्चों के लिए प्रारंभिक शिक्षा किट वितरित कराने का फैसला लिया। इस किट में स्लेट व बत्ती, वर्णमाला पुस्तक, पेपर, पेन, पेन्सिल आदि की व्यवस्था करवाकर बच्चों को शिक्षा से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

प्रशांत कुशवाहा ने उक्त समस्त काम बिना किसी शासकीय आबंटन के अपनी टीम और जनसहयोग से किया। प्रशांत जी का कहना है कि अक्सर बहुत से सक्षम नागरिकों में जन सेवा की भावना होती है, लेकिन प्रयास नहीं करने या अपील नहीं करने से ये भाव लोगों के अन्दर दबे रह जाते है। किसी तरह अगर सक्षम नागरिकों को भी समाज के अंतिम पंक्ति के सहयोग के लिए प्रेरित किया जा सके तो वो समाज के जरूरतमंद तपके के लिए ज्यादा कारगर और असरदार साबित हो सकते हैं।

व्यवस्था के बदलाव के लिए इसी तरह के युवा सोच की आवश्यकता है, जो कि प्रशांत कुशवाहा जी ने अपने क्षेत्र में करके दिखाया है। इसी तरह के नए प्रयोग से समाज में नूतन परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है। इनका ये प्रयास अन्य कई शासकीय सेवकों, जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार नागरिकों के लिए उदाहरण है कि बिना सरकार के सहयोग के भी लोगों की मदद की जा सकती है, जो आज के इस महामारी के समय की मांग है। आपको बता दें कि मूलतः बलरामपुर जिले के रामानुजगंज के प्रशांत कुशवाहा 2019 के छत्तीसगढ़ पीएससी के रैंक 1 टाॅपर हैं। नए ज़माने के सिविल सेवकों से ऐसे ही लीक से हटकर प्रयास की उम्मीद की जाती है। आखिर कहावत भी तो है किसी की मदद के लिए केवल धन नहीं सच्चे मन की जरुरत होती है।