Chhattisgarh News: गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से होगी शासकीय भवनों की पुताई, पीडब्ल्यूडी ने एसओआर में किया शामिल

• गौठानों में होने लगा है गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन

• 75 गौठानों में स्थापित हो रही है गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण यूनिट 

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के परिपालन में लोक निर्माण विभाग ने गौठानों में गोबर से उत्पादित प्राकृतिक पेंट को विभागीय निर्माण कार्यों के एसओआर में शामिल कर लिया है. लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता ने विभागीय अधिकारियों को सभी शासकीय भवनों के रंग-रोगन में केमिकल पेंट के बदले गोबर से बनने वाले प्राकृतिक पेंट का अनिवार्य रूप से उपयोग करने के निर्देश दिए है. प्रमुख अभियंता ने इस संबंध में जारी आदेश में कहा है कि गोबर पेंट का उपयोग ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण एवं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण पहल है. 

लोक निर्माण विभाग द्वारा नव निर्मित भवनों के दो या दो से अधिक कोट्स की वॉशेबल डिस्टेम्पर से पुताई के लिए प्रति वर्ग मीटर 53 रूपए तथा पुराने भवनों के लिए 30 रूपए प्रति वर्ग मीटर की दर निर्धारित की गई है. इसी तरह गोबर से निर्मित प्रीमियम ईमलशन पेंट से नवनिर्मित वॉल पेंटिंग की दर 69 रूपए प्रति वर्ग मीटर तथा पुराने भवन के लिए प्रति वर्ग मीटर 41 रूपए की दर निर्धारित की गई है.

गौरतलब है कि राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए 9619 गांवों में गौठानों की स्थापना की गई है. इन गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत 2 रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी और 4 रूपए लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही हैं. गोबर से कम्पोस्ट खाद के साथ-साथ अन्य सामग्री का निर्माण महिला समूहों द्वारा किया जा रहा हैं. गौमूत्र से फसल कीटनाशक और जीवामृत तैयार किये जा रहे है. हाल ही में राज्य में गोबर से प्राकृतिक पेंट के उत्पादन की शुरूआत रायपुर के समीप स्थित हीरापुर जरवाय गौठान से हुई है. गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट कांकेर जिले के चारामा में भी लग चुकी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुरूप राज्य के 75 गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी निर्माण की इकाईयां तेजी से स्थापित की जा रही है. इन इकाईयों के पूर्ण होने पर प्रतिदिन 50 हजार लीटर तथा साल भर में 37 लाख 50 हजार लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होगा. गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बाेक्सी मिथाईल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है. सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है. कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है. 

छत्तीसगढ़ में गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी निर्मित किए जाने की केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सराहना की है. छत्तीसगढ़ राज्य की इस पहल को उन्होंने ग्रामीणों को रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर कहा है.

राजधानी रायपुर के समीप स्थित हीरापुर जरवाय गौठान में महिला समूह ने गोबर से प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी तैयार करने के काम में 22 महिलाएं जुड़ी है. यहां तैयार किए गए जा रहे गोबर पेंट का उपयोग शासकीय भवनों की रंगाई पोताई के लिए उपयोग हो रहा है. गोबर से तैयार प्राकृतिक पेंट की कीमत 230 रूपए प्रति लीटर रखी गई है, जो मार्केट में कम्पनियों के पेंट के मूल्य से लगभग आधी है. इसकी क्वालिटी ब्रांडेड कम्पनी के जैसी है. हीरापुर जरवाय गौठान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 25 लाख रूपए की मशीनें लगाई गई हैं. समूह की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे ने बताया कि गाय के गोबर पहले डी वाटर कर्लिंग मशीन में डाला जाता है और पानी मिलाकर घोल तैयार कर उसमें कई अन्य सामग्री मिलाई जाती है, फिर इन सब को हाई स्पीड डिस्पेंसर मशीन में मिक्स किया जाता है. इसके बाद पेंट और पुट्टी तैयार होती है. जरवाय गौठान में लगी मशीन से आठ घंटे में एक हजार लीटर पेंट तैयार किया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण के लिए 21 नवम्बर 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली और छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के मध्य हुआ है.