” पानी मंत्री ” के गृहग्राम के आस पास गहराया “पानी संकट”

नल-जल योजना साबित हो रही है सफेद हाथी : कोयालांचल मे पानी के हाहाकार

गर्मी का मौसम शुरू भी नहीं हुआ, ग्रामीण क्षेत्रों में होने लगी पेयजल की समस्या

 

सूरजपुर( जरही-भटगांव)

सूरजपुर जिले में गर्मी का मौसम शुरू होते हीजिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या सामने आने लगी है। जिले के भटगांव, जरही, प्रतापपुर व क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाको मेें पेयजल के लिए ग्रामीण ढोढ़ी खोद कर पानी की वैकल्पिक व्यवस्था खुद बनाकर पानी के लिए मशक्कत करने की खबरे आने लगी है।

भैयाथान, प्रतापपुर विकासखंड के दर्जनों गांवो में पानी को लेकर हाल बेहाल है, जहां भैयाथान विकासखंड के ग्राम पंचायत पोंङी का नजारा देख महसूस हुआ कि ग्रामीणो में जल ही जीवन है जैसे शब्दो को जीवंत रखने जद्दोजहद मेें जुटे हुए है। यहां के ग्रामीण कई मिल दूर एक खेत में ढोढी बनाकर पेयजल का वैकल्पिक रास्ता चुना है,जहां ग्रामीणों ने बताया कि भोर के तीन बजे से वे पानी के लिए कतार लगाए रहते हंै और दो से तीन हंडी पानी से सारा दिन गुजारा करते हैं, वही जब गांव में नल-जल योजना या विभागीय अधिकारियो के निरीक्षण के बारे में छत्तीसगढ़ प्रतिनिधि ने जानना चाहा तो ग्रामीणो ने बताया कि गांव में जो भी हैंडपंप है या तो वह खराब है या फिर भारी मात्रा में आयरन युक्त पानी निकल रहा है, जिससे बर्तन भी लाल हो जाते है यदि यह पानी हम लोग उपयोग कर लेंगे तो कई बीमारी हो जायेगी।

पीएचई मंत्री के गृहग्राम वाले क्षेत्र मे मचा हाहाकार

सबसे बङ़ी बात यह है कि महज कुछ मीटर की दूरी पर ही प्रदेश के गृहमंत्री का गृहग्राम भी है जिनके पास पीएचई जैसे विभाग भी है लेकिन इन गांव वालों को पेयजल की समस्या तो बस इनके जीवन का एक अहम अंग बनकर रह गया है। बहरहाल गृहमंत्री  के गांव से लगे गांव का ही जब यह नजारा है तो पूरे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।  जिला प्रशासन के पानी की व्यवस्था बनाने का दावा और पेयजल समस्या से ग्रसित ग्रामों का चिन्हांकन करने का दावा भी खोखला नजर आ रहा है। फिलहाल शुरुआती गर्मी मे पेयजल से जूझ रहे इन क्षेत्रों के ग्रामीण जिला प्रशासन के नजर में कब आते है और पानी की जद्दोजहद से उन्हें कब निजात मिलता है यह देखने वाली बात होगी। कुछ जनप्रतिनिधियों ने चर्चा में बताया कि इन ग्रामीण क्षेत्रों में नल-जल योजना भी सफेद हाथी के दांत की तरह साबित हो रहा है, जिसका फायदा जरूरतमंद गरीब परिवारों तक पहुंचने में अभी देर है।