जंगल में रात भर बेहोस पडा रहा रोजेदार मजदूर…जानवरो ने भी कुछ नही किया

खदान को आग से बचाने की कवायद में हुआ था शामिल

घटना को लेकर तरह तरह की हो रही चर्चाएं

कोरिया (रक्षेन्द्र प्रताप सिंह) – झिलिमिली खदान को आग से बचाने के लिए जंगल में स्थित मुहानों एवं दरारों को भरने की कवायद के दौरान एक मुस्लिम मजदूर बेहोष हालत में पूरे रात जंगल में ही पड़ा रहा। बताया जाता है कि मजदूर ने रोजा रखा हुआ था और इस भीषण गर्मी में डिहाइड्रेषन की वजह से मजदूर बेहोष हो गया होगा। वहीं रात भर बेहोषी की हालत में पड़े रहे मजदूर को किसी भी जंगली जानवर ने किसी किस्म की क्षति नहीं पहुंचाई जिसे क्षेत्र में ईष्वर का ही चमत्कार माना जा रहा है।

इस संबंध में मजदूर के पुत्र मिनाजू अंसारी उम्र 24 ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता शमसुल बारी उम्र 59 वर्ष झिलिमिली काॅलरी में ट्रामर के पद पर पदस्थ हैं। विगत शनिवार को कोल प्रबंधन द्वारा उन्हें अल सुबह ही काम पर बुला लिया गया था। इन दिनों मुसलमानों का पवित्र माह रमजान चल रहा है और मजदूर शमसुल बारी रोजा रखे हुए थे। दिन भर कड़ी धूप में प्रबंधन द्वारा कड़ी मषक्कत जारी रही। जबकि जंगल से करीब शाम 4 बजे सारे मजदूर अपने अपने घरों को वापस लौट गए। वहीं ट्रामर शमषुल के घर पर न पहुंचने से उनके पुत्र मिनाजू अंसारी व उनके पुत्र ने अपने पड़ोसियों से मिलकर उनकी खोजबीन शुरू की लेकिन उनका कहीं कोई पता नहीं चला। पूरे रात जंगल में खोजते खोजते जब कहीं नहीं मिले तो मजदूर के परिजनों को तरह तरह की आषंकाएं होने लगीं। वहीं आज रविवार की सुबह मजदूर को बेहोष हालत में जंगल से लौटने वाले मार्ग के करीब ही सुरक्षित हालत में पाया गया। उन्हें बेहोष हालत में ही वापस खदान लाकर तत्काल झिलिमिली चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के बाद चरचा काॅलरी स्थित रीजनल चिकित्सालय दाखिल कराया गया है। जहां उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है।

घटना से फिर उठे प्रबंधन पर सवाल

मजदूर के इस तरह रात भर जंगल में बेहोष पड़े रहने की घटना से प्रबंधन की कार्यषैली पर सवाल उठने लगे हैं। प्रबंधन द्वारा मजदूर की खोजबीन में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। वहीं जंगल से लौटने के दौरान भी लापरवाही बरती गई। बहरहाल क्षेत्र में मजदूर के सकुषल होने की घटना को क्षेत्र में ईष्वरीय चमत्कार माना जा रहा है। वहीं कई तरह की चर्चा भी क्षेत्रीयजनों में हो रही है।