दोनों हाथों से दिव्यांग छात्र पैर से लिखता है, सपनों को पूरा करने कमियों को मारा तमाचा

अम्बिकापुर. आदमी की जिंदगी में कई बार कुछ पल ऐसे आते हैं, जब लोग टूट जाते हैं और उनको जिंदगी जीने का कोई मकसद नजर नहीं आता. लेकिन हमारे समाज में ही कुछ लोग ऐसे हैं, जो चुनौतियों को अवसर में बदलना चाहते हैं. विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ ऐसा करके दिखा देते हैं कि औरों के लिए वो प्रेरणा का स्त्रोत बन जाते हैं. ऐसा ही काम एक दिव्यांग स्टूडेंट ने किया है. जिसका एक हाथ नहीं है, जबकि दूसरा हाथ अविकसित है.. और यह स्टूडेंट कॉपी पर पैर से लिख रहा है. लिखावट भी ऐसी है, जैसे कोई आदमी हाथ से लिखता है.

दरअसल, सरगुजा ज़िला मुख्यालय अम्बिकापुर, डिगमा के रहने वाले 15 वर्षीय महेश सिंह बचपन से दिव्यांग है, उसका एक हाथ नहीं है, जबकि दूसरा हाथ अविकसित है. फ़िर भी ऐसा जुनून है कि जन्म से हाथ नहीं होने के बावजूद उसने अब तक की पढ़ाई और परीक्षा पैरों से लिख कर पूरी की है. महेश डिगमा के स्थानीय हायर सेकेंडरी स्कूल में 10वीं के छात्र है. वर्तमान में कोरोना की वजह से स्कूल बंद होने से मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे है. महेश भविष्य में शिक्षक बनना चाहते है.

‘मन में कुछ कर गुजरने की चाहत और जज्बा हो तो कोई भी अशक्तता बाधा नहीं बन पाती’ महेश ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है. अम्बिकापुर का बेटा अपने बेमिसाल हौसले और जज्बे के कारण आज के समय में अच्छे खासे हाथ पैर वाले बच्चे ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाते और अपने माता पिता का सिर दर्द बने हैं. ऐसे लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहा है. वहीं महेश की पढ़ाई के प्रति ललक को देखकर उसके परिवार का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है.

अक्सर दिव्यांग लोगों को देखकर कोई हंसता, तो कोई सहारा दे देता है, पर महेश ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी कमियों को भी तमाचा मारा है. बिना हाथ के, पैर से लिखकर 10वीं कक्षा तक सफ़र करने वाले महेश के जज़्बे की दास्तां दुनिया के हर स्टूडेंट के लिए एक मिसाल है.

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