आज़ादी के 73 साल बाद भी पुल-अस्पताल के लिए तरस रहे यहां के लोग, मरीज़ों को झेलगी में बैठाकर नदी पार कराते है

अम्बिकापुर. सरगुजा का मैनपाट अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए देशभर में मशहूर है. जिसे अब ‘छत्तीसगढ़ का शिमला’ के नाम से जाना जाता है. लेकिन जितना खूबसूरत यहां का नाम है, यहां के लोगों की जिंदगी उतनी खूबसूरत नहीं है. मैनपाट के क़रीब बसा एक गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है.

दरअसल, सरगुज़ा का प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट से 20 किलोमीटर दूर बसा गांव सुपलगा के लोग आज़ादी के 73 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे है. यहां के लोग भाजपा की रमन सरकार से लेकर कांग्रेस की भूपेश सरकार तक अस्पताल, पुल जैसी सुविधाओं की मांग कर रहे है. लेकिन इन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.

बता दें सुपलगा गांव में पुल की सुविधा नहीं होने से बरसात के दिनों में यहां के लोगों को कॉफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनो में गांव का नदी भर जाने की वजह से जिला मुख्यालय से संपर्क कट जाता है. वहीं राशन, अस्पताल, बाजार जाने के लिए उफनती नदी पार करना पड़ता है. किसी व्यक्ति के बीमार अथवा डिलीवरी केस होने पर बीमार व्यक्ति को झेलगी में बैठाकर नदी पार कराया जाता है.

इधर सीतापुर विधानसभा क्षेत्र से 5वीं पारी खेल रहे विधायक अमरजीत भगत ने बताया सुपलगा गांव में पुल निर्माण के लिए अम्बिकापुर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री ने बजट की घोषणा कर दी है. जिससे इस समस्या से जल्द निजात मिलेगी.

बहरहाल, 15 साल बाद परिर्वतन के नाम पर छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस सरकार बड़े-बड़े वादे और घोषणाएं करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अब देखना होगा कि सुपलगा के ग्रामीणों को मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद पुल-अस्पताल जैसी सुविधाएं कब तब नसीब होती है.