छत्तीसगढ़ के शिमला

अम्बिकापुर 
सरगुजा जिले के दक्षिण दिशा में स्थित छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से विख्यात मैनपाट विकासखण्ड प्राकृतिक सौन्दर्य का अप्रतिम धरोहर है। मैनपाट की ऊॅची- ऊॅची पहाडि़यो के नयनाभिराम दृश्य सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। पहाडि़यों और तराई क्षेत्र से सुशोभित मैनपाट अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए जाना जाता है। यहां का अधिकांश क्षेत्र चारों ओर हरीतिमा लिए नदियों, झरनों से बने जलप्रपात एवं सघन वन से परिपूर्ण समुद्र तल से लगभग 4000 फीट की ऊॅचाई पर स्थित है। बारिश के दिनों में मैनपाट के सौन्दर्य में और निखार आ जाता है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली, ऊॅचे- ऊॅचे साल के वृक्ष, धरती पर घास की हरी चादर, कल-कल करते नदी-नाले, पक्षियों का मनभावन कलरव…सब कुछ मानव मन को अपनी ओर खींचता है।
मैनपाट में 150 फीट की ऊॅचाई पर स्थित सरभंजा जलप्रपात अपनी अद्वितीय प्राकृतिक छटा के लिए विख्यात है। जिले की प्रमुख नदी रिहन्द का उद्गम स्थल मतरिंगा पहाड़ी पर स्थित है। नर्मदापुर के समीप यह नदी 40 फीट की ऊॅचाई पर जलप्रपात के रूप में बहता है। ऐसा माना जाता है कि गर्मी के दिनों में टाईगर प्वाइन्ट नामक जलप्रपात पर शेर पानी पीने आया करते थे। मछली प्वाइन्ट भी मैनपाट में ही स्थित है। मेहता प्वाइन्ट पर सूर्य के उगने और अस्त होने का दृश्य अत्यंत मनोहारी होते हैं। मैनपाट में बालको द्वारा बाॅक्साईट नामक खनिज का उत्खनन किया जा रहा है। यह क्षेत्र उत्कृष्ट कालीन और पामेरियन प्रजाति के कुत्तों के लिए भी प्रसिद्ध है।
पहुॅच मार्ग-  सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से मैनपाट जाने के लिए दो मार्ग हैं। अम्बिकापुर से रायगढ़ मार्ग पर जाने से मैनपाट की दूरी काराबेल नामक ग्राम से 85 किलोमीटर है। अम्बिकापुर से दरिमा हवाई अड्डे मार्ग से जाने पर मैनपाट की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। इन मार्गों को आवश्यकतानुसार मरम्मत एवं नवनिर्माण कराया गया है, ताकि पर्यटकों को आवागमन में दिक्कत न हो। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा मैनपाट के दोनों पहुॅच मार्ग पर द्रुत गति से सड़क निर्माण कराया जा रहा है।
विविधतापूर्ण सांस्कृतिक शैली-  मैनपाट की सांस्कृतिक शैली विविधतापूर्ण है। यहां सरगुजा की जनजातीय लोक सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ तिब्बतीय सांस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है। आपसी भाई चारे और समन्वय से दोनों संस्कृतियों की छटा यहां व्याप्त है। यहां लगभग दो हजार तिब्बतियों को बसाया गया है। मैनपाट में तिब्बतियों द्वारा अपने पारम्परिक कार्यों के रूप में कालीन उद्योग और ऊनी वस्त्रों का व्यापार किया जा रहा है। उनके द्वारा धार्मिक उपासना के लिए विशाल बौद्ध मंदिर का निर्माण कराया गया है। बौद्ध धर्म अनुयायी मैनपाट के तिब्बती धर्मगुरू दलाईलामा को बोधित्व अवलोकिन का अवतार मानते हैं तथा धर्मगुरू दलाईलामा के प्रति अगाध आस्था एवं विश्वास रखते हैं। मैनपाट का बौद्ध मंदिर अत्यंत सुरूचिपूर्ण तरीके से बनाया गया है। यहां बौद्ध बिहारों की स्थापत्य कला एवं तिब्बती कला व संस्कृति के दर्शन होते हैं।
पर्यटन का मानवीय पहलू-  प्रकृति की अनुपम कृति मनुष्य निश्चित ही सभी जीवों में श्रेष्ठ है, किन्तु प्रकृति का एक अंग होने के कारण प्राकृतिक सौन्दर्य की अनुभूति का अहसास तो उसके भीतर होता ही है। दैनिक जीवन के भाग-दौड़ और नियमित क्रियाओं से परे जब व्यक्ति प्राकृतिक सौन्दर्य की भौतिक एवं आत्मिक अनुभूति हेतु प्रकृति के नयनाभिराम दृश्यों का आनंद लेने घर से दूर निकल पड़ता है तो सामान्यतः इसे ही पर्यटन कहा जाता है। वर्तमान वैज्ञानिक परिवेश में मनुष्य ने मनोेरंजन के अनेकानेक साधनों का अविष्कार किया है। घर बैठे ही दुनियां-जहान के चमत्कारों को मात्र एक बटन दबाकर पलक झपकते ही देखा जा सकता है। खाने-पीने और ऐशो-आराम की सारी चीजों का न सिर्फ इजाद किया गया, वरन घर-घर तक इसकी पहॅुच भी सुनिश्चित हो गई। पर्यटन आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों के शौक का पर्याय माना जाता है। पर्यटन सर्वसुविधायुक्त सम्पन्न लोगों की उस सदेच्छा के प्रति इंगित करता है, जिसमें वह प्रकृति का जुड़ाव चाहता है, अपने परिवेश के लोगों के अतिरिक्त विविध मानव संस्कृति के प्रति आकृष्ट होता है। हर जीव का अपनी जन्मभूमि और जन्मदाता के प्रति स्वाभाविक  आकर्षण होता ही है। अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त मनुष्य को पर्यटन न सिर्फ प्रकृति से जोड़ता है, अपितु विविध मानव संस्कृति और मानवीयता से भी जोड़ता है। पर्यटन सिर्फ घूमने-फिरने का पर्याय नहीं, बल्कि मशीनीकृत होते जा रहे मानव को मानवीय संवेदनशीलता से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है।
मैनपाट कार्निवाल 2015
गत वर्षो की तरह इस वर्ष भी त्रिदिवसीय मैनपाट कार्निवाल का आयोजन किया गया है। इस वर्ष कार्निवाल का आयोजन जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में किया गया है। इस दौरान आकर्षक एवं विविधतापूर्ण मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन सहित लोगो को कार्निवाल से जोड़ने के उद्देश्य से अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। कार्निवाल में स्थानीय, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के नृत्य की प्रस्तुति होगी। कार्निवाल के दौरान खेलों का आयोजन भी होगा। पर्यटकों के भोजन, आवास एवं अन्य सुविधाओं के लिए मोटल उपलब्ध है। कार्निवाल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के इच्छुक कलाकार जिला षिक्षा अधिकारी से सम्पर्क कर अपना पंजीयन करा सकते हैं।