ये है धरती के भगवान : रुपया नही मिला तो कर दिया रिफर

  • बीस दिन से दाखिल है पण्डो जनजाति का मरीज
  • पहले 23 हजार जमा कराए अब 15 हजार की मांग
  • नही थम रहा है डाक्टरो की मनमानी का सिलसिला
  • सरकारी डाक्टर निजी अस्पताल में जमा कराते है रुपया

अम्बिकापुर

रघुनाथ जिला चिकित्सालय में फैला भ्रष्टाचार थमने का नाम नही ले रहा है । मरीजो से अभ्रद्र व्यवहार और इलाज के लिए पैसो की मांग के कारण अस्पताल लगातार सुर्खियों में बना हुआ है । एक बार फिर अस्पताल में पदस्थ हड्डी रोग विषेशज्ञ ने विशेष संरक्षित जनजाति पंडो परिवार के एक युवक के साथ न केवल अभ्रद्र व्यवहार किया बल्कि पैसे के अभाव में उसका इलाज करने से भी मना कर दिया इस कारण पीङित युवक की जिंदगी दांव पर लग गई है।

जिला अस्पताल में पदस्थ कुछ डॉक्टर मरीजो के साथ दुश्मनो जैसा व्यवहार करते है। इन डॉक्टरो ने दलाली को माध्यम बना कर रुपये कमाने का गोरख धंधा बेखौफ जारी रखा है । हालिया एक मामले में यहां पदस्थ हड्डी के डॉक्टर वी.के. श्रीवास्तव ने एक पंडो युवक के साथ ऐसा व्यवहार किया कि उसका पूरा परिवार सकते में आ गया है । मामला डेढ साल पूर्व का है । सूरजपुर जिले के विकास खण्ड ओङगी के ग्राम पालदनौली का रहने वाला खेलसाय पंडो का एक दुर्घटना में पैर टूट गया था । जिसके बाद उसके परिजनो ने उसे अम्बिकापुर के जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया । खेलसाय पंडो का इलाज कर रहे चिकित्सक डॉक्टर वी.के.श्रीवास्तव ने पहले तो इलाज करने में आनाकानी की फिर उनसे पैसो की डिमांड कर दी। खेलसाय का पैर कई जगहो से टूट गया था इस लिए डॉक्टर ने पैर में रॉड लगाने और कुछ इकूपमेंट के बदले पुराना बस स्टैंड स्थित एक मेडिकल दुकान में 23 हजार रुपए जमा करने को कहा । गरीब परिवार डॉक्टर के सामने अपने गरीबी की दुहाई देता रहा लेकिन डॉक्टर ने उनकी एक न सुनी। किसी तरह पैसे इकठ्ठा कर पीङित परिवार ने तेज मेडिकल में जमा कराया तब कहीं जाकर खेलसाय पंडो के पैर में रॉड लग सका ।

18 जुलाई 2014 को हुई दुर्घटना के बाद से युवक और उसका परिवार जिला चिकित्सालय लगातार इलाज के लिए आता रहा लेकिन डॉक्टर ने पैसा जमा कराने के बाद भी उसके इलाज में इतनी लापरवाही बरती की खेलसाय पंडो का पैर खराब होने की स्थिति में आ गया है । इधर लगभग डेढ वर्षो बाद पैर का रॉड निकलवाने पुन: अस्पताल पहुंचे पंडो परिवार के साथ उक्त डॉक्टर ने न केवल अभ्रद्र व्यवहार किया बल्कि इलाज करने से मना कर इतना तक कह डाला कि तुम्हारे पास क्या प्रुफ है कि ये रॉड मैने ही लगाया है । काफी मिन्नतो के बाद जब एक पर्ची उक्त परिवार ने डॉक्टर को दिखाई तब कहीं जाकर डॉक्टर उनकी बातो से सहमत हुए। लेकिन इस सहमति के बाद डॉक्टर ने रॉड निकालने के नाम पर फिर उक्त मेडिकल में 15 हजार रुपए जमा कराने की शर्त परिवार के समक्ष रख दी । पैसा न जमा करने की स्थिति में डॉक्टर ने रॉड निकालने से साफ तौर पर मना कर दिया। बिगत 15 दिनो से खेलसाय जिला चिकित्सालय के सर्जिकल वार्ड में भर्ती है लेकिन पैसो के अभाव में उसका इलाज संभव नही हो पा रहा है। गौरतलब है कि रुपए कमाने का ये गौरख धंधा जिला चिकित्सालय के डॉक्टरो पर इस तरह हावी है कि वे सारे नियम कानूनो को ताक पर रख कर बेखौफ दलाली का धंधा जारी रखे हुए है। इस मामले में भी डॉक्टर ने कुछ ऐसा ही किया ।

जब इस विषय में मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी से बात कि गई तो उन्होने बताया कि इसके लिए रेडक्रॉस सोसाईटी से माध्यम से रियायती दर पर पैर में लगने वाला समानो की खरीद पहले से भी की जाती रही है । इसकी व्यवस्था शासन ने भी कर रखी है । सवाल इस बात का है कि जब शासन की ओर से इलाज की व्यवस्था की गई है तो फिर निजी संस्थानो में पैसा जमा करा कर शासकीय चिकित्सालय में इलाज करना किस नियम के तहत आता है । साफ तौर पर ये मरीजो को इलाज के नाम पर लूटने का गोरख धंधा दिखाई पङता है। फिर पीङित परिवार के पास स्मार्ट कार्ड भी है तो उस परिवार से किस आधार पर शासकीय डॉक्टर ने पैसे की मांग की , ये भी एक बङा सवाल है । इस मामले को तूल पकङता देख आनन – फानन में चिकित्सालय प्रबंधन ने बीते बीस दिनो से भर्ती पंडो युवक को बैक डेट में अस्पताल के कागज पर डिस्चार्ज भी कर दिया है। अब आगे जो भी हो युवक का पैर पूरी तरह खराब होनी की स्थिती में है और उसका भविष्य दांव पर लगा हुआ है। खबर मिलते ही सीएमओ ने तत्काल पीङित युवक की पूरी जानकारी ली है और जांच के बाद डॉक्टर पर कार्यवाही करने की बात भी कहीं है।

बहरहाल सीएमओ ने पीङित युवक के संबंध में पूरी जानकारी लेते हुए जांच शुरु कर दी है। इधर उक्त मेडिकल के संचालक से भी पुछताछ की पहल की जा रही है । रिफर होने के बाद भी मजबूर खेलसाय और उसके परिजन अभी भी जिला अस्पातल के सर्जिकल वार्ड में है। नर्सो द्वारा अभी भी उसे दोनो समय इंजेक्शन लगाया जा रहा है। परंतु संबधित डाक्टर उसे बार बार वंहा से जाने की हिदायत दे रहे है। कुल मिलाकर डाक्टरो की ऐसी मनमानी को देखकर ये कहना गलत नही होगा कि शासकीय संसाधनो के बाद भी अम्बिकापुर जिला चिकित्सालय में गरीबो का इलाज संभव नही है।