सहकारी शक्कर कारखाना के लिए नासूर बनते जा रहे अवैध खांडसारी उद्योग… दबंग खांडसारी मालिक बेखौफ

  • अवैध खांडसारी उद्योग के संचालको की दबंगई इतनी की प्रशासन की कार्यवाही नाकाफी
  • मां महामाया शक्कर कारखाना मे क्षमता के आस पास भी नही हो पा रहा है उत्पादन

 

अम्बिकापुर

सरगुजा  संभाग के केरता गांव मे स्थापित मां महामाया शक्कर कारखना प्रशासनिक उदासीनता के कारण अपनी क्षमता के अनुसार उत्पादन नही कर पा रहा है । इस शक्कर कारखना की स्थानपा को आठ वर्ष हो चुके है और 2010 से इसमे उत्पादन कार्य शुरु कर दिया गया है । लेकिन सरगुजा संभाग के सूरजपुर,अम्बिकापुर और बलरामपुर,जशपुर जिले के गन्ना उत्पादक किसानो पर आश्रित ये शक्कर कारखना अवैध रुप से संचालित खांडसारी उद्दयोगो की वजह से शंकट काल से गुजर रहा है,  और जिले मे अवैध रुप से फलफूल रहे खांडसारी उद्योग पर कार्यवाही के बजाय प्रशासन आंखे मूंदे बैठा है ।

संकट मे शक्कर कारखाना

सरगुजा मे किसानो की बेहतरी और गन्ना फसल के बेहतर उत्पादन को देखते हुए सन 2009 मे सूरजपुर जिले के केरता मे मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाने की स्थापना करके 2010 से इस कारखाने मे शक्कर का उत्पादन शुरु कर दिया गया था। और उन्ही दिनो मे प्रशासन द्वारा शक्कर कारखना की क्षमता अनुरुप उत्पादन के लिए किसानो को गन्ना की फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया था । लेकिन अब आलम ये है कि शक्कर कारखना मे क्षमता के अनुरुप उत्पादन तो दूर उसको चलाने के लिए पर्याप्त गन्ना नही मिल रहा है। जिससे शक्कर कारखना प्रबंधन के सामने संकट खडा हो गया है।

खांडसारी उद्योग संचालको की दबंगई

आपातकाल की स्थिती से गुजर रहे सरगुजा संभाग के एक मात्र मां महामाया सहकारी शक्कर काऱखाने की इस स्थिती के लिए सीधे तौर सरगुजा जिले मे संचालित वो खांडसारी उद्दोग जिम्मेदार है , जिन पर कार्यवाही करने वाला कोई नही है । जानकारी के मुताबिक सरगुजा का लुण्ड्रा और बतौली क्षेत्र सबसे अधिक गन्ना उत्पादक क्षेत्र है, और इसी क्षेत्र मे सबसे अधिक अवैध खांडसारी उद्योग संचालित है । जिसका संचालन करने वालो के हौसले इतने बुलंद है कि वो धंधे को अवैध मानते हुए भी उसके संचालन से गुरेज नही करते है साथ ही हजारो क्विंटल गुड निर्माण की प्रकिया को बिना किसी प्रशासनिक भय से संचालित कर रहे है । हैरत की बात है कि इस क्षेत्र मे स्थानिय किसान तो अपना गन्ना शक्कर कारखाना को देना चाहते है लेकिन हरियाणा और उत्तरप्रदेश से आए कुछ दंबग खांडसारी धंधेबाजो ने जिले मे अपनी दबंगई की जड इतनी मजबूत कर ली है कि इनकी दबंगई के कारण किसानो को गन्ने की फसल औने पौने दामो मे क्षेत्र मे पांव पसार चुके खांडसारी उद्योगो को ही बेंचना पडता है।

 

सील खांडसारी उद्योग भी खोले लेते है दंबग

जानकारी के मुताबिक बतौली के बोदा मे जब इसी वर्ष 23 जनवरी को मुख्यमंत्री डाँ रमन सिंह को पंहुचना था। तो उस समय कई शिकायतो के बाद बतौली-बगीचा मुख्य मार्ग के बिलासपुर गांव मे स्थित अवैध खांसडारी उद्योग को प्रशासनिक औऱ राजस्व अधिकारियो ने आनन फानन मे सील कर दिया गया था। लेकिन खांडसारी के मालिक का हौसला इतना बुलंद है कि वो प्रशासन द्वारा सील फैक्ट्री को फिर से खोल कर उसे संचालित करने लगे है।

 

दलाल और खांडसारी फैक्ट्री के हित के लिए नही.. उईके

मां महामाया शक्कर कारखाना के महाप्रबंधन विजय सिंह उईके ने इस संबध मे कहा कि पूर्व मे शक्कर कारखाने मे 50-60 गाडिया प्रतिदिन गन्ना लेकर आती थी, लेकिन अब 10-20 ही पहुंच रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि गन्ना किसान दलालो के बहकावे मे आकर खांसडसारी उद्योगो मे गन्ना खपा रहे है। अवैध खांडसारी उद्योग व दलालो के कारण शक्कर कारखाना का उत्पादन हर वर्ष लक्ष्य के पीछे होता जा रहा है , अगर सही ढंग से इन अवैध उद्योगो को बंद कर दिया जाए तो उत्पादन लक्ष्य से ज्यादा होगा।

परमानेंट करवाएगें बंद, कलेक्टर

सरगुजा कलेक्टर भीम सिंह ने इस संबध मे कहा कि अवैध खांडसारी को सील किया गया था, परंतु उसके बावजूद भी अगर वो उद्योग फिर से खुल गए है तो उन्हे एसडीएम व कृषि अधिकारियो से भेज कर परमानेंट बंद कराने की कार्यवाही की जाएगी।