भूमि डायवर्सन बदले नियमो के अधार पर….

भूमि डायवर्सन के संबंध में दिशा-निर्देश
अम्बिकापुर 31 दिसम्बर 2013
सरगुजा कलेक्टर श्री आर. प्रसन्ना ने बताया है कि अब भूमि डायवर्सन के संबंध में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग रायपुर ने आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।
छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 172 में 19 अगस्त 2013 को हुए संशोधन के अनुसार यदि कृषि भूमि विकास योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र से भिन्न क्षेत्र में स्थित है और कोई व्यक्ति ऐसी भूमि का औद्योगिक प्रयोजन हेतु व्यपवर्तन करना चाहता है तो ऐसे व्यपवर्तन हेतु केवल सूचना देना पर्याप्त होगा। किसी प्रकार की अनुमति की पृथक से आवश्यकता नहीं होगी। सूचना प्राप्त होने पर सक्षम प्राधिकारी का दायित्व होगा कि वह औद्योगिक प्रयोजनार्थ भूमि का निर्धारण करे। सूचना देने के पश्चात् सूचनादाता का कोई दायित्व शेष नही रह जाता। यदि भूमि विकास योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में स्थित है तो विकास योजना में अंगीकृत उपयोग के अनुसार भूमि का व्यपवर्तन करने पर भी इसी तरह कार्यवाही की जाएगी।
भू राजस्व संहिता अधिनियम 2013 में हुए संशोधन के बारे में बताया गया है कि कृषि भूमि का निर्धारण बंदोबस्त के समय होता है। कृषि भूमि को अन्य प्रयोजन हेतु परिवर्तित करने संहिता की धारा 59 के अंतर्गत निर्धारण की आवश्यता होती है। गत बंदोबस्त के बाद कृषि भूमि का निर्धारण नहीं किया गया है और न ही वर्तमान में ऐसी कोई योजना है। अतएव कृषि भूमि का व्यपवर्तन हेतु संहिता की धारा 172 में अनुविभागीय अधिकारी के स्थान पर ‘‘सक्षम प्राधिकारी’’ प्रतिस्थापित किया गया है तथा व्यपवर्तन के विभिन्न प्रयोजनों हेतु सक्षम प्राधिकारी प्रतिस्थापित किया गया है। चंूकि कृषि भूमि के व्यपवर्तन के फलस्वरूप ही पुनर्निधारण का प्रश्न उपस्थित होगा, अतः संहिता की धारा 172 के अंतर्गत अधिसूचित सक्षम प्राधिकारी संहिता की धारा 59 के प्रयोजन हेतु सक्षम प्राधिकारी होंगे। पूर्व में व्यपवर्तन हेतु राज्य शासन की अधिकारिता के आवेदन पत्र प्राप्त कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु जिला कलेक्टरों को अधिकृत किया गया था। संहिता की धारा 172 में संशोधन के फलस्वरूप अब विकास योजना के बाहर औद्योगिक व्यपवर्तन हेतु आवेदक द्वारा मात्र सूचना दिए जाने का प्रावधान है। ऐसी सूचना के लिए कलेक्टर को अधिकृत किया गया है।