बाल ह्रदय योजना भी नहीं बचा सकी बच्ची की जान.. कागजों का इंतजार पड़ रहा महँगा..!

अम्बिकापुर (निलय त्रिपाठी) बतौली क्षेत्र के बिलासपुर निवासी चार वर्षीय बालिका का हृदय रोग से मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर में निधन हो गया। गंभीर अवस्था में बालिका को मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। बालिका का चयन मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत इलाज के लिए किया जा चुका था। उसे भेजने की संपूर्ण कार्रवाई भी पूरी हो चुकी थी अचानक मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों का चयन मुफ्त इलाज के लिए किया जाता है। बतौली क्षेत्र के बिलासपुर के कृत्रिम पशु गर्भाधान कार्यकर्ता बालकरण की छोटी पुत्री गोपीका का चयन भी उक्त योजना के तहत किया गया था। गोपीका गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थी। उसके हृदय में छेद था। गंभीर हालत को देखते हुए गोपिका को ऑपरेशन हेतू रायपुर भेजे जाने की प्रक्रिया प्रशासन द्वारा शीघ्रता से पूर्वक संपन्न की गई थी। उसके संपूर्ण दस्तावेज  प्रशासनिक सहयोग से  पूर्ण किए गए थे। लेकिन अचानक मेडिकल कॉलेज में गोपीका का निधन हो गया।
दरअसल आम तौर पर देखा जाता है की सरकारी योजनाओं के लाभ की प्रक्रिया इतनी लम्बी होती है की योजना की मंजूरी के इंतजार में ही लोगो की मौत हो जाती है.. संवेदनशील सरकार ने योजना तो शुरू की है लेकिन उसके क्रियान्वयन के तरीके को बदलने की जरूरत है.. किसी गभीर बीमारी से पीड़ित जरूरतमंद व्यक्ति को पहले उपचार की व्यवस्था करनी चाहिए बाद में अस्पताल के खर्च की लेकिन ऐसा है नहीं.. पहले आप विभाग की मंजूरी लीजिये फिर अपना इलाज कराइये अगर तब तक आपकी जान बच जाए तो..?  नियमो में परिवर्तन की जरूरत है क्योकी सरकारी काम कितनी भी तेजी से किया गया हो उसका अनुमान आप खुद लगा सकते है..
इस संबंध में  प्रभारी तहसीलदार रवि कुमार भोजवानी ने बताया कि संपूर्ण दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के बाद  सिर्फ गोपिका को भेजा जाना ही शेष था। उसके परिजन आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से इलाज नहीं करा पा रहे थे। चिरायु टीम द्वारा गोपी का चयन योजना के तहत किया गया था । अचानक उसकी मौत से परिजनों सहित सभी को गहरा आघात लगा है।