टीएस. सिंहदेव ने कहा डॉ. रमन सिंह के नाम से “डॉ.” शब्द हटा देना चाहिये

अंबिकापुर “देश दीपक_सचिन” छत्तीसगढ़ विधान सभा नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंह देव के नेतृत्व में आज कांग्रेस ने मेडिकल कालेज अस्पताल का घेराव कर दिया.. और धरना प्रदर्शन के माध्यम से मेडिकल कालेज की दुर्दशा को दूर करने की मांग की.. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष ने स्वास्थ विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को अस्पताल की कमियाँ बताई और व्यवस्था करने की मांग..

दरअसल कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचा था और अस्पताल की व्यवस्थाये देखने पर वहां पर एसएनसीयु वार्ड में लाईट नही थी पूछने पर पता चला की जनरेटर नहीं है.. लिहाजा ऐसे कई मामलों की बदहाली को देखते हुए, कांग्रेस जानो ने आज मेडिकल कालेज का घेराव कर दिया इस दौरान नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंह देव ने अस्पताल की बदहाली को बताते हुए रमन सरकार पर कई सवाल उठाये.. वही घेराव और प्रदर्शन के सम्बन्ध में मेडिकल कालेज प्रबंधन का कहना है की कांग्रेस जनो ने अस्पताल की व्यवस्थाओ में इजाफे की मांग की है.. उनका पत्र ले लिया गया है.. जिसे शासन स्तर पर भेज कर आगे की कार्यवाही की जायेगी..

बहरहाल देर आये दुरुस्त आये की तर्ज पर नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंह देव ने सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख इख्तियार कर लिया है.. रायपुर से लेकर सरगुजा तक टी एस.. रमन सिंह पर लगातार आरोप लगाते देखे जा रहे है.. और आज स्वास्थ विभाग की लापरवाही को उजागर करते हुए सुधार करने की चेतावनी भी दी है..

नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने मेडिकल काॅलेज की अव्यवस्थाओं को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए का की अप्रैल 2014 में यूपीए की सरकार ने राजनांदगांव एवं सरगुजा को मेडिकल काॅलेज की सौगात दी और तब 75 प्रतिशत केन्द्र के अनुदान के साथ 189 करोड़ रूपये प्रत्येक काॅलेज के लिये देने की स्वीकृति के साथ 2015-16 में 53.2 करोड़ रूपये भारत सरकार द्वारा इसके लिये जारी किया गया जो कि राज्य सरकार के पास है, किन्तु इसके बावजुद मेडिकल काॅलेज के लिये राशि प्रबंध जिला प्रशासन को डीएमएफ मद से करना पड़ता है। आप सोच सकते हैं कि जब रूपये रहते हुए सरकार मेडिकल काॅलेज को रूपये नहीं दे रही और यहां-वहां से रूपये खोजना पड़ रहा है तो ऐसी संवेदनशीलता की हमें जरूरत नहीं मेरा मानना है कि मुख्यमंत्री के नाम से अब डाक्टर शब्द हटा देना चाहिए। वे बोलते हैं उन्होंने सरगुजा को गोद लिया हुआ है और गोद लेने के बाद सरगुजा के साथ भेदभाव करते हैं। 2014 में राजनांदगांव और सरगुजा को मेडिकल काॅलेज की स्वीकृति मिलती है, राजनांदगांव में सितम्बर 2014 में मेडिकल काॅलेज खोल दिया जाता है लेकिन सरगुजा में 2016 में खोला जाता है, क्यों क्या मुख्यमंत्री इसका जवाब देंगे, उन्होंने क्यों ये भेदभाव किया। सत्ता में बैठे ऐसे लोगों को उखाड़ने का समय निकट है, तैयार हो जाईये जो खुद डाॅक्टर होकर मेडिकल सुविधा को ध्वस्त कर के रखें हैं ऐसी सरकार हमें नहीं चाहिए।

 

नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने कहा कि शिुश मृत्यु दर एवं नवजात बच्चों के एक माह के अंदर मृत्यु का जो आंकड़ा निकाला जाता है। नवजात बच्चों के एक माह के अंदर मृत्यु का आंकड़ा  दुनिया भर में लगभग 24 लाख का है। लेकिन यह माना जाता है कि 80 प्रतिशत बच्चों का ईलाज सामान्य तौर पर संभव है, लेकिन इसके बावजुद हमारे मेडिकल काॅलेज में एक साल के अंदर 400 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो जाती है, कौन इसका जवाब देगा। बच्चों हेतु एस.एन.सी.यू. वार्ड में 18 बेड हैं, दो-दो बच्चों को एक साथ एक बेड में ईलाज करना पड़ता है, बाकि को जमीन पर लिटाया जाता है, क्या यही है डाॅ. रमन सिंह की संवेदनशील सरकार। नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने मेडिकल काॅलेज प्रबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि एमसीआई के गाईड लाईन अनुसार 64 स्लाईस की सीटी स्केन मशीन की आवश्यकता है और हमारा प्रबंधन 32 स्लाईस के मशीन का आॅर्डर दे देता है, समझ सकते हैं ये कैसे कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों को डीन बनाने की आवश्यकता ही क्यों पड़ा, जिन्हें जानकारी ही नहीं है। विधानसभा में जब एस.एन.सी.यू. वार्ड के स्पेशलिस्ट डाॅक्टरों की संख्या मांगी जाती है तो वे बताते हैं 9 डाॅक्टर पदस्थ हैं जबकि 9 शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, स्पेशलिस्ट एक डाॅक्टर ही हैं, ये वहां भी गलत जानकारी देते हैं। इतना ही नहीं दो वर्ष होने को है न तो जीवन दीप समिती में जनप्रतिनिधियों को ये आमंत्रित करना उचित समझते हैं और न ही समस्याओं के निदान हेतु कभी जनप्रतिनिधियों से कोई सुझाव लेते हैं। केवल अपनी मनमर्जी काॅलेज को चलाना चाहते हैं, जिसका प्रतिफल यह है कि एक वर्ष काॅलेज जीरो ईयर घोषित हो चुका है और अब दूसरे ईयर की ओर अग्रसर है। नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने कहा कि जब संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले लोगों को समुचित ईलाज नहीं होता, चिकित्सक मरिजों की नहीं सुनते, हाॅस्पिटल में अव्यवस्था लगातार समाचार पत्रों द्वारा भी उजागर हो रहे हैं, तब हमें ऐसे महत्वपूर्ण संस्था के प्रति धरना प्रदर्शन करना पड़ता है, जिसकी जरूरत ही नहीं है, डाॅक्टर को भगवान का रूप माना जाता है, यदि चिकित्सक सही समय पर अपने मरिजों का ख्याल रखें, उनसे दुव्र्यवहार न हो, मरिजों की आवश्यकता की पूर्ति हो तो फिर हड़ताल पर नहीं बैठना पड़ेगा। प्रदेश की सरकार पुरी तरह से स्वास्थ्य व्यवस्था को नीजी हाथों में सौंपना चाहती है स्मार्ट कार्ड का 87प्रतिशत भुगतान निजी मेडिकल संस्थान को हो रहा है, वहीं सरकार जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल काॅलेज में संसाधन न जुटाकर चेकअप प्राइवेट संस्थानों में कराती है, सरकार का केवल एक ही मकसद है निर्धन लोगों को महंगी चिकित्सा उपलब्ध कराना, शायद इसीलिये शासकीय मेडिकल संस्थानों के निजीकरण का कार्य शुरू किया गया है।

 

सीतापुर विधायक अमरजीत भगत ने कहा कि प्रदेश का मुख्यमंत्री डाॅक्टर है लेकिन सबसे बुरा हाल प्रदेश में मेडिकल व्यवस्था का है, ऐसे मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तिफा दे देना चाहिए। हमने मेडिकल काॅलेजे के लिये संघर्ष किया है, हमारे सरगुजा के कांग्रेसी विधायक मेडिकल काॅलेज की मांग को लेकर विधानसभा में कई बार निलंबित हुए हैं, क्यों कि सरकार इसका प्रस्ताव ही नहीं भेज रही थी, यह हमारे संघर्षों से ऐसा हुआ है कि यूपीए की सरकार ने सरगुजावासियों को मेडिकल काॅलेज की सौगात दी, लेकिन सत्ता में बैठी भाजपा की सरकार ने हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया, जिसका कारण रहा कि हमारे काॅलेज को रूपये ही उपलब्ध नहीं कराये जा रहे, यदि इसी तरह की व्यवस्था जारी रही तो हमारा यह आंदोलन निरंतर चलेगा, आमजनों की तकलीफ को लेकर हम निरंतर संघर्षरत रहेंगे और ऐसी सरकार को उखाड़ फेकेंगे। सभापति नगर निगम शफी अहमद ने कहा कि न तो सीटी स्कैन की व्यवस्था है न एमआरआई की सुविधा, टेली मेडिसीन का भी बुरा हाल है और प्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅक्टर हैं, शर्म आती है ऐसी संवेदनशीलता देखकर कि लोगों की मौत ईलाज नहीं होने के कारण हो जाती है। ऐसी सरकार पर धिक्कार है जो डाॅक्टर और नर्स अस्पताल को उपलब्ध नहीं करा पा रही है। महापौर डाॅ. अजय तिर्की ने कहा कि सत्ता में बैठी पार्टी को बयान देने और घोषणा करने के अलावे और कुछ नहीं आता, मेडिकल काॅलेज से लगे डिलवरी होम जो है वह काफी समय से जर्जर है जहां पर प्रतिदिन काफी संख्या में डिलीवरी होती है किसी दिन यदि कोई अनहोनी घट गई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? घोषणा कब की हुई है लेकिन बिल्डिंग आज तक नहीं बनी। मेडिकल काॅलेज के प्रबंधन का यह हाल है कि एमसीआई से मान्यता मिले या न मिले इसकी परवाह उन्हें नहीं है, एमआरआई और सीटी मशीन तक सही मंगा पाने में वे लाचार है, ऐसे लोगोें को डीन बना कर ही क्यों भेजा गया जो कि मेडिकल काॅलेज को चलाना ही नहीं जानते। इनसे मैं पुछना चाहता हूं अब निगम के जनप्रतिनिधियों, विधायकों को किस समस्या के सुझाव के लिये कब इन्होंने बुलाया। कभी जनप्रतिनिधियों को बुला लेते तो काफी समस्या का हल स्थानीय स्तर पर निकाला जा सकता था, लेकिन मद मस्त हाथी की चाल से चले जा रहे हैं, किसी न तो कुछ पुछना है और न ही कुछ समझना है। ऐसे में मेडिकल काॅलेज को इस वर्ष मान्यता मिल जाये यह भी अधर में है। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने कहा कि जब कि मेडिकल काॅलेज की व्यवस्था सुधर नहीं जाती, लोगों को सही ईलाज नहीं मिलता, जरूरी चिकित्सक एंव स्टाफ की भर्ती नहीं होती, जरूरी उपकरण नहीं आते तब तक कांग्रेस का यह संघर्ष जनसमर्थन के साथ निरंतर जारी रहेगा। धरना प्रदर्शन के दौरान हजारांे की संख्या में जिले भर से कांग्रेसी कार्यकर्ता एवं आमजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री अरविन्द सिंह गप्पु ने किया।

 

सीएमएचओ कार्यालय घेरने जाते हुए कांग्रेसजनों से मेडिकल कालेज के गेट पर डीन एवं सीएमओ ने मुलाकात कर 10 सूत्रीय मांग का ज्ञापन लिया तथा समस्याओं के निदान हेतु शिघ्र पहल करने का भरोसा दिया। इस दौरान जिला उपाध्यक्ष गुरूप्रीत सिंह बाबरा, महामंत्री जे.पी. श्रीवास्तव, अरविन्द सिंह गप्पु, जिला कोषाध्यक्ष राजेश मलिक गुड्डु, मिडिया सेल अध्यक्ष द्वितेन्द्र मिश्रा, ब्लाॅक अध्यक्ष हेमंत सिन्हा, ग्रामीण अध्यक्ष राकेश गुप्ता, अरूण मिश्रा, बसंत पाण्डेय, नरेश सिंह, विक्रमादित्य सिंह देव, मदन जायसवाल, प्रवीण गुप्ता, परवेज खान, राधेश्याम सिंह, सी. अनिल, मो. इस्लाम, अब्दुल अब्बास, नुरूल अमिन सिद्दीकी, हेमंत तिवारी, इन्द्रजीत सिंह धंजल, अमीत मिंज, सिद्धार्थ सिंह, राजीव सिंह, जगजीत मिंज, प्रमोद चैधरी, ओम प्रकाश सिंह, के.के. गुप्ता, बलराम यादव, विनित जायसवाल, सत्येन्द्र तिवारी, फुलसाय लकड़ा, कृपाशंकर गुप्ता, बालकेश्वर तिर्की, बिरेन्द्र खेस, सुभाष पैकरा, मुनेश्वर राजवाड़े, विजय सिंह, अजीत नायर, हुंस कुमार सिंह, अनीमा केरकेट्टा, रामू घोष, सतनारायण, गंगा पैकरा, रामलाल, गौरी राजवाड़े, रामेश्वर तिर्की, चुनमुन तिवारी, पवन पाण्डेय, शैलेन्द्र प्रताप सिंह, आलोक सिंह, दीपक मिश्रा, निक्की खान, सैयद अख्तर, ओनिमेष सिन्हा, सतीश बारी, हिमांशु जायसवाल, विष्णु सिंह देव, आतिफ रजा, श्रीमती मधु दीक्षित, मधु सिंह, रोजालिया एक्का, संध्या रवानी, शेख नसीमा, सावित्री देवी सारथी, सीमा सोनी, हिरो बड़ा, गीता प्रजापति, नसरीन एहसन, नीतु शर्मा, चित्रा मिश्रा, रेणुका पाठक, दुर्गा देवी, जुही यादव, कृतिका पाण्डेय, अनवर खान, दीलिप धर, सुदामा कुर्रे, पंकज चैधरी, प्रकाश साहू, संदीप सिन्हा, हरभजन भामरा, विवेक सिंह, शैलेन्द्र सोनी, अरविन्द पाण्डेय, पपीन्दर सिंह, जीवन यादव, आशीष वर्मा, अमीत दुबे, शेखर गुप्ता सहित काफी संख्या में कांग्रेसजन उपस्थित थे।