क्या मरने के बाद इन्सान की कोई कीमत नहीं..? कचरा वाहन में ढोई गई लाश…

अंबिकापुर “देश दीपक सचिन”  क्या मरने के बाद इन्सान की कोई कीमत नहीं.. इंसान की लाश अगर बोल सकती तो ये सवाल जरूर करती.. ज़िंदा रहते जिस इंसान का नाम और वजूद दोनों होता है मरने के तुरंत बाद ही इन्सान इंसानियत भूल मृत शरीर के साथ अमानवीय बर्ताव करने पर क्यों आमादा हो जाता है..?  ऐसा ही मामला अंबिकापुर के बांस बाडी में देखने को मिला.. लेकिन हमारे कैमरे में कैद हुई कुछ तश्वीरो को देखने के बाद शायद अप भी पूछ पड़ेंगे की क्या मरने के बाद इंसान की कोई कीमत नहीं होती..

देखिये वीडियो –

हम आपको ज़िंदा इन्सान और लाश के बीच फर्क दिखने जा रहे है.. वही इन्सान जो अपने ज़िंदा रहते आलीशान वाहनों में एयरकंडीशनर में बैठता है.. मरने के बाद उसकी लाश को कचरे के ट्रैक्टर में उठाया जाता है.. यकीन मानिए अगर लाश बोल सकती तो एक सवाल ज़िंदा लोगो से जरूर करती…क्या मरने के बाद इंसान की कोई कीमत नही..?

दरअसल अंबिकापुर के बांसबाडी में पेड़ में फंसी पर लटकी एक नाबालिग की लाश देखी गई.. लाश के मिलने के बाद पुलिस मौक पर पहुची.. और हर बार की तरह.. शव के मर्ग पंचनामा की कार्यवाही में जुट गई.. साथ ही मौके पर पहुचे पुलिस कर्मी  स्वास्थ विभाग व नगर निगम को शव ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था करने फोन भी कर दिया.. वही मृतक के परिजनों के विलंब से आने की वजह से यह प्रक्रिया घंटो चली लेकिन तब तक स्वास्थ विभाग का शव वाहन नहीं पहुच सका लिहाजा शव को नगर निगम की कचरा गाडी में ही लोड कर दिया गया और भेज दिया गया पोस्टमार्टम के लिए…

गौरतलब है की मृतक कक्षा बारहवीं का छात्र था और गांधीनगर में किराये के मकान में रह कर अंबिकापुर के मल्टीपरपज स्कूल में पढ़ाई कर रहा था.. छात्र 12 अगस्त से लापता था जिसकी गुम्सुदगी गांधीनगर थाने में दर्ज थी.. और उसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मृतक के परिजनों का पता लगाया.. फिलहाल छात्र की मौत के कारन रहस्य बना हुआ है..

एक छात्र लापाता होता है.. उसकी गुमसुदगी दर्ज कर पुलिस उसकी तलाश करती है…छात्र का शव पेड़ पर लटकता मिलता और पुलिस मौके पर पहुच कर अपनी ड्यूटी करती है… इस तरह की वारदातों में महज पुलिस ही नहीं बल्की स्वास्थ विभाग, नगर निगम, जनप्रतिनिधी सभी की जरूरत पुलिस को पड़ती है कार्यवाही आगे बढाने के लिए .. यहाँ तक तो सब ठीक था लेकिन संभाग मुख्यालय के स्वास्थ महकमे की लापरवाही की हदे तो तब पार हो गई जब शव को ले जाने एक शव वहान भी मौके पर नहीं भेजा गया.. और बाकी की कसर निगर- निगम ने पूरी कर दी जिसने शव को कचरा वाहन में ही उठवा दिया.. ऐसे में यही कहा जा सकता है की लोग ज़िंदा है या ज़िंदा लाश है.. जो इन्सान के मरने के बाद उसकी बेकदरी करने से बाज नहीं आते..