अब कौन पिलाए दूध …….मां तो नसबंदी की हो गई है शिकार

unnamed (22)बिलासपुर
अपनों के खोने का गम क्या होता है ये वो लोग कभी नहीं जान सकते जिनके साथ ऐसी बीती ना हो ।चाहे मुआवजे का मरहम लग जाय या फिर सांत्वना स्वरूप कोई पीठ पर हाथ रख दे लेकिन जो इस दुनिया से चले जाते हैं उनकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो सकती । बिलासपुर के नसबंदी कांड में घुरू गांव की मृतक नेम बाई के परिवार से पेश है हमारी खास रिर्पोट ।
आज जब हमारी टीम मृतक नेमबाई के घुरू गांव स्थित उसके घर पहुंची तो पाया कि पूरा परिवार मातम में डूबा हुआ था । सबके मुंह में सिर्फ एक ही बात थी कि भला नहीं होगा उस डाक्टर का जिसके कारण आज नेमबाई की मौत हो गई । नेमबाई के खोने का गम उसके परिजनों के आंखों में साफ-साफ दिख रहा था और वो बार-बार स्वास्थ्य शिविर के डाक्टर को बददुआ दे रहे थे जिसके कारण आज ये हदसा हुआ । unnamed (22)
बच्चों की माँ नेमबाई का व्यवहार ऐसा था कि वो पूरे परिवार की दिल जीत ली थी । परिजनों को अब सिर्फ इस बात की चिंता सता रही है कि आखिर किस तरह दुधमुंहे बच्चों का पालन पोषण होगा जिसके होश संभालने से पहले ही उसकी माँ अब इस दुनिया में नहीं रही ।
बिलासपुर के नसबंदी कांड में दर्जनों महिलाओं की मौत ने सचमुच पूरे देश को हिला के रख दिया है । चाहे अंखफोड़वा कांड हो या फिर गर्भाषय कांड हर जगह किसी का नुकसान हुआ है तो वो है आम आदमी । .वो आम आदमी जिसके जेब में उतने पैसे नहीं होते और वो मजबूरन शासकीय अस्पतालों या फिर शिविरों में इलाज कराने आता है । बड़ा सवाल यही कि इन घटनाओं के बाद भी शासन प्रशासन चेतता क्यों नहीं या फिर ये खुद मोटी चमडी वाले लोग अपने मुंह से बतादें कि इन्हें होश में लाने का आखिर तरीका क्या है ।