मिशन 2024: बसपा के कैंडीडेट्स रोहित डहरिया बिगाड़ सकते हैं कांग्रेस प्रत्याशी शिव डहरिया का खेल..? जांजगीर चांपा लोकसभा में अब त्रिकोणीय मुकाबला..

संजय यादव/जांजगीर-चांपा…जैसे-जैसे मतदान के तारीख नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे चुनाव की सरगर्मियां भी अब बढ़ने लगी है. राजनीति पार्टियों में बैठक एवं जनसंपर्क का दौर अब शुरू हो गया है. जांजगीर चांपा लोकसभा में बसपा,भाजपा एवं कांग्रेस प्रत्याशियों की नाम की घोषणा हो गई है. बसपा से जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष रोहित डहरिया चुनाव मैदान में है, तो भाजपा से श्रीमती कमलेश जांगड़े चुनाव लड़ रही है, कांग्रेस से पूर्व मंत्री शिव डहरिया को फिर से कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में उतारा है. अब जांजगीर लोकसभा में त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है. बसपा से रोहित डहरिया के मैदान में आ जाने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी शिव डहरिया का मुश्किले थोड़ी बढ़ गई है. क्योंकि भाजपा का उम्मीदवार श्री मति कमलेश जांगड़े सक्ति जिले से हैं. तो शिव डहरिया भी जिले से बाहर के हैं. लेकिन रोहित डहरिया को जांजगीर चांपा जिले के स्थानीय प्रत्याशी होने के लाभ मिल सकता हैं।

विधानसभा चुनाव में जिस तरह बसपा का वोट कांग्रेस में डाइवर्ट हुआ था जिसके चलते जांजगीर लोकसभा में कांग्रेस जीत हुई. लेकिन अब रोहित डहरिया को बसपा उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है. क्योंकि रोहित डहरिया बसपा के जिला अध्यक्ष के साथ साथ पूर्व जिला पंचायत के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. अपने सरल एवं सहज स्वभाव के लिए जाने जाते हैं.

रोहित डहरिया का छवि स्वच्छ एवं साफ जनप्रतिनिधि के रूप में है. उनकी पकड़ बहुजन समाज पार्टी में मजबूत है, जिसके चलते अब कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता हैं. क्योंकि जांजगीर चांपा लोकसभा प्रदेश में एकमात्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट हैं ,इसलिए इस लोकसभा में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता है,आने वाले समय में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता का जिस प्रत्याशी की तरफ ज्यादा झुकाव रहेगा उसी प्रत्याशी की जीत होगी.

हालांकि, जांजगीर चांपा लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी की हमेशा से दबदबा रहा हैं.क्योंकि बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम भी यही से चुनाव लड़े थे. जिसके चलते इस लोकसभा को बसपा का गढ़ माना जाता हैं . पूरे प्रदेश में यही से विधायक बसपा से भी चुने जाते है. जिसके चलते बसपा का वोट अहम माना जा रहा हैं. अब देखना होगा कि तीनों पार्टी में कौन एस सी वर्ग के वोट को खींच पता है.

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