आज बेहद दुर्लभ “शनि अमावस्या”…क्या करें, उपाय जानना जरूरी है!..

हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को दान-पुण्य और पूजा आदि के लिए शुभ माना जाता है। अगर यह अमावस्या शनिवार को पड़े तो इसे और भी शुभ माना जाता है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या (Shani Amavasya) कहते हैं। शनि अमावस्या (Shani Amavasya) को बेहद दुर्लभ माना जाता है। एक साल में लगभग 12 अमावस्या होती हैं लेकिन शनि अमावस्या बेहद कम होती हैं। इस दिन भगवान शनि देव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

शनि अमावस्या (Shani Amavasya)

साल 2019 के शुभारंभ में 5 जनवरी को शनि अमावस्या है।

शनि अमावस्या पूजा विधि (Shani Amavasya Puja Vidhi in Hindi)

भविष्य पुराण के अनुसार प्रत्येक माह की पूर्णिमा और अमावस्या को पितर-शांति के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए। अधिकतर ज्योतिषी शनि अमावस्या के दिन अन्य अमावस्या की तरह ही पूजा करने की सलाह देते हैं। इस दिन शनिदेव का विशेष पूजन करना चाहिए। इस दिन प्रात: काल पीपल के पेड़ पर या शनिदेव की प्रतिमा पर काला तिल युक्त जल अर्पित करना चाहिए। शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अर्पित कर उनसे प्रार्थना करनी चाहिए।

शनि अमावस्या का महत्व (Importance of Shani Amavasya)

पुराणों में वर्णित है कि शनिदेव की महादशा या साढ़ेसाती से परेशान जातकों को शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से शनिदेव आसानी से प्रसन्न होते है।

शनि अमावस्या के दिन निम्न कार्य करने का भी प्रयास करना चाहिए जैसे…

* शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान: तिल, कंबल, तेल, काला छाता या काले कपड़े शनिदेव से जोड़ कर देखे जाते हैं। इस दिन ऐसी वस्तुओं का दान देना चाहिए।

* पितृ शांति उपाय: इस दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। साथ ही इस आचार्य भागवत प्रसाद ज्योतिष गुरु इस दिन को कालसर्प योग और पितृदोष शांति उपाय करने के लिए शुभ मानते हैं।

* पीपल के पेड़ पर जल देना: पीपल के पेड़ पर सभी देवताओं का वास होता है, साथ ही पितरों की शांति के लिए भी पीपल के पेड़ को ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ पर अवश्य जल चढ़ाना चाहिए।

* शनि चालीसा, मंत्र आदि का जाप: हिन्दू पुराणों के अनुसार शनि स्तोत्र की रचना स्वयं राजा दशरथ ने शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए की थी। भगवान शनि ने राजा दशरथ को आशीष दिया था कि भविष्य में जो भी शनि स्तोत्र का पाठ करेगा मैं उस पर प्रसन्न हो जाऊंगा। इस दिन संभव हो सके तो शनि चालीसा, शनि मंत्र या शनि देव की आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए।

* हनुमान जी की पूजा: शनि अमावस्या के दिन हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का अवश्य पाठ करना चाहिए।

* शनि मंत्रों का जाप: इस दिन निम्न का अवश्य जाप करना चाहिए “ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।”

शनि का संबंध आपके पैरों से होता है। ऐसे में जूते-चप्पल से जुड़े उपाय आपको शनि से जुड़े दोषों से मुक्त कराते हैं। यदि आपकी कुंडली में शनि को लेकर कोई दोष है या फिर शनि की ढैय्या अथवा साढ़ेसाती चल रही है तो आप शनि अमावस्या या फिर शनिवार के दिन बगैर किसी को बताए अपना काले रंग का चमड़े का जूता या चप्पल मंदिर के प्रवेश द्वार पर उतार कर चले आएं। ध्यान रहे कि ऐसा करते समय वापस पीछे पलट कर न देखें। शनि देवता से जुड़ा यह प्रयोग शनि के कारण हो रही समस्याओं को दूर करके निश्चित रूप से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा।

2. यदि आपकी कुंडली में शनि दोष है या फिर शनि ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है तो आप तमाम तरह की चीजों का दान करके लाभ पा सकते हैं। सूर्य पुत्र शनि ग्रह की कृपा पाने के लिए काले रंग की गाय, काले रंग का कपड़ा, छाता, लोहा, छाता, जूता, कंबल आदि का दान करना श्रेयस्कर होता है।

3. शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि अमावस्या के दिन नवग्रह वाले मंदिर में जाकर शनिदेव की साधना-आराधना करें। उन्हें श्रद्धाभाव से तेल, काला तिल और नीले रंग का फूल चढ़ाएं। साथ ही दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।

4. शनि कर्म के देवता हैं और आपके किए गए कार्य का फल जरूर देते हैं। इसलिए ग्रहों की चाल में शनि को लेकर अब घबराने की जरूरत नहीं है। शनि को मनाने के लिए अपने व्यवहार में जरूर परिवर्तन लाएं। मजदूर वर्ग से नम्रता से पेश आएं। विशेष रूप से अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी सेवा करें।

5. शनि से जुड़े दोष दूर करने या फिर उनकी कृपा पाने के शनिदेव का यह मंत्र काफी प्रभावी है। इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करने से शनिदेव का प्रकोप शांत हो जाता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
मंदाचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।
इसी तरह ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: मंत्र का तीन माला जप करने से भी शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।

6. शनि अमावस्या के दिन किसी शुभ मुहूर्त में उड़द की दाल को पीसकर उसके दो बड़े बनाएं। ध्यान रखें, उड़द की दाल में कोई अन्य दाल न मिली हो। सूर्यास्त के समय इन बड़ों पर शुद्ध दही और सिंदूर लगाएं और उसे ले जाकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख कर पीपल देवता को प्रणाम करें। इसके पश्चात् वापस घर लौट आएं। वापस लौटते समय न तो पीछे मुड़कर देखें और न ही रास्ते में किसी से बातचीत करें। शनिदेव की कृपा पाने के लिए इस उपाय को 21 दिनों तक करें।

7. शनि अमावस्या के दिन उड़द की दाल की खिचड़ी बनाकर भूखे व्यक्तियों को भोजन कराएं। इस उपाय से शनिदेव प्रसन्न होंगे और आप पर उनकी कृपा बरसेगी।