मध्यप्रदेश में अब विधानसभा के बाद राज्यसभा में भी बदल सकता है चुनावी गणित.. जानिए कैसे ?

भोपाल. मध्यप्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों पर 26 मार्च को वोटिंग होनी हैं. जिसपर कमलनाथ और 22 करीबी विधायकों के इस्तीफे से पहले कोंग्रेस राज्यसभा की दो सीटों पर पैर जमाए दिखाई नजर आ रही थी. मगर अब पासा पलटता दिखाई पड़ रहा है. जहां कमलनाथ सरकार गिरने से पहले भाजपा राज्यसभा कि सिर्फ एक सीटों पर जीत हासिल करते नजर आ रही थी, वहीं अब भाजपा के खेमे में दोनों सीटें जाती दिखाई नजर आ रही है.

राज्य में राजनीतिक उथल – पुथल से पहले किसी भी उम्मीदवार को सीट जीतने से पहले 58 प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत थी. तब कांग्रेस के पास 114 विधायक थे. साथ ही बसपा, सपा, और निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी था. और भाजपा के पास 107 विधायक थे, जिससे वह सिर्फ एक सीट जीत सकती थी. मगर अब सरकार गिरने के बाद अब भाजपा के पास 106 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं.

राज्यसभा में अब किसी भी पार्टी को एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 52 वोट पाने होंगे. क्योंकि अब विधायकों के आंकड़े भाजपा का समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं जिससे अब भाजपा को राज्यसभा में दो सीटें मिल सकती हैं, वहीं कांग्रेस के खेमे में सिर्फ एक सीट जाती दिखाई दे रही है. भाजपा से प्रभात झा और सत्यनारायण जाटिया राज्यसभा सांसद तो वहीं कांग्रेस से दिग्विजय सिंह थे. मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए अब चार उममीदवारों में मुकाबला है. इनमें बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और मेरे सिंह सोलंकी तो कोंग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया मैदान में हैं.