किडनी स्टोन खान-पान ही नहीं, ‘हारमोन’ से भी

सिर्फ खान-पान ही नहीं बल्कि हारमोन का स्तर भी किडनी को स्टोन देता है। पुरुषों में मौजूद टैस्टोस्टेरोन हारमोन को किडनी में बनने वाले स्टोन के लिए जिम्मेदार पाया गया है। जबकि महिलाओं का हारमोन एस्ट्रोजन ऐसे सुरक्षा कवच के रूप में उभर कर सामने आया है, जो उनकी किडनी में स्टोन बनने नहीं देता। यही नहीं यह भी खुलासा हुआ है कि कमजोर हड्डियां महिलाओं व पुरुषों दोनों को किडनी स्टोन की सौगात देती हैं। पी.जी.आई के यूरोलॉजी विभाग में किए गए अनुसंधान की रिपोर्ट कहती है कि अगर टैस्टोस्टेरॉन हारमोन के संतुलन को नियंत्रित किया जाए तो किडनी में बनने वाले स्टोन की बीमारी को काबू में किया जा सकता है। विटामिन डी के सेवन से भी स्टोन बनने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जा सकती है। 200 पेशैंट्स पर किए गए पी.जी.आई के यूरोलॉजी विभाग के शोध पत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल हुई है। अमेरिकन यूरोलॉजी एसोसिएशन ने पी.जी.आई के यूरोलॉजी विभाग में किए अनुसंधान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सम्मेलन के लिए स्वीकार कर लिया है।

ऐसे किया गया अनुसंधान

यूरोलॉजी विभाग में किडनी स्टोन के इलाज के लिए पहुंचे पेशैंट्स के टैस्टोस्टेरोन हारमोन, एस्ट्रोजन हारमोन, डैक्सा स्कैन टैस्ट में हड्डियों में विटामिन डी के स्तर को खंगाला गया। लिथोट्रिपसी और दवा के दम पर स्टोन की बीमारी दूर करवाने वाले पेशैंट्स से खान पान से जुड़े सवाल भी किए गए। अनुसंधान में 200 पेशैंट्स को शामिल किया गया जिनमें 125 पुरुष और 75 महिलाऐं शामिल थी। 18 महीने चले अध्ययन पुरुषों में सिर्फ टैस्टोस्ट्रोन होरमोन का स्तर देखा गया जबकि पुरुष व महिलाओं दोनों में कैल्शियम और एस्ट्रोजन हारमोन की भी जांच की गई।

यह मिले अनुसंधान के परिणाम

अनुसंधान में पाया गया कि जिन पुरुषों में टैस्टोस्टेरोन हारमोन का स्तर 16.4 नैनो मोल प्रति लीटर था उनमें किडनी स्टोन बनने का खतरा सामान्य हारमोन स्तर वाले पुरुषों की तुलना में तीन गुणा अधिक था। शोध की रिपोर्ट यह भी कहती है कि जिन महिलाओं व पुरुषों में हड्डियों का टी स्कोर 1.25 से कम था उनमें किडनी स्टोन बनने का खतरा सामान्य हड्डियों वाले लोगों की तुलना में चार गुणा अधिक था। अध्ययन ने यह भी खुलासा किया कि 60 से 80 प्रतिशत स्टोन पेशैंट्स में विटामिन डी की कमी थी। महिलाओं में एस्ट्रोजन हारमोन को किडनी स्टोन के खिलाफ लड़ते हुए पाया गया। पेशैंट्स के हारमोन स्तर को नियंत्रित किया गया, कमजोर हड्डी वाले पेशैंट्स को विटामिन डी और आहार में कैल्शियम का अत्यधिक सेवन करने के लिए कहा गया।