10 साल में एक लाख स्टार्ट-अप, 35 लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार

अमेरिका और ब्रिटेन के बाद स्टार्ट-अप शुरू करने के मामले में फिलहाल दुनिया में तीसरे नंबर पर चल रहे भारत के विकास को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि अगले साल तक हमारा देश नंबर वन बन सकता है। भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम से इसे और गति मिल सकती है। माना जा रहा है कि अगले दस साल में भारत में एक लाख स्टार्ट-अप स्थापित होंगे, जिनमें करीब 35 लाख युवाओं को रोजगार मिल सकता है। आइए देखें कि आप इस स्थिति से लाभ उठाने के लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं।

ट्रैंड में बदलाव
पिछले कुछ वर्षों में ही जॉब्स ट्रैंड में 360 डिग्री का बदलाव देखने में आ रहा है। पहले युवा जहां सरकारी या एमएनसी नौकरियों के पीछे दौड़ लगाते थे, वहीं अब इनमें से तमाम युवा नौकरी खोजने-पाने नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले की भूमिका में सामने आ रहे हैं। ‘फोर्ब्स” ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि भारत में स्टार्ट-अप शुरू करने वाले युवा उद्यमियों की औसत उम्र 30 साल से कम है। भारत में छोटे-बड़े मिलाकर फिलहाल करीब 5 हजार स्टार्ट-अप्स काम कर रहे हैं। इसमें हर दिन 4 से 6 स्टार्ट-अप जुड़ते हैं। इनकी सफलता को देख नौकरी कर रहे और नौकरी तलाश रहे बहुतेरे प्रतिभाशाली युवा भी अपनी रुचि के क्षेत्र में स्टार्ट-अप शुरू करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इतना ही नहीं, इनकी कामयाबी को देखते हुए स्थापित कंपनियों में सीनियर लेवल पर काम कर रहे एम्प्लॉयी भी दूसरी बड़ी कंपनियों से जुड़ने के बजाय इन स्टार्ट-अप्स से जुड़ना कहीं अध‍िक पसंद कर रहे हैं। या फिर वे खुद की ही कंपनी स्थापित करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। स्टार्ट-अप्स के भविष्य को देखते हुए इन्हें एंजल इन्वेस्टर्स का भी खूब साथ मिल रहा है।
मुश्किलें कैसे हों आसान?
देश को विकास की राह पर आगे बढ़ाने वाला यह दिलचस्प ट्रैंड और जोर पकड़ सकता है, बशर्ते सरकार स्टार्ट-अप्स की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करते हुए सरलता से इनके आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करे। अगर सरकार अपनी योजनाओं को प्रचारित-प्रसारित करने के साथ- साथ इन पर शत-प्रतिशत व्यवहारिक अमल करे और समय-समय पर स्टार्ट-अप शुरू करने वाले युवाओं की चिंताओं को समझकर उन्हें दूर करने का प्रयास करे, तो निश्चित रूप से उन एक्सपर्ट्स की बात सही साबित हो सकती है, जो यह मानते हैं कि अगले ही साल तक अमेरिका और ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए स्टार्ट-अप्स के मामले में भारत दुनिया का नंबर वन देश बन सकता है। इसके लिए राज्य सरकारों को भी आगे आना होगा।
आनंद भी, रोजगार भी
देश के युवाओं को रोजगार मुहैया कराना हमेशा से एक चुनौती बना हुआ है। मगर नित नए क्षेत्रों में सामने आ रहे स्टार्ट-अप्स ने युवाओं को खुद-ब-खुद रोजगार की मजेदार राह दिखानी आरंभ कर दी है। घर-घर ग्रॉसरी का सामान पहुंचाना हो या फिर खाने-पीने का सामान या ताजा सब्जियां, इन कामों का वे भरपूर आनंद भी उठा रहे हैं और आम लोगों को अपेक्षाकृत सस्ते दाम पर अच्छी गुणवत्ता वाला सामान भी मिल रहा है। यह तो महज शुरूआत है। भारत जैसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में छोटे शहरों, कस्बों, गांवों तक पहुंचने और कारोबार को फैलाने की अपार संभावनाएं हैं। इसे देशी, विदेशी कंपनियों और एमएनसी के साथ-साथ भारत
के प्रतिभाशाली युवा भी बखूबी समझ रहे हैं।
सरकारी और निजी क्षेत्रों में बढ़ी अर्थक्वेक इंजीनियर्स की मांग
समझें अपनी ताकत
अगर आप भी भारतीय स्टार्ट-अप्स से प्रेरित हैं और अपने मन का कुछ करने के लिए व्याकुल हैं, तो अति-
उत्साह में आने या सिर्फ सपने देखने के बजाय सबसे पहले अपनी ताकत को जानें-समझें। इस बात की संभावनाएं तलाशें कि जिस क्षेत्र में आपकी रुचि है, उसमें आप नया क्या कर सकते हैं। आप जो प्रोडक्ट या सर्विस देना चाहते हैं, उसे लोग क्यों पसंद करेंगे? आप उसे लोगों तक किस तरह पहुंचाएंगे? उसकी मार्केटिंग कैसे करेंगे? उसके लिए आर्थिक रूप से कितना मजबूत होना जरूरी है? भविष्य के लिए आपकी क्या रणनीति है? आप एक मजबूत टीम किस तरह बनाएंगे? इन सब बातों पर विचार और पूरी तैयारी करने के बाद ही काम आरंभ करें। एक-एक कदम सोच-समझकर बढ़ाएं।
करें कारगर पहल
अगर आप खुद का स्टार्ट-अप शुरू करने के बजाय कुछ साल नौकरी करके जरूरी व्यवहारिक बारीकियां सीखना-समझना चाहते हैं, तो किसी भी कंपनी में (स्टार्ट-अप ही हो तो बेहतर) शुरूआत कर सकते हैं। हां, जहां भी किसी कंपनी को जॉइन करें, वहां पूरी लगन, मेहनत और ईमानदारी से काम करें। उत्सुकता और उत्साह के साथ सीखने के लिए तत्पर रहें। जहां सुझाव मांगे जाएं, वहां अपने इनोवेटिव आइडियाज जरूर शेयर करें। मैनेजमेंट और सीनियर्स की नजरों में अपनी काबिलियत साबित करें।