नेशनल हेराल्ड मामला: सोनिया- राहुल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के सात दिसंबर के फैसले को आज उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में नेशनल हेराल्ड मामले में अदालत द्वारा जारी समन निरस्त करने से इनकार कर दिया था.

सोनिया और राहुल गांधी के साथ ही सुमन दुबे और सैम पित्रोदा ने भी उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.उच्च न्यायालय ने पिछले साल सात दिसंबर को कांग्रेस नेताओं को जारी समन निरस्त करने से इनकार करने के साथ ही इस प्रकाशन का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के उनके ‘संदेहास्पद आचरण’ पर भी तीखी टिप्पणियां की थी.

इसके बाद सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य पिछले साल 19 दिसंबर को पटियाला हाउस अदालत में पेश हुये थे. अदालत ने इन सभी को जमानत देते हुये टिप्पणी की थी कि उन सभी की राजनीति में गहरी पैठ है और उनके भागने की संभावना नहीं है.

मजिस्ट्रेट ने इसके बाद इस मामले की सुनवाई 20 फरवरी के लिये सूचीबद्ध कर दी थी. यदि शीर्ष अदालत से उन्हें कोई राहत नहीं मिली तो उन सभी को 20 फरवरी को फिर अदालत में पेश होना पड़ेगा.

इससे पहले, उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ जारी समन निरस्त करने से इंकार करते हुये कहा था, ‘‘याचिकाकर्ताओं के संदेहास्पद आचरण की आरोप निर्धारित करने के चरण में सच्चाई का पता लगाने के लिये उचित तरीके से जांच की आवश्यकता है और इसलिए प्रारंभिक चरण में आपराधिक कार्यवाही को विफल नहीं किया जा सकता है.”

इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ सुमन दुबे, मोती लाल वोरा, आस्कर फर्नाण्डीज, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन लि ने भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी की शिकायत पर निचली अदालत द्वारा उन्हें जारी समन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. स्वामी ने इन सभी पर आरोप लगाया है कि बंद पड़े इस दैनिक का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए उन्होंने घोखाधडी और धन का गबन किया.

निचली अदालत ने सोनिया, राहुल, वोरा (कांग्रेस के कोषाध्यक्ष) फर्नाण्डीज (कांग्रेस महासिचव) दुबे और पित्रोदा को भारतीय दंड संहिता की धारा 403 (बेईमानी से संपत्ति हथियाना), 406 (अमानत में खयानत) और धारा 420 (धोखाधडी)और धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत समन किया था.

निचली अदालत ने 26 जून, 2014 को इन सभी को सात अगस्त, 2014 को पेश होने का आदेश दिया था लेकिन इस आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायलय ने छह अगस्त को रोक लगा दी थी. बाद में उच्च न्यायालय ने सात दिसंबर, 2015 को स्वामी की शिकायत निरस्त करने के लिये दायर याचिका अस्वीकार करते हुये समन जारी करने पर लगी रोक हटा दी थी.

स्वामी की शिकायत के अनुसार ये सभी 2010 में बनई कंपनी यंग इंडियन लि के निदेशक हैं जिसने नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लि का ‘कर्ज’ अपने ऊपर ले लिया था.

स्वामी ने सोनिया, राहुल और अन्य पर 50 लाख रुपए का भुगतान करके धोखाधडी और धन का गबन करने की साजिश करने का आरोप लगाया था। इस भुगतान के माध्यम से यंग इंडियन ने कांग्रेस पार्टी के स्वामित्व वाले एसोसिएटेड जर्नल्स लि पर बकाया 90.25 करोड रुपए वसूलने का अधिकार प्राप्त कर लिया था.

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला 
भाजपा नेता एस स्वामी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया था कि सोनिया और राहुल ने कांग्रेस पार्टी से लोन देने के नाम पर नेशनल हेराल्ड की 5,000 करोड़ की संपत्ति कथित तौर पर जब्त कर ली. स्वामी का आरोप है कि पहले नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएट जनरल लिमिटेड को कांग्रेस ने 26 फरवरी, 2011 को 90 करोड़ का ऋण दे दिया. इसके बाद पांच लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनायी गयी, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है. शेष हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास है.
इसके बाद के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दे दिये गये और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का ऋण चुकाना था. नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को एसोसिएट जनरल लिमिटेड के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गये. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का ऋण भी माफ कर दिया. यानी यंग इंडियन को मुफ्त में स्वामित्व मिल गया. स्वामी ने इस 90 करोड़ रुपये के प्रकरण में हवाला कारोबार का शक जताया है. यह भी आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाऊस की 1,600 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया.