विशेष लेख : परंपराओं की गोद, कलाओं का पलना

  • केवलकृष्ण

नांदगांव वही शहर है जो अक्सर पूछता है- जरा बताओ तो मेरे दोस्त तुम्हारी राजनीति क्या है। नांदगांव वही शहर है जो बताता है कि विश्वसाहित्य में क्या नया घट रहा है, क्या नया जुड़ रहा है। यह सहकारिता की ताकत जानता है और मजदूरों के हाथों की रचनात्मकता भी। यह गांवों के गीत गुनगुनाता है। ददरिया से लेकर दादरा और ठुमरी तक के सुरों को इसने साध रखा है। कौन नहीं चाहेगा कि नांदगांव का शागिर्द हो जाए।

मुक्तिबोध और पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की धरती है यह। अपनी रचनाधर्मिता और कलात्मकता के लिए यह इलाका विख्यात रहा है। अच्छी खेती और समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा नांदगांव की विरासत है। अब इसकी ख्याति और भी बढ़ रही है, उपलब्धियों का पोथा मोटा और मोटा और मोटा होता जा रहा है। पिछले 9 सालों में इस इलाके ने जो कुछ कर दिखाया है, उसी की कहानी सुनाने मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह विकास यात्रा के दूसरे चरण में यहां के गांवों और शहरों तक जा रहे हैं। यह  बताने जा रहे हैं कि उनकी राजनीति क्या है। यह वही राजनीति है जिसने विकास के कीर्तिमान गढ़े। यह वही राजनीति है जिसने नांदगांव को देश में नयी पहचान दिलाई है। यह विकास की राजनीति है।

पहले नांदगांव के केवल 19 फीसदी इलाके में ही सिंचाई हुआ करती थी। अब यह रकबा बढ़ गया है। 32 फीसदी इलाकों में सिंचाई होने लगी है। सूखानाला, घुमरिया और खातूटोला बैराज जब पूरे हो जाएंगे तो रकबे में और इजाफा होगा। शिवनाथ में 11 एनीकटों का निर्माण किया जा चुका है। आजादी के बाद यहां के अंबागढ़ चौकी में मोंगरा बैराज बनाया गया था। इस बैराज का पानी अब 42 गांवों तक पहुंचाया जा रहा है। दोनों मौसमों में 25 हजार एकड़ की सिंचाई करता है यह बैराज।

नांदगांव ने हमेशा याद दिलाया है कि ऐसा वातावरण बनाए रखना जरूरी है जिससे आदमियत हमेशा जिंदा रहे। नांदगांव वह इलाका है, जो भौतिक विकास में दिगर इलाकों से पीछे नहीं है, लेकिन इस इलाके में विकास को परंपराओं ने गोद में पाला है, कलाओं ने दूध पिलाया है। यही वजह है कि जब निर्मल गांवों की बात चली तो यह जिला पूरे भारत में सबसे आगे खड़ा हुआ नजर आया। जब महिलाओं की आर्थिक मजबूती की बात चली तो यहां के स्व सहायता समूहों ने चमत्कार कर दिखाया। हाकी की नर्सरी के रूप में प्रसिद्ध इस इलाके की खेल प्रतिभाओं का लोहा किसने नहीं माना है।

पढ़ाई-लिखाई में नांदगांव शुरू से अव्वल रहा। यह पढ़ भी सकता है और पढ़ा भी सकता है। यहां स्कूल कालेजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। उच्चस्तरीय शैक्षणिक सुविधाएं बढ़ रही हैं। प्रदेश का पहला उद्यानिकी कालेज राजनांदगांव में शुरू हो चुका है।  नये बजट में एग्रीकल्चर कालेज को मंजूरी मिल चुकी है। जिले के 165 ऐसे बच्चों को आश्रय दिया गया है, जो नक्सल हिंसा से प्रभावित हुए हैं। उनके अच्छे भविष्य के लिए उन्हें अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। 33 हजार युवकों को इस तरह प्रशिक्षित किया जा चुका है कि वे अब अपना रोजगार आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

नक्सलियों की चुनौती के बावजूद राजनांदगांव में तेजी से विकास हो रहा है। नांदगांव संवर रहा है। माडल सिटी बन रहा है। यहां रिंग-रोड, बायपास का निर्माण हो रहा है। ट्रांसपोर्टनगर बन रहा है। आडिटोरियम-कंपोजिट बिल्डिंग तेजी से बनाए जा रहे हैं। नांदगांव जगह-जगह सम्मानित हो रहा है, गौरवान्वित हो रहा है।